ये हाफिज और अजहर हमें दे दो मुनीर !
भारतीय सेना ने पाक के एयर डिफेंस सिस्टम को किया नाकाम…
पहलगाम में आतंकी हमले के ठीक बाद मैंने इसी कॉलम में भारतीय जनमानस के भीतर फैले गुस्से को देखते हुए लिखा था, ‘खून खौल रहा है…अबकी बार हो आर-पार !’ भारत ने जिस हिसाब से पाकिस्तानी हरकतों का जवाब दिया, उससे लग भी रहा था कि मूड आर-पार का ही है। मगर अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का ट्वीट आया कि भारत और पाकिस्तान तत्काल प्रभाव से सीजफायर पर राजी हो गए हैं। सब आश्चर्यचकित रह गए कि ये क्या हो गया? दोनों देशों से पहले ट्रम्प ने घोषणा कैसे कर दी? मगर ट्रम्प जादू दिखाना जानते हैं, अमेरिकी टीम ने भारत और पाकिस्तान के समकक्ष अधिकारियों और नेतृत्वकर्ताओं के बीच बात कराई और भारत को समझाया कि यह मामला चीन के हाथों में नहीं जाना चाहिए इसलिए सीजफायर जरूरी है।
सीजफायर से पहले भारत ने इसीलिए यह घोषणा की कि भविष्य में किसी भी आतंकी घटना को एक्ट ऑफ वार माना जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि जंग कोई अच्छी चीज नहीं है, मेरा यह मानना रहा है कि बातचीत ज्यादा बेहतर तरीका है। मगर पाकिस्तान की पूंछ इतनी टेढ़ी है कि उसके सीधा होने की उम्मीद कर ही नहीं सकते। शनिवार की शाम जब सीजफायर हो चुका था, उसके बाद भी पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक ड्रोन हमले की कोशिश की, हमारी फौज ने उसे नाकाम कर दिया लेकिन पाकिस्तानी फरेब सामने आ गया। जब मैं यह कॉलम लिख रहा हूं तब सीमा पर शांति बनी हुई मगर यह कितनी देर तक बनी रहेगी, कहना मुश्किल है, शहबाज शरीफ के हाथों को वहां के सेनाध्यक्ष जनरल मुनीर ने मरोड़ दिया है। शहबाज को उनके भाई नवाज शरीफ ने भी समझाया, लेकिन देर रात उन्होंने मुनीर की जो तारीफ की, उससे साफ लगा कि वे सत्ता बचा रहे हैं। निश्चय ही वे इमरान खान नहीं बनना चाहेंगे।
मैं हमेशा कहता रहा हूं कि वहां की सरकार सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथों में होती है, मुनीर की चालाकी इसी बात से झलकती है कि वे अमेरिका और चीन दोनों को साधने की कोशिश में हैं। पाकिस्तान को आईएमएफ से जो 1.3 बिलियन का लोन अभी पारित हुआ है, उसे प्राप्त करने के लिए सीजफायर पर सहमत होना ही था, अन्यथा पैसा नहीं मिलता। इसके अलावा भारत ने जिस तरह से उसके एयर डिफेंस सिस्टम को नाकाम कर दिया, वैसी स्थिति में उसके लिए मैदान में टिके रह पाना संभव ही नहीं था, इसी से जुड़ा एक और दिलचस्प कारण यह भी हो सकता है कि एचक्यू 9 नाम का जो एयर डिफेंस सिस्टम फुस्स साबित हुआ वह चाइनीज माल था, अपने इस एयर डिफेंस सिस्टम के लिए चीन बाजार तलाश रहा है और पाक में यह नाकामी उसके बाजार को प्रभावित कर सकता था।
एक और महत्वपूर्ण बात है कि पाकिस्तान सोच रहा होगा कि कश्मीर में उसे लोगों का साथ मिलेगा लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पाकिस्तान का विरोध ही किया। मैं खासतौर पर वहां के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की तारीफ करना चाहूंगा जिन्होंने कश्मीर को तरक्की की राह पर बढ़ाया है, इस पूरे प्रसंग में जो स्टैंड कांग्रेस को लेना चाहिए था, वह कांग्रेस नहीं ले पाई। बल्कि मैं यह कहूंगा कि उमर अब्दुल्ला के साथ ही असदुद्दीन ओवैसी ने भी दिल जीत लिया, पाक को उन्होंने उसकी औकात दिखाई। भारतीय सेना की तरफ से कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रेस ब्रीफिंग ने यह संदेश दिया कि भारत में मजहब कुछ भी हो. सभी भारतीय एकजुट हैं।
जहां तक सीजफायर के लिए भारत के तैयार होने का सवाल है तो हमारी संस्कृति हमेशा ही शांति की रही है, हम भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी की राह पर चलने वाले शांतिप्रिय लोग हैं। हम वसुधैव कुटुम्बकम के सूत्र वाक्य को मानते हैं, इतिहास गवाह है कि भारत ने कभी भी किसी दूसरे देश पर हमला नहीं किया। हम जियो और जीने दो के सिद्धांत को मानते हैं, लेकिन हमारी ओर कोई आंख उठा कर देखे तो हम आंख निकाल लेने की क्षमता भी रखते हैं। हम जल्दी गुस्सा तो नहीं होते लेकिन जरूरत पड़े तो शिव की तरह तांडव भी कर सकते हैं और मां काली की तरह राक्षसों का संहार करने में भी कोई गुरेज नहीं है।
ताजा प्रसंग में ही देखें तो पाकिस्तान ने पहले पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों का खून बहाया, जब भारत ने प्रतिरोध किया तो उसने सीमा पर नागरिक इलाकों में बम बरसाए और हमारे सोलह से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी। इतना सब होने के बावजूद भारत ने पाकिस्तान के नागरिक ठिकानों पर हमला नहीं किया। भारत का हमला केवल आतंकवादियों के खिलाफ था, पाकिस्तानी सेना ने अभी सारे आतंकवादियों को अपनी शरण में रखा हुआ ताकि उन्हें कोई मौत के घाट न उतार दे। हालांकि भारतीय हमले में कुख्यात आतंकी मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग तो मारे ही गए, पांच खूंखार आतंकियों का भी सफाया हो गया।
लश्कर-ए-तैयबा का मुदस्सर खादीयान खास उर्फ अबू जुंदाल के जनाजे के दौरान पाक सेना ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जनरल मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने उसे श्रद्धांजलि दी। जैश-ए-मोहम्मद के हाफिज मोहम्मद जमील, आईसी-814 का गुनहगार मो. यूसुफ अजहर, मोहम्मद हसन खान और लश्कर-ए-तैयबा के खालिद उर्फ अबू अकाश के जनाजे में भी पाकिस्तानी सेना के अधिकारी शामिल थे। यह तय बात है कि जंग हमें भी नहीं चाहिए क्योंकि जंग से तबाही आती है लेकिन हमें आतंकवाद भी नहीं चाहिए। साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान को यदि शांति चाहिए और दोबारा भारत का रौद्र रूप नहीं देखना है तो हाफिज सईद और मसूद अजहर हमें सौंप दो मुनीर, इसी में तुम्हारी भलाई है। वर्ना हम छोड़ेंगे नहीं।