Top NewsWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

Gujarat election 2022: इस बार गुजरात चुनाव में भारत के 17 हजार नागरिक नहीं दे पाएंगे वोट ?

जेल में यदि कोई कैदी है तो वह चुनाव तो लड़ सकता है, लेकिन वोट नहीं दे सकता. संविधान में 1951 की धारा 62 (5) के हिसाब से न्यायिक आदेश से या जेल में बंद व्यक्ति को वोट देने का मौका नहीं दिया जा सकता. कोर्ट के आदेश पर सिर्फ उन्हीं बंदियों को मौका मिल सकता है जो निषेधाज्ञा में निरुद्ध हैं. यदि कोई बंदी ये चाहता है कि वह मताधिकार का प्रयोग करे तो उसे पैरोल लेनी पड़ती है, लेकिन वह भी मतदान के नाम पर नहीं मिल सकती,

06:52 PM Nov 10, 2022 IST | Desk Team

जेल में यदि कोई कैदी है तो वह चुनाव तो लड़ सकता है, लेकिन वोट नहीं दे सकता. संविधान में 1951 की धारा 62 (5) के हिसाब से न्यायिक आदेश से या जेल में बंद व्यक्ति को वोट देने का मौका नहीं दिया जा सकता. कोर्ट के आदेश पर सिर्फ उन्हीं बंदियों को मौका मिल सकता है जो निषेधाज्ञा में निरुद्ध हैं. यदि कोई बंदी ये चाहता है कि वह मताधिकार का प्रयोग करे तो उसे पैरोल लेनी पड़ती है, लेकिन वह भी मतदान के नाम पर नहीं मिल सकती,

गुजरात में विधानसभा चुनाव होने है राजनीतिक दल पूरे ताकत के साथ चुनाव में प्रचार करने उतरे हैं सभी की नजर वोट पर है जिसे इकट्ठा करने की कोशिश जोरों पर है। दूसरी तरफ चुनाव की जिम्मेदारी निभाने वाला चुनाव आयोग जनता से वोट करने की अपील कर रहा है बडी़ संख्या में मतदाता वोट देने भी पहुंचेंगे इन सबके बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो वोट नहीं दे पाएंगे आंकड़ों के मुताबिक 17 हजार लोग वोट नहीं दे पाएंगे अब आप सोच रहे हैं कि ये 17 हजार लोग कौन हैं तो बता दें  कि ये लोग वे अपराधी हैं जो किसी न किसी जुर्म की सजा काट रहे हैं या किसी आपराधिक मामले में विचाराधीन हैं.।जेल के नियम के मुताबिक ये चुनाव कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकते. कानून के मुताबिक अब आचार संहिता लागू हो गई है, ऐसे में इन्हें पैरोल भी नहीं दी जा सकती।
जेल से चुनाव लड़ सकते हैं, वोट नहीं दे सकते
जेल में यदि कोई कैदी है तो वह चुनाव तो लड़ सकता है, लेकिन वोट नहीं दे सकता. संविधान में 1951 की धारा 62 (5) के हिसाब से न्यायिक आदेश से या जेल में बंद व्यक्ति को वोट देने का मौका नहीं दिया जा सकता. कोर्ट के आदेश पर सिर्फ उन्हीं बंदियों को मौका मिल सकता है जो निषेधाज्ञा में निरुद्ध हैं. यदि कोई बंदी ये चाहता है कि वह मताधिकार का प्रयोग करे तो उसे पैरोल लेनी पड़ती है, लेकिन वह भी मतदान के नाम पर नहीं मिल सकती, उसके लिए भी कोई गंभीर मामला या कोई बड़ी जरूरत होनी चाहिए, तभी कोर्ट अनुमति देता है. आंकड़ों के मुताबिक  गुजरात की 32 जेलों में 17 हजार से ज्यादा कैदी बंद हैं, इनमें पुरुष कैदियों की संख्या ज्यादा है। इस वक्त वड़ोदरा सेंट्रल जेल में 3400, राजकोट में 1500, सूरत में 2800 जामनगर में 600 कैदी बंद हैं, इसके अलावा साबरमती जेल में 3400 कैदी हैं।

Advertisement
Advertisement
Next Article