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राजस्व बढ़ने पर जीएसटी दरें और घटेंगी

piyush goyal ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली उन्हें बार-बार यही बताते हैं कि व्यापारी हमारा दोस्त है, हमारा दुश्मन नहीं है।

11:51 AM Jul 24, 2018 IST | Desk Team

piyush goyal ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली उन्हें बार-बार यही बताते हैं कि व्यापारी हमारा दोस्त है, हमारा दुश्मन नहीं है।

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने जीएसटी परिषद की 28वीं बैठक में करीब 80 वस्तुओं पर कर दरों में की गयी कमी का हवाला देते हुये कहा कि जीएसटी राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी होने पर आगे इसकी दरों में और कमी किये जाने के संकेत दिये। गोयल ने खुदरा व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय व्यापारी महाधिवेशन में यह संकेत दिये और कहा कि पांच करोड़ रुपये तक के कारोबारियों एवं उद्यमियों के लिए मासिक जीएसटी जमा करने और तिमाही रिटर्न भरने की व्यवस्था कर अनुपालना एवं कारोबार करने के तौर तरीकों को सरल बनाने की दिशा में उठाया गया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली उन्हें बार-बार यही बताते हैं कि व्यापारी हमारा दोस्त है, हमारा दुश्मन नहीं है। भारत का व्यापारी मूलत: ईमानदार है और चाहता है कि व्यवस्था के साथ काम करे। उनके खून में ईमानदारी है। उन्होंने कहा कि जो भी प्रणाली बने वो सरल हो, समझने में आसान हो, क्रियान्वित करने में लोगों को सहूलियत हो, इसी दिशा में देश को ले जाना है। इसके साथ ही करदाता को अफसरशाही से मुक्त करना है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की दिली इच्छा है कि व्यापार करने का जो तरीका है वे सरल हो जाये और लोगों को अपना व्यापार बढ़ाने के लिये सहूलियत मिले, व्यवस्था ऐसी हो कि व्यापार में जो प्रतिस्पर्धी हों वे गुणवत्ता पर हो न कि गलत तरीके से आगे बढ़ाने की हो। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में वह पहली बार शामिल हुये हैं लेकिन अब तक इस परिषद ने सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये हैं। 28वीं बैठक में भी सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये गये।

अपनी-अपनी बात रखते हुए अंत में सभी राज्यों ने निर्णय को स्वीकार किया, सभी चाहते हैं कि देश में व्यापार सरल हो, मांग बढ़े और देश की अर्थव्यवस्था में उछाल आये। गोयल ने कहा कि सभी राज्यों के वित्त मंत्री यह बात एक स्वर से बोले कि क्यों न पांच करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वालों को यह छूट दी जाये कि वे ईमानदारी से हर महीने कर भरें।

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