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अमरीकी सिखों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी का शानदार स्वागत

PM मोदी के अमरीका दौरे के दौरान वहां रह रहे सिखों के द्वारा उनका शानदार स्वागत किया।

11:30 AM Feb 19, 2025 IST | Sudeep Singh

PM मोदी के अमरीका दौरे के दौरान वहां रह रहे सिखों के द्वारा उनका शानदार स्वागत किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमरीका दौरे के दौरान वहां रह रहे सिखों के द्वारा उनका शानदार स्वागत किया गया जिसमें ज्यादातर वह सिख थे जो भारत से अमरीका में जाकर बसे हैं और वहां अपना कारोबार करते हैं मगर उन्हें अपनी कम्युनिटी की चिन्ता हमेशा रहती है। भाजपा से जुड़े सिख नेता गुरमीत सिंह सूरा का मानना है कि आज से पहले शायद किसी भी प्रधानमंत्री ने सिख समुदाय के प्रति इतनी उदारता नहीं दिखाई है। मगर नरेन्द्र मोदी के द्वारा प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही सिख समाज के लिए अनेक कार्य किए गये हैं। क्योंकि वह कुछ समय तक स्वयं पंजाब में सिखी भेष के अन्दर सिखों के बीच रहे हैं, सिख गुरु साहिबान के प्रति उनके दिल में पूरी आस्था है, वह समझते हैं कि सिखों की क्या समस्याएं हैं और उन्हें कैसे हल करना है।

1984 सिख कत्लेआम देश के दामन पर वह बदनुमा दाग है जिसे कभी धोया नहीं जा सकता। आज 40 साल हो चुके हैं मगर आज तक की सरकारों ने कातिलों को सजाएं देना तो दूर उल्टा उन्हें तरक्कियां देकर उच्च पदों पर बिठाया। मगर 2014 में देश में मोदी सरकार ने आते ही सभी पुराने केस जिन्हें पुलिस और प्रशासन ने बन्द ही कर दिया था पुनः खुलवाकर कातिलों को सलाखों के पीछे भेजने का कार्य आरंभ किया। पीड़ित परिवारों को सरकारी नौकरियां दी जा रही हैं। जिसके चलते समूचे सिख समाज को लगता है कि आने वाले समय में जो काम अभी सिखों के रह गये हैं उन्हें भी अवश्य पूरा किया जाएगा।

खालिस्तानी समर्थक हिम्मत सिंह यूएसए ने अमेरिका में सिखों से अपील की थी कि वह 13 फरवरी को व्हाइट हाउस के बाहर इकट्ठा होकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नारे लगाए जाएं क्योंकि वह सोचते हैं कि भारत में सिखों के साथ लगातार अत्याचार हो रहे हैं, वह भारतीय एजेंसियों को उन सिखों की हत्याओं या हत्या के षड्यंत्रों के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, जो विदेश से स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं। उनका उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को यह विश्वास दिलाना था कि सिख भारत में सुरक्षित नहीं हैं, और केवल भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में भी सिखों की स्थिति खराब है। हालांकि हिम्मत सिंह के ऐलान का अमरीका के सिखों पर कोई खास असर देखने को नहीं मिला जिससे यह संकेत साफ जाते हैं कि कोई भी आम सिख भले ही वह भारत का हों या विदेश की धरती पर बैठा हो कोई खालिस्तान का समर्थन नहीं करता।

भाजपा पश्चिमी जिले के उपाध्यक्ष रविन्दर सिंह रेहन्सी का मानना है कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा सिख समुदाय को सम्मान दिया जा रहा और अब दिल्ली में 26 साल बाद भाजपा की सरकार बन चुकी है इसलिए उसमें भी सिख समुदाय को उनका बनता सम्मान अवश्य दिया जाएगा। रविन्दर सिंह रेहन्सी इस जीत के पीछे दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा और सिख नेता मनजिन्दर सिंह सिरसा द्वारा तैयार की गई रणनीति को मानते हैं जहां वीरेन्द्र सचदेवा ने समूचे पंजाबियों को भाजपा के साथ जोड़ा वहीं मनजिन्दर सिंह सिरसा के द्वारा सिखों को भाजपा के समीप लाने में अहम भूमिका निभाई। दिल्ली के सिखों की निगाहें अब भाजपा हाईकमान पर लगी हैं कि वह कितना सम्मान और भागीदारी सिख समाज को देते हैं।

भारत में अमेरिकी आव्रजन नीतियों को लेकर राजनीति गरमाई : अमेरिकी प्रशासन अवैध रूप से वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया तेजी से चला रहा है। इसके परिणामस्वरूप, पहले 104 और फिर 114 भारतीयों को भेजा गया। इन आव्रजनकों को लेकर विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर आ रहे हैं, जिससे न केवल पंजाब के मुख्यमंत्री, बल्कि कांग्रेस के सांसदों और अन्य राजनीतिक नेताओं से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। उनका कहना है कि जब अमृतसर या पंजाब के अन्य शहरों से अमेरिका और कनाडा जैसे देशों के लिए सीधे उड़ान सेवा की मांग की जाती है, तो भारतीय सरकार सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इन मांगों को खारिज कर देती है।

