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जानिए गणपति विसर्जन कब साथ ही शुभ मुहूर्त, विधि और मूर्ति विसर्जित करने के नियम

2 सितंबर से गणेशोत्सव का प्रारंभ हो गया है। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा का आगमन किया जाता है तो वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की घर लाई गई मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

07:51 AM Sep 05, 2019 IST | Desk Team

2 सितंबर से गणेशोत्सव का प्रारंभ हो गया है। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा का आगमन किया जाता है तो वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की घर लाई गई मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

2 सितंबर से गणेशोत्सव का प्रारंभ हो गया है। गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा का आगमन किया जाता है तो वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की घर लाई गई मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। ये गणेशोत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है। 12 सितंबर को गणेश जी की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ यह पर्व सम्पन्न होगा। 
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अनंत चतुर्दशी 12 सितंबर के दिन होगी। इस दिन बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है और उनसे अगले साल फिर से आने की कामना की जाती है।  जो लोग पूरे 10 दिनों तक बप्पा की विधि पूर्वक पूजा करने में असमर्थ होते हैं वो जल्दी ही गणपति बप्पा का विसर्जन कर लेते हैं। 
गणपति विसर्जन तारीख और शुभ मुहूर्त…
तारीख-12 सितंबर, अनंत चतुर्दशी
तिथि-चतुर्दशी की तिथि 12 सितंबर सुबह 5:06 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 7:35 तक है।
शुभ मुहूर्त-वैसे तो अनंत चतुर्दशी का पूरा दिन शुभ माना जाता है और आप किसी भी वक्त विसर्जन कर सकते हैं। लेकिन इस दिन सबसे शुभ मुहूर्त हैं सुबह 6:01 से 07:32 तक, सुबह 10:34 से 3:07 तक, शाम 4:38 से 9:07 बजे तक, फिर रात 12:05 से 1:34 तक। 
विसर्जन की विधि…
गणपति विसर्जन के दिन पूरा परिवार एक साथ पूजा करता है। बप्पा की विदाई से पहले उनकी आरती की जाती है साथ ही उनके जयकारे भी लगाएं जाते हैं। गणेशजी को मोदक,मिठाई का भोग लगाया जाता है उनकी विदाई के लिए उन्हें वस्त्र पहनाएं जाते हैं। बप्पा को विदा करते वक्त क्षमा प्रार्थना करके भूल-चूक के लिए आप क्षमा जरूर मांगे। 
एक कपड़े में सुपारी,दूर्वा,मिठाई और कुछ पैसे रखकर उसे गणपति के साथ बांध दें। पूजा वाली सारी सामग्री को गणेशजी के साथ जल में ही विसर्जित कर दें। 
गणपति बप्पा का विसर्जन करते हुए पानी में देवी-देवताओं की प्रतिमा को डुबोया जाता है। नदी,तालाब या किसी कुंड साग में आप गणपति की मूर्ति को विसर्जित कर सकते हैं।
बड़े शहरों में तालाब तक पहुंचा थोड़ा मुश्किल होता है जिस वजह से वहां के लोग जमीन में गड्ढा करके मूर्ति को विसर्जित करते हैं। 
आप भी चाहें तो  छोटी मूर्ति को बड़े बर्तन में जल लेकर विसर्जित कर सकते हैं। लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि जल में पैर बिल्कुल ना लगे। उसके बाद उस जल को किसी पौधे में डाल दें। 
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