टॉप न्यूज़भारतविश्वराज्यबिजनस
खेल | क्रिकेटअन्य खेल
बॉलीवुड केसरीराशिफलSarkari Yojanaहेल्थ & लाइफस्टाइलtravelवाइरल न्यूजटेक & ऑटोगैजेटवास्तु शस्त्रएक्सपलाइनेर
Advertisement

अप्रत्यक्ष कर राजस्व घटने से सकल कर से GDP अनुपात घटकर 10.9 % पर

अप्रत्यक्ष कर राजस्व बजट अनुमान से करीब 16 प्रतिशत कम रहने से 2018-19 में सकल कर से जीडीपी अनुपात घटकर 10.9 प्रतिशत पर आ गया। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में कमी की वजह से अप्रत्यक्ष कर राजस्व कम हुआ है।

03:21 PM Jul 04, 2019 IST | Shera Rajput

अप्रत्यक्ष कर राजस्व बजट अनुमान से करीब 16 प्रतिशत कम रहने से 2018-19 में सकल कर से जीडीपी अनुपात घटकर 10.9 प्रतिशत पर आ गया। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में कमी की वजह से अप्रत्यक्ष कर राजस्व कम हुआ है।

अप्रत्यक्ष कर राजस्व बजट अनुमान से करीब 16 प्रतिशत कम रहने से 2018-19 में सकल कर से जीडीपी अनुपात घटकर 10.9 प्रतिशत पर आ गया। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में कमी की वजह से अप्रत्यक्ष कर राजस्व कम हुआ है। 
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन द्वारा तैयार 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि जीएसटी परिषद ने जिस सहकारिता के संघवाद का वर्णन किया है वह श्रम और भूमि संबंधी नियम कानून में भी दिखना चाहिए। 
वित्त वर्ष 2018-19 में कॉरपोरेट कर का प्रदर्शन सुधरने से प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.4 प्रतिशत बढ़ा। हालांकि, अप्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान से करीब 16 प्रतिशत कम रहा है। इसकी वजह जीएसटी राजस्व कम रहना है। 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को आर्थिक समीक्षा को संसद में रखा। समीक्षा के अनुसार सकल कर से जीडीपी अनुपात घटकर 10.9 प्रतिशत पर आ गया है। यह 2017-18 की तुलना में 0.3 प्रतिशत अंक कम है।
सरकार ने 2018-19 में प्रत्यक्ष कर से 11.50 लाख करोड़ रुपये और जीएसटी से 7.43 लाख करोड़ रुपये जुटाने का बजट लक्ष्य रखा था। 
समीक्षा कहती है कि पिछले छह साल के दौरान हालांकि कर से जीडीपी अनुपात सुधरा है लेकिन जीडीपी के अनुपात में सकल कर राजस्व में 2017-18 की तुलना में 0.3 प्रतिशत अंक की कमी आई है। 
इसमें कहा गया है कि अप्रत्यक्ष कर संग्रह में जीडीपी के 0.4 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह जीएसटी संग्रह में कमी है। हालांकि प्रत्यक्ष कर संग्रह में 0.1 प्रतिशत अंक की वृद्धि से इसकी आंशिक भरपाई हो पाई है। 
समीक्षा में कहा गया है कि जीएसटी राजस्व में बढ़ोतरी केंद्र और राज्य सरकारों के संसाधनों की स्थिति बेहतर करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 
समीक्षा कहती है कि 14वें वित्त आयोग द्वारा केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने से राजकोषीय संघवाद में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 
इसमें कहा गया है कि विकास की चुनौतियों से निपटने को नीति आयोग ने राज्यों और केंद दोनों से टीमें बनाई हैं, जिससे सहकारिता के संघवाद को संस्थागत किया जा सका है। राज्यों के बीच मुख्य प्रदर्शन संकेतकों (केपीआई) को सुधारने को लेकर उनके बीच दोस्ताना प्रतिस्पर्धा शुरू की गई है। 
Advertisement
Advertisement
Next Article