लेकिन अब इन अवैध भारतीय आव्रजनकों को वापस लाने के लिए उड़ानें अमृतसर भेजी जा रही हैं। तो देश के विभिन्न हिस्सों से आए इन व्यक्तियों को वापस लाने के लिए अमृतसर को क्यों चुना गया है? पंजाब को बदनाम क्यों किया जा रहा है? इस पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर. पी. सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि जो लोग इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें यह नहीं पता होगा कि अमृतसर हवाई अड्डा भारत में अमेरिका से सबसे करीबी प्रवेश बिंदु है, इस कारण इसे चुना गया। सिख समाज के लोगों में आव्रजन में इस्तेमाल की जा रही प्रक्रिया का पूरी तरह से विरोध इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि इसमें सिखों को उनकी दस्तार उतार कर बेड़ियों से बांधकर लाया जा रहा है। तख्त पटना साहिब के सुपरीटेंडेंट दलजीत सिंह का मानना है कि भले ही यह लोग अवैध रूप से रह रहे थे, लेकिन उन्होंने गंभीर अपराध नहीं किए। उनका कहना है कि कम से कम विमान पर चढ़ने के बाद इनकी हथकड़ियां हटा ली जानी चाहिए थीं। अमेरिकी प्रशासन की इस कार्रवाई का कारण अब तक स्पष्ट नहीं है मगर यह कई सवालों को जन्म देता है।

बदले की राजनीति के चलते ज्ञानी हरप्रीत सिंह की हुई छुट्टी : तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह को बीते दिनों कारण बताओ नोटिस देकर छुट्टी पर भेज दिया गया था और अब उनकी पूरी तरह से छुट्टी कर दी गई है क्योंकि उन लोगो को ज्ञानी हरप्रीत सिंह का भाजपा नेताओं से मेलजोल रास नहीं आ रहा जो खुद सालों तक भाजपा और आर एस एस के साथ गठबंधन में रहे। अकाली नेताओं और खासकर सुखबीर सिंह बादल को उनके किए गुनाहों पर सजा देने में अहम भूमिका ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा ही निभाई गई क्योंकि पांचों जत्थेदारों में से वह सबसे अधिक सूझवान और तजुर्बेदार थे। यहां तक कि ज्ञानी रघुबीर सिंह में भी इतनी जुर्रत नहीं थी कि वह बादल परिवार के खिलाफ कोई फैसला ले पाते। दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, महासचिव जगदीप सिंह काहलो ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह के समर्थन में डटकर खड़े होने के साथ ही सभी जत्थेदारों को उनका साथ देने की अपील की है।

शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष हरजिन्दर सिंह धामी ने भी इस्तीफा देने के बाद साफ किया कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह पर की गई कार्यवाही गलत थी और वह इसके विरोध में थे। वहीं दिल्ली अकाली दल के नेता परमजीत सिंह सरना ने इस फैसले को सही बताया है, उन्होंने कहा कई बार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को चेतावनी दी गई थी बावजूद इसके उनका भाजपा से मोह बढ़ता चला जा रहा था जिसके परिणाम उन्हें आज भुगतना पड़ा है। वहीं अब ज्ञानी हरप्रीत सिंह भी खुलकर सुखबीर सिंह बादल के विरोध में खड़े हो गये हैं और उन्होंने बादल अकाली दल को श्री अकाल तख्त से भगौड़ा बताते हुए उनके दल को भगौड़ा दल का नाम दिया है जो कि संकेत देता है आने वाले दिनों ज्ञानी हरप्रीत सिंह के द्वारा अकाली दल के खिलाफ सख्त मोर्चा खोलकर, संगत के समर्थन से अकाली दल की मुश्किलों में बढ़ौतरी की जा सकती है।

चरनजीत सिंह नन्दा ने बढ़ाया सिखों का सम्मान : दुनिया की सबसे बड़ी लेखा संस्था, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने पूर्व उपाध्यक्ष चरनजीत सिंह नंदा को 2025-26 के लिए अपना नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। सीए इंटर परीक्षा में 35वीं रैंक प्राप्त करने वाले नंदा 1991 में चार्टर्ड अकाउंटेंट बने। उन्होंने आईसीएआई में विभिन्न नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाईं, जिनमें 2002-03 के लिए उत्तरी भारत क्षेत्रीय परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना भी शामिल है। पूरे कैरियर के दौरान, नंदा ने कई महत्वपूर्ण समितियों की अध्यक्षता की है, जिनमें आंतरिक लेखा परीक्षा मानक बोर्ड, उद्योग में सदस्यों के लिए समिति और महिला सदस्य सशक्तिकरण समिति शामिल हैं। आंतरिक लेखा परीक्षा पर नए मानकों को पेश करने और उद्योगों में काम करने वाले संस्थान और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के बीच संवाद को बढ़ावा देने में उनका नेतृत्व ऐतिहासिक रहा है। सिख बु़िद्धजीवी कुलबीर सिंह ने चरनजीत सिंह नन्दा के इस पद पर आने से समूचे सिखों लिए सम्मान बताया है।

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