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काशी में गंगा को साल के अंत तक मिल सकती है प्रदूषण से मुक्ति

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के भगीरथी प्रयासों की बदौलत भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में कलकल बह रही गंगा को इसी साल प्रदूषण से मुक्ति मिलने के आसार हैं।

11:13 PM May 13, 2021 IST | Shera Rajput

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के भगीरथी प्रयासों की बदौलत भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में कलकल बह रही गंगा को इसी साल प्रदूषण से मुक्ति मिलने के आसार हैं।

काशी में गंगा को साल के अंत तक मिल सकती है प्रदूषण से मुक्ति
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के भगीरथी प्रयासों की बदौलत भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में कलकल बह रही गंगा को इसी साल प्रदूषण से मुक्ति मिलने के आसार हैं।
सरकारी सूत्रों की माने तो कुछ ही महीनों में वाराणसी में गंगा के प्रदूषण से मुक्त होने की पूरी संभावना है। वर्षो से गंगा में सीधे गिरने वाले नाले अब जीवन दायनी गंगा में नहीं गिरेंगे। योगी सरकार के भगीरथ प्रयास से 23 नालों में से 22 नालों का पानी शोधित होने लगा है। कुछ ही महीनों में बचा हुआ एक नाला भी बंद हो जाएगा। जिसके बाद काशी में गंगा निर्मल और अविरल हो जाएँगी।
सूत्रों ने बताया कि गंगा में सीधे गिरने वाले प्रदूषित पानी को शोधित करने के लिए रमना व रामनगर स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) ट्रायल के लिए लिए चल रहा है। अस्सी,सामने घाट,नक्खानाला व गंगा उस पार के 5 नालों के प्रदूषित जल को अब एसटीपी शोधित करने लगा है। रमना स्थित 50 एमएलडी और रामनगर स्थित 10 एमएलडी का एसटीपी बन जाने से अब ये नाले टैप कर दिए गए है।
रमना व रामनगर एसटीपी के शुरू होने से गंगा में गिरने वाला करीब 50 से 60 एमएलडी से अधिक दूषित जल अब शोधित होकर ही गंगा में प्रवाहित होंगे। गंगा उस पार रामनगर में भी छोटे व बड़ 5 नाले मिलकर गंगा को प्रदूषित कर रहे थे।
गंगा प्रदूषण के परियोजना प्रबंधक एस.के। बर्मन ने बताया कि अस्सी,सामने घाट,नक्खानाला नाला टैप हो गया है। नगवां पंपिंग स्टेशन से नाले का पानी रमना एसटीपी तक भेजा जा रहा है। गंगा उस पार रामनगर के पांचो नाले को वहीं लगे एसटीपी शोधित कर रहे है। दोनों एसटीपी में टेसि्टंग व एस्टैब्लाइत्रशन की प्रक्रिया चल रही है। रमना एसटीपी का जुलाई में ट्रायल ़खत्म। रामनगर एसटीपी का भी ट्रायल कुछ ही सफ्ताह में ़खत्म होने वाला है। जिसके बाद ये 8 नाले भी हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि वाराणसी में कुल 23 नाले सीधे गंगा में गिरते थे। जिसमें से 19 नालों को पहले ही बंद किया जा चुका है। तीन नालों को और टैप करने के बाद महत्र एक खिड़कियां घाट का नाला शेष रह गया है। जो कोरोना काल के कारण रह गया है।कुछ महीनों में ये भी टैप कर हो जाएगा।
वाराणसी से कुल 300 एमएलडी सीवेज निकलता है,जिसमे से 260 एमएलडी शोधित होने लगा है। बचा हुआ 40 एमएलडी भी सीवेत्र त्रल्द शोधित होने लगेगा, तब वाराणसी का करीब -करीब पूरा सीवेज का ट्रीटमेंट हो जायेगा। वाराणसी में सीवेत्र के ट्रीटमेंट की योजना सन 2030 से लेकर 2035 तक के लिए बनाई गई है।
वर्ष 1986 में कांग्रेस की सरकार के समय गंगा एक्शन प्लान की शुरआत हुई थी,जो सरकार की इच्छाशक्ति के कमी के कारण आगे चलकर धीरे-धीरे दम तोड़ती चली गई। 2014 में प्रधानमत्री मोदी ने जब गंगा को लेकर गंभीरता दिखाई। तो योगी सरकार के लगातार निरिक्षण व निर्देशन में माँ गंगा को काशी में संजीवनी मिलना शुरू हुआ है। इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भगीरथ साबित होती जा रही है।
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Shera Rajput

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