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Gopashtami Vrat Katha: क्या आप जानते हैं गोपाष्टमी के पीछे की कहानी, जिसने बदल दी श्री कृष्ण की लीला

03:14 PM Oct 29, 2025 IST | Bhawana Rawat
Image- Ai Generated

Gopashtami Vrat Katha: गोपाष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गौ चरण लीला शुरू की थी, इसलिए इस दिन गौ माता की पूजा और सेवा की जाती है। कहा जाता है कि गोपाष्टमी के दिन जो भी साधक सच्चे मन से पूजा-पाठ करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पर्व खासतौर पर मथुरा, वृन्दावन, ब्रज और गोकुल में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ इस कथा का पाठ करना भी जरुरी है। आइए जानते हैं, गोपाष्टमी से जुड़ी व्रत कथा।

Gopashtami 2025: कब है गोपाष्टमी?

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कब है गोपाष्टमी? (Image- Ai Generated)

पंचांग के अनुसार, गोपाष्टमी पर्व कार्तिक शुक्ल अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल इस तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर 2025 को सुबह 9:23 बजे से होगी और इसका समापन 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे होगा। इसलिए उदयातिथि के हिसाब से यह पर्व गुरुवार यानि 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

Gopashtami ki Katha: गोपाष्टमी की व्रत कथा

गोपाष्टमी की व्रत कथा (Image- Ai Generated)

पौराणिक कथा के अनुसार, जब श्री कृष्ण 6 वर्ष के थे, तब उन्होंने अपनी माता यशोदा से कहा कि अब में बड़ा हो गया हूं इसलिए अब बछड़ा चराने जाऊंगा। माता यशोदा ने बात को टालते हुए कहा कि इसके लिए तुम अपने बाबा से बात करो। श्री कृष्ण तुरंत तुरंत नंद बाबा के पास गए और गाय को चराने को कहने लगे। लेकिन नंद बाबा ने माना कर दीया और कहा कि अभी तुम छोटे हो, केवल बछड़े ही चराओ। लेकिन श्री कृष्ण भी अड़े रहे, तब नंद बाबा को उनकी बात माननी पड़ी। उन्होंने कहा कि जाओ पंडित जी को बुला लाओ, ताकि उनसे गौ चरण का शुभ मुहूर्त पता लगा सकूं।

श्री कृष्ण भागते-भागते गए और बोले कि बाबा ने आपको गौ चरण का शुभ मुहूर्त देखने के लिए बुलाया है। आप आज का ही शुभ मुहूर्त बता देना, मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा। पंडित जी को बुला लाए। पंडित जी ननद बाबा के घर पहुंचे और पंचांग देखकर अपनी उंगलियों पर गणना करने लगे। काफी देर तक पंडित जी कुछ नहीं बोले, तो ननद ने पूछा कि आखिर हुआ क्या? आप काफी देर से कुछ बोल नहीं रहे।

पंडित जी बोले गायों को चराने का शुभ मुहूर्त आज ही बन रहा है, इसके बाद पूरे साल तक कोई मुहूर्त नहीं है। पंडित जी की बात सुनकर श्री कृष्ण तुरंत गायों को चराने निकल पड़े। इस दिन से श्री कृष्ण ने गायों को चराना शुरू कर दीया था, उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि। तभी से इस तिथि पर गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है और श्री कृष्ण के साथ गायों की पूजा की जाती है।

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