किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार ने बनाया रोडमैप : कृषि मंत्री
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को बताया कि किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लिए सरकार ने एक रोडमैप बनाया है,
09:42 PM Dec 12, 2019 IST | Shera Rajput
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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को बताया कि किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लिए सरकार ने एक रोडमैप बनाया है, जिसके तहत कृषि एवं बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर जो दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा खाद्यान्न, दलहन, फूल, फल, जैविक खेती, जीरो बजट आदि के लिए रोडमैप तैयार किए जा रहे हैं।
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उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि बीते पांच साल के दौरान खाद्यान्नों और बागवानी फसलों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। तोमर ने बताया कि 2009 से लेकर 2014 तक के दौरान खाद्यान्नों का उत्पादन 248.81 मिलिटयन (24.88 करोड़) टन (औसत वार्षिक) था जो 8.40 फीसदी की बढ़त के साथ 2014-19 के दौरान 269.72 मिलियन (26.97 करोड़) टन हो गया।
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उन्होंने कहा कि इसी प्रकार दलहनों का औसत वार्षिक उत्पादन 2009 से लेकर 2014 के दौरान 175.4 लाख टन था जो 2014-19 के दौरान बढ़कर 200 लाख टन और अब 218 लाख टन हो गया है।
उन्होंने कहा कि द्वारा 2016 में किसानों की आमदनी दोगुनी किए जाने के बाद एक एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था। इस समिति की रिपोर्ट को लागू करने व उसकी निगरानी करने के लिए एक अधिकार प्राप्त निकाय का गठन किया गया।
तोमर ने कहा कि किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए स्रोतों की पहचान की गई, जिनमें फसल की उत्पादकता में सुधार, पशुधन उत्पादकता में सुधार, उत्पादन लागत में बचत, फसल सघनता में वृद्धि, उच्च मूल्य की फसलों की विविधता, किसानों की फसलों के वास्तविक मूल्य में सुधार के साथ-साथ गैर-कृषि व्यवसायों को शामिल किया गया।
कृषि मंत्री ने बताया कि स्वामीनाथन आयोग के 201 सुझावों में से 200 सुझावों को सरकार ने स्वीकार किया है, जिसमें किसानों को उनकी फसलों की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देना भी शामिल है।
तोमर ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में मुख्य रूप से लागत का डेढ़ गुना एमएसपी करना मुश्किल था लेकिन वह भी हो गया। उन्होंने कहा, ‘कई साल से रबी और खरीफ सीजन की 22 फसलों के लिए लागत का डेढ़ गुना एमएसपी की घोषणा की जा रही है। ‘
देशभर के किसानों की समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए प्रोफेसर एम.एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 18 नवंबर 2004 में एक आयोग का गठन किया गया था जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा जाता है। स्वामीनाथन आयोग ने दिसंबर 2004, अगस्त 2005, दिसंबर 2005 और अप्रैल 2006 में क्रमश: चार रिपोर्ट सौंपी थी और अंतिम रिपोर्ट चार अक्टूबर 2006 को सौंपी गई थी, जिसमें फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने समेत किसानों की दशा सुधारने के लिए किए जाने वाले उपायों के सुझाव दिए गए थे।
कृषि मंत्री लोकसभा में नियम 193 के तहत ‘फसलों की क्षति और किसानों पर उसका प्रभाव’ के तहत बहस का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और सरकार ने किसानों की मदद के कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना शुरू की है जिसके तहत किसानों को सालाना 6,000 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं।
किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के मसले पर तोमर ने बताया कि सरकार ने इसके लिए एक रोडमैप तैयार किया है, जिसके तहत कृषि एवं बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर जो दिया जा रहा है।
उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि बीते पांच साल के दौरान खाद्यान्नों और बागवानी फसलों के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए भी सरकार काम कर रही है। उन्होंने गन्ना किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया।
उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का जिक्र करते हुए कहा कि मनरेगा के तहत 260 स्कीमें हैं जिनमें से 164 कृषि से संबंधित हैं।
तोमर ग्रामीण विकास और पंचायती राज्य मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा के लिए केंद्र सरकार ने इस साल 2019-20 के बजट में 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।

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