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गुजरात फेफड़ों के कैंसर के इलाज का प्रमुख केंद्र बना, 5 साल में करीब चार हजार मरीजों का इलाज

02:43 AM Aug 01, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत' से प्रेरित होकर गुजरात में स्वास्थ्य सेवाएं आगे बढ़ रही हैं। अहमदाबाद स्थित गुजरात कैंसर एवं अनुसंधान संस्थान (जीसीआरआई) इस मिशन में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है। इसने पिछले पांच साल में हजारों फेफड़ों के कैंसर के मरीजों को उन्नत उपचार प्रदान किया है। इसमें पीएमजेएवाई-एमए योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुजरात एक स्वस्थ समाज के लिए केंद्रित पहलों और निरंतर नवाचार के माध्यम से मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जिससे पूरे देश को लाभ हो रहा है। गुजरात को चिकित्सा उत्कृष्टता के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने पूरे भारत के मरीजों का विश्वास अर्जित किया है। यह बढ़ता विश्वास पिछले पांच वर्षों में गुजरात में फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या से परिलक्षित होता है। जीसीआरआई ने 2020 से 2024 तक कुल 4,397 फेफड़ों के कैंसर रोगियों का इलाज किया।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-मां अमृतम (पीएमजेएवाई-एमए) योजना ने गुजरात में फेफड़ों के कैंसर के इलाज को आसानी से उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले पांच साल में इस पहल के माध्यम से हजारों मरीजों को उन्नत देखभाल प्राप्त हुई है, जिससे आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को काफी राहत मिली है। वित्तीय बोझ कम करके और समय पर इलाज सुनिश्चित करके, इस योजना ने कई लोगों की जान बचाने में मदद की है। उल्लेखनीय रूप से, राज्य की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से आकर्षित होकर, अन्य राज्यों के 1,426 फेफड़े के कैंसर के मरीज़ों ने भी गुजरात में इलाज की इच्छा जताई है। यह बढ़ता विश्वास न केवल गुजरात के लोगों के लिए, बल्कि पूरे भारत के मरीज़ों के लिए, कैंसर देखभाल के एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में गुजरात के उभरने को दर्शाता है।

जीसीआरआई ने विश्व फेफड़े के कैंसर दिवस के अवसर पर नागरिकों से फेफड़े के कैंसर की रोकथाम, शीघ्र पहचान और समय पर इलाज के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया। संस्थान ने बताया कि भारत में 40 प्रतिशत से ज्‍यादा फेफड़े के कैंसर के मामलों का इलाज सीमित जागरूकता के अभाव के कारण देरी से शुरू होता है, जिससे इलाज ज्‍यादा जटिल हो जाता है और परिणाम की अनुकूलता कम होती है। जीसीआरआई ने विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे लंबे समय से धूम्रपान करने वालों और पर्यावरण प्रदूषकों के संपर्क में रहने वालों से शीघ्र जांच के लिए सीटी स्कैन कराने की अपील की है।

विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर निदान और त्वरित चिकित्सा हस्तक्षेप से ऐसे मरीजों की जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होता है। जीसीआरआई के निदेशक डॉ. शशांक पंड्या ने कहा कि फेफड़ों के कैंसर के खिलाफ जागरूकता ही हमारा सबसे बड़ा बचाव है। शीघ्र जांच, तंबाकू छोड़ना और चेतावनी के संकेतों को पहचानना लोगों की जान बचा सकता है। जीसीआरआई में हम प्रत्येक रोगी के लिए अत्याधुनिक निदान और समग्र देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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