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घोर कलियुग...

अब इसे घोर कलियुग कहें या आज का समाज लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के पॉश इलाके पश्चिम विहार में एक विवाहिता बेटी ने अपने प्रेमी के

09:36 AM Mar 17, 2019 IST | Desk Team

अब इसे घोर कलियुग कहें या आज का समाज लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के पॉश इलाके पश्चिम विहार में एक विवाहिता बेटी ने अपने प्रेमी के

अब इसे घोर कलियुग कहें या आज का समाज लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के पॉश इलाके पश्चिम विहार में एक विवाहिता बेटी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने माता-पिता की हत्या कर दी और हत्या भी 110 गज की प्रॉपर्टी के लिए की गई। कल तक महाभारत में पढ़ा-सुना करते थे कि किस प्रकार सगे भाइयों में सिंहासन की खातिर उनके परिवारों में रंजिश बढ़ी। महाभारत का ​युद्ध हो गया। आप इसे अधर्म पर धर्म की जीत कहें या बुराई पर अच्छाई की विजय, परन्तु यह कड़वा सच है कि प्रॉपर्टी की खातिर जंग का इतिहास आज भी जब जीवित दिखाई देता है तो हम रिश्तों को तार-तार होता हुआ देखते हैं। जिस ​विवाहिता लड़की और उसके प्रेमी ने मिलकर डबल मर्डर किया।

उसके पीछे भी प्रॉपर्टी हड़पने का खेल था। दिल्ली के लोग इस घटना को पढ़ने के बाद सिहर चुके हैं लेकिन मैं इस गहराई में जाने से पहले आपसे एक बात शेयर करना चाहती हूं कि कितने ही यूथ और कितने ही अन्य लोग आजकल प्रॉपर्टी की खातिर घर-परिवारों में कोर्ट-कचहरी तक पहुंच चुके हैं। घर के बड़े सदस्य की मौत हो जाए तो घर के लोग ही कब्जा करने के लिए अगर साजिशें करें तो इसे क्या कहेंगे लेकिन यहां मामला उस बेटी से जुड़ा है जिसे लेकर खुद मोदी सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया था। जिस तरह से आज विवाहित यूथ की प्रॉपर्टी पाने की महत्वाकांक्षाएं बढ़ रही हैं।

समय आ गया है कि उन्हें संस्कार दिए जाने चाहिए। मैं संस्कारों को गंगा की तरह पवित्रता के साथ आगे बढ़ाने की हमेशा पक्षधर रही हूं। प्रणाम, पैरी पौणा से लेकर मर्यादाएं निभाने तक की बातें घरों में महिलाएं निभाती हैं। ये काम वह एक बहू के रूप में और बेटी के रूप में निभाती हैं। लेकिन कोई मां-बाप को इतने घिनौने तरीके से कत्ल कर सकता है और यह काम अगर एक बेटी करे तो इस देश में बेटी जैसे रिश्ते पर सचमुच एतबार कैसे किया जाएगा। आज जरूरत इस बात की है कि हम संस्कार अपने बच्चों को दें और इन्हें ही आगे बढ़ाएं।

हमने पोंटी बंधुओं की जान जाते हुए देखी है। ऐसे एक नहीं हजारों उदाहरण दिए जा सकते हैं। बड़े औद्योगिक घरानों में झगड़े सुने हैं परन्तु प्रॉपर्टी पाने के लिए कोई अपने माता-पिता को ठिकाने लगा सकता है, हे भगवान ऐसी प्रॉपर्टी नहीं चाहिए जो मां-बाप के कत्ल होने के बाद ​छीनी जाए उनको जबरदस्ती कैद करके साईन करवाये जाएं। कई और बड़े घरानों में केस अदालतों तक जाते देखे हैं और उन्हें हल होते हुए भी देखा है लेकिन रिश्ते जिस तरह से आजकल तार-तार हो रहे हैं उन्हें बचाएं कैसे? एक टीवी चैनल ने मुझ से इसी विषय पर चर्चा करनी चाही तो मैंने इतना ही कहा कि अगर आपके पास संस्कार हैं तो आपका कोई कुछ छीन नहीं सकता और जो छीनने की कोशिश करेगा उसे फल भी यहीं मिलेगा। मैंने उनके साथ अखबारों की सुर्खियों का उदाहरण दिया जिनमें लिखा था दो भाइयों ने मिलकर अपने भाई से प्रॉपर्टी हड़प ली। दो बहनों ने अपनी मां से प्रॉपर्टी के लिए वसीयत पर हस्ताक्षर करवाकर विदेश में बैठी बड़ी बहन को बेदखल कर दिया। भाई ने दो बहनों का कत्ल कर दिया और प्रॉपर्टी हड़प ली।

सवाल पैदा होता है कि क्या उन्हें प्रॉपर्टी ​मिली। साजिश का ​अंत जेल ही है। अब उस प्रॉपर्टी का क्या मोल जिसके लिए आपने अपने प्रियजनों की भावनाओं का कत्ल कर दिया और खुद जेल पहुंच गए। भगवान से प्रार्थना है कि रिश्तों को तार-तार होने से बचाएं। प्रॉपर्टी के लिए कत्लोगारत न हो, हे भगवान आपसे यही प्रार्थना है। क्योंकि सैकड़ों बार अपने विचार चैनलों पर भी व्यक्त किए। इंसान नहीं समझता। पर हे करुणानिधान आप हमारेे विनति सुनकर मां-बाप, भाई-बहन, बेटा-बेटी और भैया-भाभी जैसे रिश्तों की पवित्रता को कलंकित न होने दें।

संस्कार जीवित रहने चाहिएं यही जीवन है, यही सबसे बड़ी प्रॉपर्टी है और हमें इस बात की खुशी है कि हमारे पास संस्कार हैं और इसीलिए हमें बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद मिल रहे हैं। हमें यही पूंजी चाहिए। हे भगवान आप रिश्ते तार-तार करने वालों और साजिश करने वालों को दंडित करें क्योंकि आप से बड़ी अदालत किसी की नहीं। हे कृपानिधान इस दुनिया आैर दुनिया के रिश्तों को बचाएं, यही गुहार है।

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