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ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब महिलाओं के लिए बकरी पालन एटीएम साबित हो रहा है : पशुपति पारस

ग्रामीण क्षेत्र में बकरी पालन सबसे बड़ी योजना है। योजना इसलिए बड़ी है कि गरीब महिलाओं को इसके अलावे छोटे-मोटे रोजगार मिल जाते हैं।

07:24 PM Dec 01, 2018 IST | Desk Team

ग्रामीण क्षेत्र में बकरी पालन सबसे बड़ी योजना है। योजना इसलिए बड़ी है कि गरीब महिलाओं को इसके अलावे छोटे-मोटे रोजगार मिल जाते हैं।

पटना : देश में पहली बार जिस तरह मनुष्यों का गणना की जाती थी उसी तरह इस बार बिहार में मछलियों की भी गणना की जायेगी। आंध्र प्रदेश से जितनी मछलियां बिहार आती थी उसमें रोग का शिकार पाया जाने लगा। इस कारण मछलियों का बिहार में बिक्री कम होने लगा। जब बिक्री नहीं होगा तो स्वाभाविक है मछलियों का आना भी कम हो जायेगा। ये बातें आज सूचना भवन में पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति पारस ने कहा। उन्होंने कहा कि बकरी और पशुपालन गरीबों का एटीएम है। इसलिए विभाग दलित-आदिवासियों को 90 प्रतिशत तक बकरी पालन एवं पशुपालन के लिए सब्सिडी दे रही हैं।

गरीब-आदिवासी को रुपये में दस पैसे ही लगाना है बाकी 90 प्रतिशत बिहार सरकार देगी। ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा बकरी पालन एवं पशुपालन किया जाये इसलिए विभाग जिला से लेकर प्रखंड तक कार्यक्रम चलायेंगे। उन्होंने कहा कि जीविका द्वारा भी बकरी दिया जा रहा है। देश में पहली बार इस विभाग को बेस्ट एनिमल हस्बॉड्री का पुस्कार प्रदान की गयी और इसे कृषि रोड मैप में भी जोड़ा गया। जिसका लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लिया जा रहा है।

पिछले साल से इस बार मछली का उत्पादन ज्यादा हुआ है और अब बिहार की मछलियां बंगाल भी जा रही है। उन्होंने कहा कि बकरी के लिए फॉर्म क्षमता बढ़ाया जा रहा है जहां 20 बकरी पर एक बकरा और 40 बकरी पर दो बकरा प्रति फॉर्म दो लाख से चार लाख रुपया है। प्रति फॉर्म की अनुदान राशि एक से दो लाख है। जहां बिहार में 1153 बकरी फॉर्म चयन किया गया है।

बैंक द्वारा समय समय पर मीटिंग में कहा जाता है जिसके चलते बैंक वाला समय पर लोगों को ऋण मुहैया करा रहा है। उन्होंने कहा कि सुधा भी हमलोगों का अव्वल है। कॉम्फेड द्वारा ज्यादा से ज्यादा सुधा केन्द्र की स्थापना की जा रही है। कुल डायरी इकाई की संख्या 06, दुग्ध उत्पादन समिति की संख्या 22366, निबंधन दुग्ध उत्पाद समिति की संख्या 6809, कुल सदस्यों की संख्या 11.60 लाख, महिला सदस्यों की संख्या 2.33 लाख, अनुसूचित जनजाति सदस्यों की संख्या 1.11 लाख, पिछड़ा वर्ग सदस्यों की संख्या 5.64 लाख,जनरल सदस्यों की संख्या 2.52 लाख, दुग्ध संग्रहण की संख्या 18.35 लाख, दुग्ध विपणन की संख्या 14.29 लाख, कुल दुग्ध उत्पादन की संख्या 34 है। उन्होंने बताया कि अब स्कूलों में अंडा देने की योजना से अंडा का फॉर्म भी जगह-जगह पर खोला जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार यहां मिल सके।

बंद पड़े दुग्ध उत्पादन सहयोग समिति को चालू करने की योजना है। अब मछुआरों के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना दिया जा रहा है। श्री पारस ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बकरी पालन सबसे बड़ी योजना है। योजना इसलिए बड़ी है कि गरीब महिलाओं को इसके अलावे छोटे-मोटे रोजगार मिल जाते हैं। क्योंकि महिलाएं बकरी पालन कर उन्हें बेच कर छोटी-मोटी रकम कमा कर अपने लिए घरेलू समान एवं शादी विवाद में खर्च सकती है। संवाददाता सम्मेलन में सचिव एन. विजयालक्ष्मी, सहायक निदेशक दिवाकर प्रसाद, उपाध्यक्ष बेबी कुमारी उपस्थित थे।

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