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वे केवल पत्थरबाज नहीं थे...गोधरा अग्निकांड के दोषियों की जमानत याचिका पर बोली गुजरात सरकार

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साल 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के कुछ दोषियों की जमानत याचिका का विरोध किया।

04:59 PM Dec 03, 2022 IST | Desk Team

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साल 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के कुछ दोषियों की जमानत याचिका का विरोध किया।

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साल 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के कुछ दोषियों की जमानत याचिका का विरोध किया। सरकार ने कहा कि वे केवल पत्थरबाज नहीं थे और उनके कृत्य ने जल रही बोगियों से लोगों को भागने से रोका। गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा देने के कारण 59 लोगों की मौत होने के बाद राज्य में दंगे भड़क गये थे।
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प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह दोषियों की व्यक्तिगत भूमिका को स्पष्ट करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पथराव करने के आरोपियों की जमानत याचिका पर विचार किया जा सकता है क्योंकि वे पहले ही 17-18 साल जेल में बिता चुके हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर तक के लिए टाल दी।
राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन दोषियों ने ट्रेन पर पथराव किया था जिसने लोगों को जल रही बोगी से भागने से रोका। उन्होंने पीठ से कहा कि यह केवल पथराव का मामला नहीं है। मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इन दोषियों की व्यक्तिगत भूमिका की समीक्षा करेंगे और इससे कोर्ट को अवगत कराएंगे।
हाई कोर्ट ने अक्टूबर, 2017 के अपने फैसले में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के मामले में 11 दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा को कम करके उम्रकैद में तब्दील कर दिया था, लेकिन इसने अन्य 20 दोषियों को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को एक दोषी को दी गई अग्रिम जमानत की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2023 तक कर दिया था। गत 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उसे छह माह की अग्रिम जमानत इस आधार दी थी कि उसकी पत्नी कैंसर से जूझ रही है और उसकी बेटियां दिव्यांग हैं। 
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