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Gautam Buddha Story in Hindi: हर समय उदास रहने वाले लोग गौतम बुद्ध की ये कहानी जरूर पढ़ें, बदल जाएगी आपकी जिंदगी!

12:56 PM Jul 23, 2025 IST | Shivangi Shandilya
Gautam Buddha Story in Hindi

Gautam Buddha Story in Hindi: बुद्ध का जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायी है। गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के प्रवतर्क थे। उनका जन्म 483 ईसा पूर्व में हुआ था और 563 ईसा पूर्व में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। बचपन में उन्हें राजकुमार सिद्धार्थ के नाम से जाना जाता था। बौद्ध ग्रंथों के मुताबिक़, गौतम बुद्ध के जन्म से 12 वर्ष पूर्व ही एक ऋषि ने आने वाले भविष्य के बारे में सब कुछ बता दिया था। उन्होंने कहा था कि यह बालक या तो एक विश्वव्यापी राजा बनेगा या एक महान ऋषि।

Gautam Buddha को कब हुई थी ज्ञान की प्राप्ति?

बता दें कि 35 साल की उम्र में गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। (gautam budh ka janm kab hua tha) वह सबकुछ छोड़ तपस्या करने निकल गए। ऐसे में वो परम ज्ञान की खोज में घर छोड़कर बाहर निकल गए थे। ऐसे में चलिए जानते है महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी कुछ बातें जो आपको उदास रहने से बचाएगा और आपकी जीवन में बदलाव लाएगा। गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था उन्हें आगे चलकर लोग महात्मा बुद्ध के नाम से जानने लगे।

बुद्ध के बचपन की कुछ यादें

बताते चले कि गौतम बुद्ध का गोत्र गौतम था। उनका जन्म शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में हुआ था। बुद्ध की माता का उनके जन्म के सात दिन के भीतर ही निधन हो गया। (gautam buddha ka janm kaha hua tha) उनका पालन-पोषण उनकी मौसी गौतमी ने किया। शिशु का नाम सिद्धार्थ रखा गया। शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन सिद्धार्थ के पिता थे। सिद्धार्थ के जन्म से पहले की गई एक भविष्यवाणी से व्यथित होकर, उनके पिता ने उन्हें संन्यासी बनने से रोकने के लिए महल की चारदीवारी में रखा। गौतम राजसी सुख-सुविधाओं में पले-बढ़े, बाहरी दुनिया से अलग-थलग, नर्तकियों के मनोरंजन में, ब्राह्मणों द्वारा प्रशिक्षित, और तीरंदाजी, तलवारबाजी, कुश्ती, तैराकी और दौड़ में प्रशिक्षित। कम उम्र में ही उनका विवाह राजकुमारी यशोधरा से हुआ। दोनों का एक पुत्र भी हुआ। उसका नाम राहुल था।

बचपन में कैसा था बुद्ध का स्वभाव?

सिद्धार्थ बचपन से ही बहुत दयालु हृदय के थे। वे किसी का दुख नहीं देख सकते थे। (Gautam Buddha Story in Hindi) इतने प्रयासों के बाद भी, 21 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपने राज्य कपिलवस्तु की गलियों में चार दृश्य देखे। ये दृश्य थे, एक वृद्ध विकलांग व्यक्ति, एक बीमार व्यक्ति, एक शव और एक साधु। इन चारों दृश्यों को देखकर सिद्धार्थ को समझ आ गया कि हर कोई जन्म लेता है, हर कोई बूढ़ा होता है, हर कोई बीमार पड़ता है और एक दिन, सभी की मृत्यु हो जाती है। इससे व्यथित होकर, उन्होंने अपना धन-धान्य, अपनी पत्नी-पुत्र और राज्य त्याग दिया और साधु का जीवन अपना लिया और जन्म, वृद्धावस्था, पीड़ा, बीमारी और मृत्यु से जुड़े प्रश्नों की खोज में निकल पड़े।

तपस्या के दौरान की कहानी

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Gautam Buddha Story in Hindi

