Ganesh Vandana Lyrics In Hindi: गणेश चतुर्थी पर इस वंदना का करें पाठ, शांति, मान-सम्मान समेत मिलती है विशेष कृपा
Ganesh Vandana Lyrics In Hindi: गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश को समर्पित होता है। यह पर्व पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ और ‘प्रथम पूज्य’ कहा जाता है, यानी कोई भी शुभ कार्य उनसे पहले किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणपति जी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
Ganesh Vandana Lyrics In Hindi: गणेश जी की पूजा से क्या लाभ होते हैं?
भगवान गणेश बुद्धि, विवेक, ज्ञान, यश और बल के देवता माने जाते हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, उसे मानसिक शांति, मान-सम्मान और विद्या की प्राप्ति होती है। जीवन में यदि बार-बार रुकावटें आ रही हों या कार्य सफल नहीं हो रहे हों, तो गणपति जी की पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।

गणेश उत्सव का महत्व
गणेश चतुर्थी से शुरू होकर यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। इन दिनों भक्त गणेश जी की मूर्ति को घर या पंडालों में स्थापित करते हैं और विधिवत पूजन करते हैं। पूरे वातावरण में भक्ति और आनंद की लहर होती है। इस दौरान लोग गणपति की आरती, चालीसा और वंदना का पाठ करते हैं, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

बुधवार को गणेश जी की पूजा क्यों करें?
हिंदू धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उनका पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यदि कोई व्यक्ति हर बुधवार को गणेश जी की वंदना और चालीसा का पाठ करता है, तो उसके जीवन में कोई भी कार्य अधूरा नहीं रहता और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

गणेश वंदना और चालीसा का पाठ
गणपति की पूजा के समय उनकी वंदना और चालीसा का पाठ करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है। ये पाठ सरल और प्रभावशाली होते हैं, जिन्हें कोई भी श्रद्धालु रोज़ाना या विशेष रूप से बुधवार को पढ़ सकता है। इससे मन को शांति मिलती है और आत्मिक बल बढ़ता है।
Ganesh Vandana Lyrics In Hindi: गणेश वंदना (शुभारंभ से पूर्व की प्रार्थना)
वक्रतुंड महाकाय
सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव
सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गजाननं भूतगणादि सेवितं
कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं
नमामि विघ्नेश्वर पाद पङ्कजम्॥
जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा॥
एकदंत दयावंत,
चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे,
मूषक सवारी॥
जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा॥
अन्धन को आंख देत,
कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,
निःसन्तान को माया॥
जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा॥
पान चढ़े, फूल चढ़े,
और चढ़े मेवा।
लड्डूवन का भोग लगे,
संत करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश,
जय गणेश देवा॥