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सोने की खदान ढहने से बड़ा हादसा, 50 मजदूरों की मौत, कई घायल

12:45 AM Jun 30, 2025 IST | Priya

होउइद : गृहयुद्ध की चपेट में आए सूडान के उत्तर-पूर्वी हिस्से में एक पारंपरिक सोने की खदान आंशिक रूप से ढह गई, जिसमें 11 मजदूरों की मौत हो गई और 7 अन्य घायल हो गए। यह जानकारी सूडान की सरकारी खनन संस्था सूडानी मिनरल रिसोर्सेज कंपनी (SMRC) ने रविवार को दी। यह हादसा किर्श अल-फील खदान के एक पारंपरिक खनन गड्ढे (शाफ्ट) में हुआ, जो कि होउइद नामक सुनसान रेगिस्तानी इलाके में स्थित है। यह जगह सेना के नियंत्रण वाले दो शहरों- अतबरा और हैया के बीच सूडान के रेड सी प्रांत में है। कंपनी ने बताया कि घटनास्थल पर खुदाई का काम रोक दिया गया है और खनिकों को दोबारा चेतावनी दी गई है कि वे इस खतरनाक इलाके में काम न करें। हालांकि, हादसा कब हुआ, इसकी सटीक तारीख नहीं बताई गई है।

गोल्ड इंडस्ट्री बना जंग का ईंधन
अप्रैल 2023 में सूडान की नियमित सेना और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) के बीच संघर्ष शुरू हुआ था। तब से देश की सोने की खनन इंडस्ट्री दोनों पक्षों के लिए एक अहम आर्थिक स्रोत बनी हुई है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के मुताबिक, सूडान से निकला लगभग सारा सोना संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के जरिए जाता है, जिस पर अकसर RSF को संसाधन मुहैया कराने के आरोप लगते हैं।

बिना सुरक्षा के खतरनाक खनन
SMRC के मुताबिक, यह खदान पहले भी बंद की जा चुकी थी क्योंकि यहां खनन कार्य से जान का खतरा बना रहता था। बावजूद इसके, गैर-सरकारी खनिकों द्वारा काम जारी रखा गया। सूडान अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा सोने का उत्पादक देश है, लेकिन यहां का ज़्यादातर सोना छोटे स्तर के पारंपरिक खनन से निकलता है। इन खदानों में न तो सुरक्षा के इंतज़ाम होते हैं और न ही साफ-सफाई या स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है। कई बार जहरीले रसायनों के इस्तेमाल से आस-पास के क्षेत्रों में गंभीर बीमारियां फैल जाती हैं।

गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहा सूडान
यह हादसा उस वक्त हुआ है जब सूडान गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहा है। युद्ध ने देश की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह तोड़ दिया है। 2024 में सरकार ने 64 टन सोने के उत्पादन का रिकॉर्ड बताया था, लेकिन जानकारों का कहना है कि इसका बड़ा हिस्सा तस्करी के जरिए चाड, दक्षिण सूडान और मिस्र के रास्ते UAE पहुंचता है, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना निर्यातक देश है। युद्ध से पहले पारंपरिक खनन से 20 लाख से ज्यादा लोगों को रोज़गार मिलता था। लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग जान जोखिम में डालकर इन खदानों में काम करने को मजबूर हैं। अब तक सूडान में हजारों लोगों की जान जा चुकी है। करीब 1 करोड़ लोग देश के अंदर ही बेघर हो गए हैं और 40 लाख लोग सीमा पार पलायन कर चुके हैं, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन संकट बन चुका है।

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