सिद्धार्थ अपने प्रश्नों के उत्तर खोजने लगे। ठीक से ध्यान कर पाने के बाद भी उन्हें इन प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले। (gautam buddha ki kahani) फिर उन्होंने तपस्या भी की लेकिन उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले। इसके बाद उन्होंने कुछ अन्य साथियों के साथ और अधिक कठोर तपस्या शुरू कर दी। ऐसा करते हुए छह वर्ष बीत गए। मृत्यु के निकट होने, भूख से व्याकुल होने, अपने प्रश्नों के उत्तर न मिलने पर वे कुछ और करने के बारे में सोचने लगे। वे भोजन की तलाश में एक गाँव में गए और फिर वहाँ थोड़ा भोजन किया।

इसके बाद उन्होंने कठोर तपस्या छोड़ दी और एक पीपल के पेड़ (जिसे अब बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाता है) के नीचे इस प्रतिज्ञा के साथ बैठ गए कि वे सत्य को जाने बिना नहीं उठेंगे। (Gautam Buddha Story in Hindi) वे पूरी रात बैठे रहे और ऐसा माना जाता है कि यही वह क्षण था जब सुबह उन्हें पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई। उनकी अविजया नष्ट हो गई और उन्हें निर्वाण अर्थात बोधि की प्राप्ति हुई और वे 35 वर्ष की आयु में बुद्ध बन गए।

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Gautam Buddha life story क्या है?

Gautam Buddha Story in Hindi

Gautam Buddha Story in Hindi: गौतम बुद्ध क्षेत्रों में घुमघुम कर लोगों को उपदेश दे रहे थे। बुद्ध ने कहा क्रोध-गुस्सा एक अग्नि के सामान है जो खुद भी जलता है और दूसरों को भी जलाता है। बुद्ध के प्रवचन सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां बैठते थे। उनलोगों में एक बहुत गुस्सा वाला व्यक्ति भी बैठकर प्रवचन सुन रहा था। उसे बुद्ध की ये बात पसंद नहीं आई उसने कहने लगा कि बुद्ध तुम पाखंडी हो। बड़ी बड़ी बी आतें करना तुम्हारा काम है बस। तुम लोगों को भ्रमित करते हों तुम्हारी बातें आज कोई मायने नहीं रखती हैं।

वह युवक लगातार बुद्ध को भला-बुरा केह रहा था, लेकिन उसकी बात को बुद्ध बहुत शांति से सुन रहे थे, जिसे देखकर वहां बैठे लोगों को आश्चर्य हुआ कि बुद्ध ये सब इतनी शांति से कैसे सुन रहे हैं। ऐसे में उस व्यक्ति को और गुस्सा आया कि ये कुछ बोल क्यों नहीं रहे हैं? वह बुद्ध के पास गया और उनके मुंह पर थूककर वहां से चला गया। घर पहुंचकर उस व्यक्ति का गुस्सा शांत हो गया और उसे खूब पछतावा हुआ।

वह माफ़ी मांगने उसी जगह पहुंचा लेकिन बुद्ध वहां नहीं मिले वो आगे निकल चुके थे। इसके बाद वह व्यक्ति उन्हें खोजते खोजते दूसरे गांव में पहुंच गया। जहां उसे बुद्ध दिखाई दिए। वहां पहुंचकर उसने बुद्ध के चरण में गिर गया।

इसपर बुद्ध ने कहा तुम कौन हों? क्यों क्षमा मांग रहे हों? इसपर युवक ने कहा मैंने कल आपको भला बुरा कहा था मुझे माफ़ करदो। मैनें आपका अपमान किया था। बुद्ध बोले, "मैं अतीत को पीछे छोड़ आया हूं और तुम अभी भी वहीं अटके हुए हो। तुम्हें अपनी गलती का पछतावा है, तुमने पश्चाताप किया है। अब तुम पापमुक्त हो गए हो। बुरी बातों को याद रखने से हमारा वर्तमान बर्बाद हो जाता है। इस आदत की वजह से भविष्य भी खराब हो सकता है। इसलिए हमें अतीत की बातों को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए।"

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