डिजिटल आजादी या बच्चों की सुरक्षा?
सोशल मीडिया न्यूनतम आयु विधेयक ने ऑस्ट्रेलिया को उन सरकारों के लिए एक परीक्षण का विषय बना दिया है, जिन्होंने युवाओं पर इसके मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव के बारे में चिंता के बीच सोशल मीडिया पर आयु प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाया है या बनाने की योजना बना रहे हैं। फ्रांस और कुछ अमेरिकी राज्यों सहित कई देशों ने माता-पिता की अनुमति के बिना नाबालिगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून पारित किए हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में यह प्रतिबंध पूर्णतः लागू है। ऑस्ट्रेलिया में इस कानून का पारित होना मध्यमार्गी-वामपंथी प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ के लिए एक राजनीतिक जीत है इस प्रतिबंध का निजता के पक्षधरों और कुछ बाल अधिकार समूहों ने विरोध किया, लेकिन सर्वेक्षणों के अनुसार, 77% आबादी इसे चाहती थी। 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर आना कई मायनों में खतरनाक होता है। अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस की एक रिसर्च बताती है कि जो बच्चे और टीनएजर्स दिन में 3 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनमें डिप्रेशन और एंजायटी का खतरा दोगुना होता है। इस रिसर्च में एक सर्वे के हवाले से कहा गया है कि 13 से 17 साल के 46% टीनएजर्स का मानना है कि सोशल मीडिया उन्हें और बुरा महसूस कराता है। इसी तरह, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सितंबर 2024 में एक सर्वे जारी किया था। सर्वे में 44 देशों के 11, 13 और 15 साल के 2.80 लाख से ज्यादा बच्चों को शामिल किया गया था। सर्वे में शामिल 11% बच्चों ने माना था कि सोशल मीडिया के कारण उन्हें कई तरह की समस्याएं हुई हैं। अमेरिका में हुई एक स्टडी में सामने आया था कि सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों का न सिर्फ कॉन्फिडेंस कम हो जाता है, बल्कि उन्हें भूख भी कम लगती है। सर्वे में शामिल 13 से 17 साल की 46% लड़कियों ने बताया था कि सोशल मीडिया ने उन्हें अपनी बॉडी को लेकर बुरा महसूस कराया है। इस सर्वे में शामिल 64% बच्चों ने बताया था कि वे रोज साइबर बुलिंग का शिकार होते हैं। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोग भी होते हैं जो कम उम्र के बच्चों को टारगेट करते हैं और उनका इस्तेमाल अपनी सेक्सुअल डिजायर पूरी करने के लिए करते हैं या फिर उनसे पैसे ठगते हैं। सर्वे में शामिल 10 में से 6 लड़िकयों ने बताया था कि सोशल मीडिया पर किसी अजनबी ने उनसे इस तरह बात की जिससे उन्हें बड़ा अजीब लगा। सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह सोशल मीडिया पर एज कंट्रोल को कैसे लागू करेगी? उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया के कारण कुछ बच्चों में नींद की समस्या और बॉडी इमेज जैसी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन यह ग्रामीण इलाकों में रहने वाले या विकलांग बच्चों के लिए लाइफलाइन भी हो सकता है।'16 साल से कम उम्र के बच्चे भले ही फेसबुक-इंस्टा और स्नैपचैट पर अकाउंट नहीं बना पाएंगे लेकिन फिर भी उनके पास वॉट्सऐप, डिस्कॉर्ड जैसे दूसरे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का एक्सेस होगा। रिपोर्ट कहती है कि 'यह मानना नादानी होगी कि बुलिंग ऐक्टिविटी बस एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट नहीं होगी।'ऑस्ट्रेलिया के बच्चों पर लगाए गए प्रतिबंध 'दुनिया में सबसे सख्त माने जा रहे' सोशल मीडिया बैन को चकमा देने में 13 साल की इसाबेल ने पांच मिनट से भी कम का समय लगाया।
ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर एक नया और कड़ा कदम उठाया है। अब 16 साल से कम उम्र के बच्चों को फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और अन्य प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाने की अनुमति नहीं होगी। इस नए कानून की घोषणा प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने की। प्रधानमंत्री अल्बनीज ने इस कदम को “युवा पीढ़ी की सुरक्षा के लिए दुनिया में पहला कदम” बताया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ गया है और अब “काफी है।” नए नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 16 साल से कम उम्र के यूजर्स के अकाउंट हटाने होंगे, वरना भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा। इस कानून के लागू होते ही देशभर के कई बच्चे के फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसी साइट्स पर अकाउंट बंद हो गए।
गौरतलब है कि इंस्टाग्राम के पास अकेले 13 से 15 साल के लगभग 3.5 लाख ऑस्ट्रेलियाई यूजर्स हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि हर किसी को अपनी उम्र प्रमाणित नहीं करनी होगी, लेकिन जिन पर शक होगा, उन्हें अपनी उम्र साबित करनी पड़ सकती है। बच्चे बिना लॉगिन किए कुछ कंटेंट देख सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत अकाउंट नहीं बना पाएंगे। जिसके बाद देश में एक भावनात्मक बहस छिड़ गई, जिसने बिग टेक को लक्षित करने वाले सबसे कठोर नियमों में से एक के साथ दुनिया भर के न्यायालयों के लिए एक मानक स्थापित किया। स्नैपचैट समेत दस प्लेटफ़ॉर्म्स पर सरकार ने यह नियम लागू किए हैं। स्नैपचैट ने इसाबेल को एक नोटिफ़िकेशन भेजा।
इसमें लिखा था कि अगर वह यह साबित नहीं कर पाईं कि उनकी उम्र 16 साल से ज़्यादा है, तो उनका अकाउंट बंद कर दिया जाएगा। इसाबेल बताती हैं, "मैंने अपनी मम्मी की एक फ़ोटो ली और उसे कैमरे को दिखाया और इतने में सिस्टम क्रैक हो गया। इसके बाद स्क्रीन पर लिखा आया कि थैंक यू फॉर वेरीफाइंग योर एज"वह बताती हैं, "मैंने सुना है किसी ने ऐसा करने के लिए बियोंसे (मशहूर अमेरिकी सिंगर) का चेहरा इस्तेमाल किया था। उसे भी सिस्टम ने मान लिया था।" इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए सहारा भी बनता है। इस बारे में सबसे बड़ी चिंता तकनीकी पक्ष को लेकर भी है। आशंका जताई जा रही है कि जो बच्चे टेक्नोलॉजी को चकमा देकर खेल में माहिर होंगे वे वीपीएन का उपयोग कर अपनी उम्र गलत बताकर अकाउंट को लॉगइन कर बैन को नाकाम कर सकते हैं।
कई विशेषज्ञ कहते हैं कि ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि सोशल मीडिया कंपनियों को मजबूर किया जाए कि वे हानिकारक कंटेंट को बेहतर तरीके से नियंत्रित करें। उनका मानना है कि कंपनियों की एल्गोरिद्म की शक्ति को सीमित किया जाना चाहिए और बच्चों को इंटरनेट की असली दुनिया के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जाए। इसके अतिरिक्त साेशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आयु प्रतिबंध लागनू करने में आ रही चुनौतियों के कारण इस बात पर भी जोर देना होगा कि ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करने में माता-पिता आैर शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका भी अहम हो जाती है। कुल मिलाकर सरकारों, शिक्षकों और तकनीकी फर्मों को ऐसे विनियमों पर सहयोग करना चाहिए जो डिजिटल जुड़ाव के साथ सुरक्षा को संतुलित करते हों।