भारत में बढ़ रहा स्मार्टफोन बाजार, चिपसेट बाजार ने भी बनाया दबदबा
भारत में स्मार्टफोन और चिपसेट बाजार दोनों में वृद्धि
भारत में लगातार बढ़ती तकनिकों से स्मार्टफोन बाजार भी तरक्की की राह पर है। काउंटरप्वाइंट रिसर्च मासिक इंडिया स्मार्टफोन ट्रैकर के अनुसार, भारत का स्मार्टफोन बाजार 2024 की तीसरी तिमाही में 3 प्रतिशत और मूल्य में 12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ रिकॉर्ड तिमाही हासिल कर रहा है। कुल शिपमेंट में 5G स्मार्टफोन की हिस्सेदारी 81 प्रतिशत थी, जिसमें 93 प्रतिशत 10,001 से 15,000 रुपये की रेंज में थी क्योंकि भारतीय लोगों की पसंद बज़ट के अनुसार 5G मॉडल की थी। चीनी, भारतीय और वैश्विक ब्रांडों द्वारा बेचे जाने वाले स्मार्टफोन के लिए बाजार हिस्सेदारी का बंटवारा पिछले पांच वर्षों में काफी हद तक एक समान रहा है। स्मार्टफोन के उत्पादन को मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाने के प्रयासों से भारतीय बाजार में चीनी स्मार्टफोन के प्रभुत्व में कोई कमी नहीं आई है।
भारतीय उपभोक्ता लगातार अत्याधुनिक सुविधाओं वाले किफायती चीनी स्मार्टफोन के लिए मजबूत प्राथमिकता दिखा रहे हैं। जिससे चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों के प्रभुत्व को कम करने के लिए सरकार के कई प्रयासों के बाद भी, चीनी ब्रांड का प्रचलन काफी हद तक अप्रभावित है। लेकिन अगर चिपसेट की बात करें तो भारत के स्मार्टफोन चिपसेट बाजार में 54 फीसदी हिस्सेदारी के साथ मीडियाटेक का दबदबा रहा। प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट में Apple की 35 प्रतिशत हिस्सेदारी है, इसके बाद क्वालकॉम 28 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। यह इन कंपनियों की सामर्थ्य और तकनीकी प्रगति से प्रेरित विकास को उजागर करता है।
एक स्मार्टफोन चिपसेट संचार से लेकर वाई-फाई और ब्लूटूथ उपयोग से लेकर सामान्य कंप्यूटिंग, पावर प्रबंधन, मेमोरी, स्टोरेज इंटरफ़ेस और परिधीय इंटरफेस तक कार्यों का एक मुख्य सेट प्रदान करता है। चीनी स्मार्टफोन ब्रांडों ने भारत में लगातार बाजार हिस्सेदारी बनाए रखी है, लेकिन चीनी चिपसेट निर्माताओं ने भारतीय बाजार में बहुत मामूली वृद्धि देखी है। चीनी चिपसेट निर्माता भारतीय बाजार में प्रवेश कर रहे हैं और उन्होंने भारत में धीमी गती से बढ़ती हुई बाजार हिस्सेदारी देखी है। काउंटरपॉइंट के अनुसार, UNISOC ने Q2 2023 से Q3 2024 तक वैश्विक स्मार्टफोन चिपसेट बाजार में 11 प्रतिशत हिस्सेदारी रखी, जबकि हुआवेई के पास 2 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वैश्विक स्तर पर, चीन को अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और रिपोर्टों से पता चलता है कि अमेरिका सुरक्षा चिंताओं और डेटा गोपनीयता पर चीनी चिप निर्माताओं को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी कर रहा है।
ऐसी स्थिति में भारत के पास एक बड़ा अवसर है और वह अपने चिप उद्योग को नए सिरे से खड़ा करने के लिए बड़े कदम उठा रहा है। यह घरेलू सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए रणनीतिक प्रयास कर रहा है। 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ सरकार का सेमीकंडक्टर मिशन न केवल आयातित सेमीकंडक्टर आपूर्ति पर निर्भरता को कम करेगा बल्कि भारत को चिप का निर्यातक भी बनाएगा।