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गोवा : भाजपा के पूर्व मंत्री माइकल लोबो कांग्रेस में हुए शामिल

भाजपा के पूर्व नेता माइकल लोबो मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने एक दिन पहले ही गोवा के मंत्रिमंडल से इस्तीफ दिया था और भगवा पार्टी छोड़ दी थी।

12:16 AM Jan 12, 2022 IST | Shera Rajput

भाजपा के पूर्व नेता माइकल लोबो मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने एक दिन पहले ही गोवा के मंत्रिमंडल से इस्तीफ दिया था और भगवा पार्टी छोड़ दी थी।

बीजेपी के पूर्व नेता माइकल लोबो मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने एक दिन पहले ही गोवा के मंत्रिमंडल से इस्तीफ दिया था और भगवा पार्टी छोड़ दी थी।
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गोवा प्रभारी दिनेश गुंडु की उपस्थिति में कांग्रेस में हुए शामिल

लोबो अपनी पत्नी डेलिलाह के साथ कांग्रेस के गोवा प्रभारी दिनेश गुंडु और नेता प्रतिपक्ष दिंगम्बर कामत की उपस्थिति में कांग्रेस में शामिल हुए। 
माइकल लोबो सियोलिम विधानसभा सीट से चाहते हैं टिकट 
वह अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में सियोलिम विधानसभा सीट से टिकट चाहते हैं। लोबो कलानगट सीट से पूर्व विधायक हैं और प्रमोद सांवत सरकार में बंदरगाह मंत्री थे।

साल 2017 में मिली थी बीजेपी से अधिक सीट
साल 2017 में कांग्रेस ने बीजेपी से ज्यादा सीट हासिल की, पर उसका वोट प्रतिशत बीजेपी से कम रहा। इनमें कांग्रेस को 28 और बीजेपी को 32 फीसदी वोट मिले। लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां एक-एक सीट जीतने में सफल रही, पर बीजेपी का वोट प्रतिशत कांग्रेस से 8 प्रतिशत ज्यादा रहा। ऐसे में कांग्रेस के लिए इस अंतर को पूरा करना आसान नहीं है।
बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर
बीजेपी सत्ता विरोधी लहर और अपनी पार्टी के सबसे बड़े नेता मनोहर पर्रिकर के अभाव में चुनाव लड़ रही है।मनोहर पर्रिकर का मार्च 2019 में निधन हो गया था। प्रदेश कांग्रेस नेता मानते हैं कि बीजेपी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। लोगों में सरकार के खिलाफ नाराजगी है। मु्ख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। इसके बावजूद कांग्रेस की चुनौती बढ़ी हैं।

टीएमसी और आम आदमी पार्टी भी मैदान में 
इस बार आम आदमी पार्टी और टीएमसी पूरी शिद्दत से चुनाव लड़ रही हैं। आपको बता दे कि, पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी को छह फीसदी वोट मिला था। वहीं, महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी ने भी लोगों के बीच अपनी पैठ बढाई है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सत्ता विरोधी वोट को अपने पक्ष में एकजुट रखना मुश्किल होगा। सत्ता विरोधी वोट बंटता है, तो विपक्ष के लिए सत्ता आसान है।

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