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पाक में लुटेरों की सरकार

02:29 AM Feb 23, 2024 IST | Aditya Chopra
पाक में लुटेरों की सरकार

पाकिस्तान में हुए विवादित चुनावों के बाद नई सरकार के गठन को लेकर इंतजार खत्म होने जा रहा है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (बिलावल) में फार्मूले पर सहमति बन गई है। यह दोनों पार्टियां 2022 में एक साथ आ गई थीं। जिसके बाद इमरान खान को नाटकीय ढंग से प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। फार्मूले के अनुसार शहबाज शरीफ दूसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो के पिता आसिफ अली जरदारी दूसरी बार देश के राष्ट्रपति बनेंगे। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने इस नए गठबंधन को जनमत के लुटेरे करार दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इमरान की पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के​ लिए चुनावों में धांधली की गई और जनमत छीन लिया गया।
चुनावों में धांधली के आरोपों केे बीच रावलपिंडी डिवीजन के कमिश्नर लियाकत अली चाथा ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए खुलासा कर ​ दिया है कि इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को हटाने के​ लिए उनकी देखरेख में नतीजे बदले गए और रावलपिंडी में पीएमएलएन के 13 उम्मीदवारों को धांधली से जिताया गया। उन्होंने स्वीकार किया कि उन पर बहुत दवाब था कि उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया था लेकिन बाद में उन्होंने जनता के सामने आने का फैसला किया। हैरानी इस बात की है कि पीएमएलएन के अध्यक्ष नवाज शरीफ ने​ रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा को क्यों त्याग दिया। इसके पीछे भी सेना का दबाव काम आया। आम चुनाव में उनकी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद नवाज शरीफ को सेना ने दो विकल्प दिए थे। एक अन्य सूत्र ने बताया कि पहला विकल्प था कि नवाज शरीफ इस्लामाबाद में गठबंधन सरकार का प्रमुख बने और अपने छोटे भाई शहबाज शरीफ को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाएं। दूसरा विकल्प था कि शहबाज के लिए शीर्ष पद छोड़ें और बेटी मरियम को पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का मौका दें। नवाज ने दूसरा विकल्प चुना। सूत्र ने कहा कि चूंकि 72 वर्षीय शहबाज शरीफ सेना के पसंदीदा थे इसलिए नवाज शरीफ को अंततः बहाने से किनारे किया गया।
पाकिस्तान में सौदेबाजी से बन रही सरकार के हाथों में पाकिस्तान का भविष्य कितना सुरक्षित है, इस संबंध में अवाम अच्छी तरह से जानता है। विडम्बना यह रही कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के निर्दलीय रूप में लड़े उम्मीदवार नैशनल असैम्बली के साथ-साथ खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत में सबसे अधिक सीट जीतने के बाद भी वह सरकार बनाने की दौड़ से बाहर हैं। सेना ने नवाज की पार्टी को जिताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनावों से ठीक पहले एक हफ्ते में इमरान खान को तीन मामलों में सजा सुनाकर इमरान खान को जेल में डाल दिया। इससे इमरान खान के प्रति सहानुभूति की लहर पैदा हो गई। हालांकि इमरान ने सत्ता में रहते युवाओं के लिए कोई खास काम नहीं किया लेकिन युवाओं का झुकाव क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की तरफ ही रहा। फेसबुक, टिकटॉक, ट्वीटर और व्हाट्सएप से जुड़े युवा वोटरों ने इमरान के प्र​ति सहानुभूति लहर पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पीएमएलएन समर्थकों ने भी अपनी पार्टी को वोट नहीं दिया। नवाज शरीफ पर भी भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। कौन नहीं जानता कि नवाज शरीफ परिवार की विदेशों में अकूत सम्पत्ति है और निर्वासन के दौरान वह लंदन स्थित अपने आलीशान घर में रहते हुए वहीं से पार्टी का नेतृत्व करते रहे हैं। नवाज शरीफ परिवार का अच्छा खासा व्यापार है। नवाज शरीफ को एवेन फील्ड और अल अजीजिया मामलों में दोषी ठहराया गया था। तोशाखाना वाहन मामले में उन्हें भगौड़ा घोषित किया गया था। मेडिकल आधार पर उन्हें ब्रिटेन जाने की अनुमति दी गई थी, उन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे।
पाकिस्तान के दोबारा राष्ट्रपति बनने वाले आसिफ जरदारी का इतिहास कौन नहीं जानता। जरदारी मिस्टर 10 पर्सेंट के नाम से कुख्यात रहे हैं। जिन दिनों उनकी पत्नी बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री रहीं, उस दौरान उन पर हर सरकारी ठेके या अन्य काम करवाने की एवज में 10 प्रतिशत दलाली लेने के आरोप लगे। इसी वजह से उनका नाम मिस्टर 10 पर्सेंट पड़ गया। उनके किस्से इतने मशहूर हुए कि नीदरलैंड के स्कूली सिलेबस में मिस्टर 10 पर्सेंट की कहानी पढ़ाई जाने लगी। जरदारी के बारे में एक चैप्टर सिलेबस में रखा गया ​ताकि बच्चे करप्शन की बुराइयों को जान सकें। उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में भी रहना पड़ा। बेनजीर भुट्टो से शादी से पहले तक दक्षिणी सिंध प्रांत में रहने वाले जरदारी को कोई जानता तक नहीं था। बाद में जरदारी को पाकिस्तान का सबसे भ्रष्ट नेता माना गया। 12 साल उन्होंने जेल में बिताए और 2008 में वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए। पाकिस्तान की नई सरकार जनमत के लुटेरों की ही सरकार नहीं बल्कि देश की सम्पत्तियों के लुटेरों की ही सरकार होगी। सौदेबाजी से बनी सरकार पाकिस्तान को आर्थिक संकट आैर गरीबी से कैसे निकाल पाती है, यह देखना होगा। चुनौतियों के बावजूद इमरान भी खामोश बैठने वाले नहीं हैं। देखना होगा कि पाकिस्तान की सियासत क्या करवट लेती है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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