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बकरी के खून से होगा पंजाब में थैलेसीमिया का इलाज

अब बकरी के खून से थैलीसीमिया पीडि़त मरीजों का होगा इलाज। इस उपचार विधि में मरीज को मल त्याग करने वाले स्थान से अनीमा द्वारा बकरी का खून चढ़ाया जाएंगा

03:53 PM Sep 01, 2018 IST | Desk Team

अब बकरी के खून से थैलीसीमिया पीडि़त मरीजों का होगा इलाज। इस उपचार विधि में मरीज को मल त्याग करने वाले स्थान से अनीमा द्वारा बकरी का खून चढ़ाया जाएंगा

लुधियाना  : अब बकरी के खून से थैलीसीमिया पीडि़त मरीजों का होगा इलाज। इस उपचार विधि में मरीज को मल त्याग करने वाले स्थान से अनीमा द्वारा बकरी का खून चढ़ाया जाएंगा। पंजाब सरकार की तरफ से ’मिशन तंदरुस्त पंजाब’ के अंतर्गत एक प्रोजैक्ट पर काम किया जा रहा है, जिसमें बकरी के खून के साथ थैलेसीमिया पीडि़त मरीजों का ईलाज किया जाया करेगा। यह प्रोजैक्ट स्थानीय माडल ग्राम स्थित सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल में जल्द शुरू होने जा रहा है।

अस्पताल के इंचार्ज डा. हेमंत कुमार ने बताया कि इस प्रोजैक्ट संबंधी विस्तृत रिपोर्ट निदेषालय पंजाब चंडीगढ़ को भेजी जा चुकी है। इस प्रोजैक्ट और ईलाज के शुरू होने से थैलेसीमिया मरीजों को काफी लाभ पहुँचेगा। इस प्रोजैक्ट को सिरे चढाने के लिए पंजाब सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से संयुक्त रूप से फंडिंग की जा रही है।

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उन्होंने बताया कि इस उपचार विधि को आयुर्वेद मे ’रक्ताबस्ती’ के तौर पर जाना जाता है। इस विधि में मरीज को उसके मल त्याग करने वाले रास्ते (अनीमा) के द्वारा बकरी का खून चढ़ाया जाता है, जिसके साथ मरीज में बार बार खून की कमी नहीं होती। बकरी का खून चढ़ाने के साथ-साथ मरीज को बीमारियों के साथ शारीरिक तौर पर लडऩे के सक्षम बनाने के लिए दवाएँ और बकरी की हड्डियों से तैयार ’देसी घी’ भी दिया जाता है।

उन्होंने विस्तृत विवरण देते हुए बताया कि जब इलाज शुरू होता है तो इसके साथ मरीज को खून चढ़ाने की संख्या में कमी आने लगती है। उदाहरण के तौर पर यदि बीमारी दौरान मरीज को महीने में चार बार खून चढ़ाने की जरूरत रहती है तो यह इलाज शुरू होने पर यह संख्या थैलेसीमिया के मुकम्मल खात्मे तक लगातार घटती रहती है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रोजैक्ट गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों में सफलतापूर्वक चल रहे हैं। अहमदाबाद (गुजरात) के अस्पताल में तो यह उपचार विधि 1984 से चलाई जा रही है। डा. हेमंत कुमार ने बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से उनके सहित सात डाक्टरों की टीम ने अहमदाबाद अस्पताल से इस बारे प्रशिक्षण भी ले चुकी है।

उन्होंने कहा कि ईलाज के लिए अपेक्षित बकरियों का खून नगर निगम लुधियाना के बुच्चडख़ाने से लिया जाया करेगा। खून का प्रयोग करने से पहले यह बाकायदा पशु पालन विभाग, पंजाब की प्रयोगषाला से चैक करवाया जाया करेगा। आयुर्वेद विभाग, पंजाब के डायरैक्टर डा. राकेश शर्मा ने बताया कि पंजाब हैल्थ सिस्टम निगम की तरफ से इस दिशा में लगातार प्रयत्न जारी हैं। इस उपचार विधि को शुरू करने के लिए साजो -समान एकत्र किया जा रहा है।

– रीना अरोड़ा

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