WB: राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति पर ममता सरकार के रवैये पर चिंता प्रकट की
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति पर ममता बनर्जी सरकार के कथित ढुलमुल रूख को लेकर चिंता प्रकट की।
05:27 PM Dec 19, 2021 IST | Desk Team
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच अकसर कई मुद्दों को लेकर आपसी तकरार की खबरें सामने आती है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति पर ममता बनर्जी सरकार के कथित ढुलमुल रूख को लेकर चिंता प्रकट की। उन्होंने सरकार से वह समय-सीमा बताने को कहा, जिसके तहत पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सिफारिश की जाएगी।
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राज्यपाल धनखड़ ने एक ट्वीट में कहा-
राज्यपाल धनखड़ ने एक ट्वीट में कहा,‘‘राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति पर ममता सरकार के ढुलमुल रवैये’ पर चिंता प्रकट करते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘‘ इस बात को जरूर संज्ञान में लिया जाए कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का निष्कर्ष है कि राज्य में ‘कानून का राज नहीं, बल्कि शासक का कानून’ है, इसलिए स्थिति को संभालने की कोशिश की जाए। ’’
कलकत्ता हाईकोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ के आदेश पर आयोग ने यह समिति गठित की थी
राज्य में चुनाव बाद कथित हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा नियुक्त तथ्यान्वेषी समिति ने जुलाई में कहा था कि पश्चिम बगाल में स्थिति ‘‘कानून के राज के बजाय शासक के कानून का परिचायक’ है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ के आदेश पर आयोग ने यह तथ्यान्वेषी समिति गठित की थी। राज्य सरकार ने सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी एवं पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के सदस्य नपराजित मुखर्जी को उसका कार्यवाहक अध्यक्ष बनाना चाहा है।
सरकार को भेजे पत्र में राज्यपाल ने कहा कि मानवाधिकार सुरक्षा अधिनियम, 1993 के तहत राज्य आयोग में एक अध्यक्ष होगा जो किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश रहा हो तथा एक सदस्य उच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश या राज्य में जिला न्यायाधीश रहा हो तथा एक अन्य सदस्य ऐसा व्यक्ति हो, जिसे मानवाधिकार से जुड़े मामलों का ज्ञान हो।
वर्तमान अध्यक्ष 20 दिसंबर, 2021 को अपना पद छोड़ेंगे
धनखड़ ने कहा कि इन सभी तीनों सदस्यों में अध्यक्ष समेत दो सदस्य न्यायपालिका या न्यायिक पृष्ठभूमि से हों। उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति जो सामने आयी है, वह यह है कि वर्तमान अध्यक्ष 20 दिसंबर, 2021 को अपना पद छोड़ेंगे तथा उसके बाद आयोग में एकमात्र सदस्य श्री नपराजित रह जायेंगे। उसके बाद आयोग में न्यायपालिका या न्यायिक पृष्ठभूमि का कोई भी सदस्य नहीं होगा। ’’
राज्यपाल ने यह भी दावा किया कि जब न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) गिरीशचंद्र गुप्ता ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पदभार संभाला, तब से ही सरकार को पता था कि यह पद 20 दिसंबर को खाली हो जाएगा। धनखड़ ने कहा, ‘‘यह समझ से परे है कि क्यों मानवाधिकार सुरक्षा अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए पहले कदम क्यों नहीं उठाये जा सके।’’
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