Good News: RBI ने घटाया रेपो रेट, जानें अब कितना भरना होगा ब्याज
आरबीआई ने घटाया रेपो रेट, जानें नए ब्याज दर का असर
आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे ब्याज दर 5.50% हो गई है। यह निर्णय एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर संजय राज्यसभा द्वारा लिया गया। आरबीआई के इस फैसले से आम आदमी को बड़ी राहत मिली है क्योंकि इससे होम लोन से लेकर कार लोन तक का ब्याज दर कम होने की सम्भावनाएं हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आपके लिए खुशखबरी लेकर आया है। आरबीआई ने रेपो रेट में बड़ी कटौती कर दी है। आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती कर दी है। आरबीआई द्वारा यह तीसरी बार की गई कटौती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने मोनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट को 0.50 प्रतिशत घटा दिया है। इसके बाद अब रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर आ गया है। आरबीआई के इस फैसले से आम आदमी को बड़ी राहत मिली है क्योंकि इससे होम लोन से लेकर कार लोन तक का ब्याज दर कम होने की सम्भावनाएं हैं। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी दी। बता दें इससे पहले रेपो रेट 6 प्रतिशत था, जिसे घटाकर 5.5 कर दिया गया है।
भारत के हालात स्थिर- RBI गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बताया कि, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई का अनुमान चार प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं देश की जीडीपी ग्रोथ भी बेहतर स्थिति में है। इसके अलावा भारत में राजनीतिक स्थिरता भी कायम है, इसलिए एमपीसी के पास मौद्रिक नीति को उदार बनाने का पर्याप्त स्कोप था और इसी को देखते हुए रेपो रेट को कम करने का फैसला किया गया है।
डोमेस्टिक ग्रोथ में मिलेगी मदद
बैंक का कहना है कि रेपो रेट के नीचे आने से सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी। ये बाजार में खपत बढ़ाने और डोमेस्टिक ग्रोथ को बढाने में मदद करेगा। जब वैश्विक हालात लगातार अस्थिर बने हुए हैं, तब हमें डोमेस्टिक ग्रोथ पर फोकस करना सबसे अनिवार्य है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि एमपीसी का मौजूदा फैसला देश में मूल्य स्थिरता को ध्यान में रखते हुए घरेलू विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। वैश्विक स्थिति अस्थिर होने के बावजूद भारत में लगातार निवेश हो रहा है। एफडीआई के मामले में भारत अभी भी सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है।
क्या है रेपो रेट
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जिस ब्याज दर पर देश के बाकी बैंकों को नकदी मुहैया कराता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। अगर रेपो रेट में कमी होती है तो बैंकों को केंद्रीय बैंक से कम ब्याज पर लोन मिलता है। आरबीआई के नियमों के मुताबिक बैंकों को अपने सभी रिटेल लोन की ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ना होता है। इस वजह से रेपो रेट कम होते ही ब्याज दरें कम करने की जिम्मेदारी बैंकों पर आ जाती है। बैंक इसका फायदा ग्राहकों को ईएमआई, ब्याज या लोन की अवधि कम करके देते हैं।
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