भारत के इस चमत्कारी मंदिर में तेल-घी नहीं बल्कि पानी से दीया जलता है
कई ऐसे चमत्कार धर्म और आस्था में होते हैं जिनके बाद लोगों की भगवान के प्रति श्रद्धा और बढ़ जाती है। ऐसा ही चमत्कार भारत के एक देवी के मंदिर में होता है जिसे देखकर देवी मां
01:11 PM Feb 12, 2020 IST | Desk Team
कई ऐसे चमत्कार धर्म और आस्था में होते हैं जिनके बाद लोगों की भगवान के प्रति श्रद्धा और बढ़ जाती है। ऐसा ही चमत्कार भारत के एक देवी के मंदिर में होता है जिसे देखकर देवी मां पर भक्तों की आशा और श्रद्धा बढ़ जाती है। दरअसल इस देवी के मंदिर में घी स तेल से दीपक नहीं जलाया जाता है।
खबरों के अनुसार, मध्य प्रदेश के शाजापुर जिल में यह मंदिर गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से लोकप्रिय है। बता दें कि कालीसिंध नदी के किनारे आगर-मालवा के नलखेड़ा गांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर यह मंदिर गाड़िया गांव के पास है।
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि एक महाजोत यानी दीपक लगातार पिछले पांच सालों से इस मंदिर में जलता आ रहा है। वैसे तो कई सारे मंदिर भारत में हैं जहां पर काफी लंबे समय से दीपक जलते रहते हैं। लेकिन इस मंदिर की महाजोत की बात सबसे अनोखी है।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में जो महाजोत जलाई जाती है वह किसी घी,तेल,मोम या किसी दूसरे ईंधन से नहीं जलती बल्कि यह तो पानी से जलती है। यह महाजोत आग के दुश्मन पानी से जलाई जाती है। इस मंदिर के एक पुजारी ने बताया कि यहां पर दीपक पहले तेल से ही जलाया जाता था लेकिन माता उनके सपने में लगभग पांच साल पहले आईं थीं और कहा था कि दीपक को पानी में जलाएं। उसके बाद पुजारी ने मां का आदेेश मानते हुए पांच पहले दीपक को पानी में जलाना शुरु कर दिया।
जब पुजारी ने मंदिर के पास बह रही कालीसिंध नदी से सुबह उठकर पानी भरा और उससे ही दीपक जलाया तो पानी में रखी रूई की जोत जल गई। पानी में जोत जलते देख मंदिर का पुजारी बहुत डर गया तो इस बारे में उन्होंने लगभग दो महीने तक किसी को नहीं बताई।
उसके बाद जब इस बारे में पुजारी ने कुछ गांव के लोगों को बताया तो उन्हें भी इस पर यकीन नहीं हुआ। लेकिन जब गांव वालों ने पानी डालकर दीए में ज्योत जलाई तो ज्योति को सामान्य रूप से जलता हुए देखकर वह भी हैरान रह गए। उसके बाद जब इस चमत्कार के बारे में आस-पास के लोगों को पता चला तो मंदिर में पर्यटकों की भीड़ ही लगनी शुरु हो गई।
बता दें कि बरसात के मौसम में इस मंदिर में पानी से जलने वाला यह दीया नहीं जलता है। दरअसल कालीसिंध नदी का जल स्तर बरसात के मौसम में बारिश की वजह से बढ़ जाता है जिससे वहां पर पूजा करना भी मुश्किल होता है। उसके बाद मंदिर में शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन यानी पड़वा से ज्योत दोबारा जलाई जाती है। यह ज्योत लगातार अगले वर्षाकाल तक जलती रहती है। कहा जाता है कि जब इस मंदिर में दीपक को जलाने के लिए पानी दीए में डाला जाता है तो चिपचिपे तरल में वह बदल जाता है और दीपक जल जाता है।
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