W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

दुनिया में हथियारों की होड़

04:50 AM Nov 05, 2025 IST | Aditya Chopra
दुनिया में हथियारों की होड़
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा
Advertisement

जहां हथियारों की दौड़ शुरू होती है वहां अक्सर युद्ध होते हैं। यद्यपि महाशक्तियां परमाणु हथियारों को विनाश के शस्त्र मानती हैं। इसके बावजूद कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं। यूरोप और दुनियाभर में नए उपनिवेशों पर प्रभुत्व की होड़ ने 19वीं सदी की हथियारों की होड़ के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा की थीं। हथियारों की भारी वृद्धि के कारण ही दुनियाभर में असुरक्षा और भय की भावना पैदा हो गई। इन सब ने ही युद्ध को अपरिहार्य बना दिया। ज्यादा हथियार देशों को युद्ध की ओर ही ले जाते हैं। अगर एक तरफ हथियार हैं तो दूसरी तरफ भी हथियार ही होंगे। कौन नहीं जानता कि महाशक्ति अमेरिका और कभी अविभाजित रूस (सोवियत संघ) ने शीत युद्ध के दौरान परमाणु और पारम्परिक हथियारों का भंडार जमा कर लिया था। मौजूदा दौर में एक बार फिर विनाशकारी हथियारों की दौड़ शुरू हो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए दावे ने न केवल दुनिया को चौंका दिया है, बल्कि खुद परमाणु परीक्षण शुरू करने का ऐलान कर एक नई ​िचंता पैदा कर दी है।
ट्रंप ने दावा किया है कि पाकिस्तान, चीन, रूस, उत्तर कोरिया चोरी-छिपे परमाणु बमों का परीक्षण कर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि अमेरिका भी परमाणु परीक्षण करे। हैरानी की बात तो यह है कि ट्रंप कई युद्ध रुकवाने का दावा कर नोबेल शांति पुरस्कार मांग रहे थे ले​िकन अब उन्होंने एक दम से कलाबाजी खाकर अपने रक्षा ​िवभाग को परमाणु परीक्षण करने का आदेश दे दिया है। अमेरिका 33 वर्ष के बाद परमाणु परीक्षण की दौड़ में शामिल हो रहा है। परमाणु बम बनाने की होड़ को खत्म करने के मकसद से 1996 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने परमाणु परीक्षणों पर रोक लगा दी थी। ट्रंप के दावों में कितना सच है और कितना झूठ यह कहना मुश्किल है लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि आज कई देश हथियारों की दौड़ और बढ़ते सैन्य खर्च में लगे हुए हैं। रूस- यूक्रेन युद्ध अभी भी जारी है। इजराइल-हमास की लड़ाई संघर्ष विराम के बावजूद खत्म होने का नाम नहीं ले रही। हजारों लोग मर रहे हैं। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। महिलाएं और बच्चे युद्धों से सर्वाधिक पी​िड़त हैं। जो स्थिति दिखाई पड़ रही है उससे स्पष्ट है कि सभ्य कही जाने वाली दुनिया मानवता के हक में शांति का रास्ता कैसे चुन सकेगी।
हर दौर में हुए युद्ध और उनके नतीजों ने यह साबित किया है कि यह किसी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि खुद ही एक समस्या है। शायद ही कोई सिद्धांत रूप में युद्ध का समर्थन करता दिखे लेकिन बहाने अलग-अलग भले हों, उनकी आड़ में ज्यादातर देश अपने रक्षा खर्च को ऊंचा रखते हैं, दूसरे देशों की ओर से खतरा बता कर उसमें भारी बढ़ौतरी को जरूरी बताते हैं। उसके बाद शुरू होता है हथियारों की खरीद का सिलसिला, जो देशहित के अन्य बेहद जरूरी मसलों की कीमत पर होता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि देश की रक्षा सबसे जरूरी मसला होना चाहिए, मगर यह हैरानी की बात है कि ज्यादा सभ्य, शांत और विकसित होने का दावा करते ऐसे कई देश हैं, जो शांति के लिए ठोस पहलकदमी करने के बजाय युद्ध में इस्तेमाल होने वाले घातक हथियारों की खरीद-फरोख्त में लगे रहते हैं। सवाल है कि अगर बड़े पैमाने पर व्यापक जनसंहार के हथियार खरीदे या निर्मित किए जाते हैं तो आखिर उनका इस्तेमाल क्या होगा और उसके नतीजे क्या सामने आएंगे। अगर हम सभी 9 परमाणु शक्तियों के पास मौजूद परमाणु बमों की संख्या को देखें तो आंकड़े डरावने हैं। सबसे ज्यादा परमाणु बम रशिया के पास हैं, उसके पास 5 हजार 459 परमाणु बम हैं। दूसरे नंबर पर अमेरिका है जिसके पास 5 हजार 177 परमाणु बम हैं। 600 परमाणु बमों के साथ तीसरे नंबर पर चीन है और इसके बाद चौथे नंबर पर फ्रांस है जिसके पास 290, यूके के पास 225, भारत के पास 180, पाकिस्तान के पास 170, इजराइल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 50 परमाणु बम हैं।
आज युद्धों का स्वरूप बदल गया है। एक के बाद एक विनाशकारी हथियार तैयार किए जा रहे हैं। रूस ने पिछले हफ्ते ही एक परमाणु संचालित क्रूज मिसाइल और एक परमाणु संचालित टारपीडो का परीक्षण किया था। चीन भी लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। अमेरिका ने ही 1945 में 20 किलो टन के परमाणु बम के परीक्षण के साथ परमाणु युग की शुरूआत की थी आैर अगस्त 1945 में जापान के हीरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराकर दूसरे विश्व युद्ध में जापान को हरा दिया था। जहां तक भारत का संबंध है। 1998 के बाद से ही भारत ने कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। भारत परमाणु निरस्त्रीकरण का प्रबल समर्थक रहा है। सारी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान का परमाणु बम चोरी का परमाणु बम था। पाकिस्तान हमेशा भारत को परमाणु बम की धमकियां देता रहता है। पाकिस्तान की नी​ित यह है कि अगर उसे अपनी सुरक्षा पर खतरा महसूस हो तो वह पहले परमाणु बम का इस्तेमाल कर सकता है। भारत की नी​ित यह है कि वह पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा। महाशक्तियों ने परमाणु हथियार बनाने के अपने अधिकार तो सुरक्षित रखे लेकिन दूसरे देशों को परमाणु परीक्षण करने से रोका। अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण करता है तो अन्य देश भी अपनी सुरक्षा हित में ऐसा कर सकते हैं। भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करते हैं तो भारत के लिए भी यह जरूरी होगा कि वह भी अपनी तैयारी पूरी करे। मौजूदा दौर में हथियारों की दौड़ दुनिया को खतरनाक बना देगी।

Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
Advertisement
×