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गुजरात कनिष्ठ लिपिक परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होने के बाद रद्द, ATS ने 16 व्यक्तियों को किया गिरफ्तार

कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती के लिए गुजरात सरकार की रविवार को होने वाली प्रतियोगी परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होने की बात सामने आने के बाद रद्द कर दी गई। इस संबंध में 16 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
गुजरात कनिष्ठ लिपिक परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होने के बाद रद्द, ATS ने 16 व्यक्तियों को किया गिरफ्तार
कनिष्ठ लिपिकों की भर्ती के लिए गुजरात सरकार की रविवार को होने वाली प्रतियोगी परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होने की बात सामने आने के बाद रद्द कर दी गई। इस संबंध में 16 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
गुजरात पंचायत सेवा चयन बोर्ड (जीपीएसएसबी) ने रविवार सुबह तड़के परीक्षा स्थगित करने की घोषणा की, जो कि 2,995 केंद्रों पर पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होने वाली थी। 1,181 पदों के लिए 9.5 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।
गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने कहा कि उसने इस संबंध में 16 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से प्रश्नपत्र की प्रति बरामद की।
जीपीएसएसबी के प्रभारी अध्यक्ष संदीप कुमार ने बाद में घोषणा की कि परीक्षा 100 दिनों के भीतर आयोजित की जाएगी और अगले कुछ दिनों में एक नयी तारीख की घोषणा की जाएगी।
गुजरात एटीएस के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुनील जोशी ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस मामले में अब तक 16 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 15 वडोदरा से और एक व्यक्ति हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि 16 आरोपियों में से सात बिहार के एक गिरोह का हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य एटीएस ने वडोदरा में स्टैकवाइज टेक्नोलॉजी नाम के एक कंप्यूटर परीक्षा केंद्र से शनिवार देर रात लगभग 1.30 बजे 15 आरोपियों को पकड़ा, जब वे प्रश्नपत्र की प्रति के साथ वहां एकत्रित हुए थे। उनके पास से बरामद प्रश्नपत्र मूल पेपर से मेल खा रहा था, जिसके बाद सरकार ने परीक्षा स्थगित करने का तत्काल फैसला किया।’’
जोशी ने कहा कि इस गुप्त सूचना के आधार पर कि प्रदीप नायक के तौर पर पहचाना गया ओडिशा का एक व्यक्ति वडोदरा शहर में केतन बारोट और भास्कर चौधरी को प्रश्नपत्र देने जा रहा है, एटीएस ने सूरत अपराध शाखा और वडोदरा विशेष अभियान समूह (एसओजी) के कर्मियों को शामिल करते हुए एक विशेष टीम का गठन किया। उन्होंने बताया कि उक्त टीम ने परीक्षा केंद्र से 15 लोगों को प्रश्नपत्र की फोटो कॉपी के साथ गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हमने जीपीएसएसबी से संपर्क किया, तो उसने पुष्टि की कि प्रतियां मूल प्रश्नपत्र से मेल खाती हैं। तुरंत परीक्षा स्थगित करने का निर्णय लिया गया।’’
उन्होंने कहा कि आगे की जांच से पता चला कि नायक को प्रश्नपत्र की कॉपी जीत नायक नाम के व्यक्ति ने दी थी, जो हैदराबाद में के. एल. हाईटेक प्रेस में काम करता है, जहां पेपर छपा था। उन्होंने बताया कि एक टीम हैदराबाद पहुंची और नायक को गिरफ्तार कर लिया जिसे गुजरात लाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बारोट और चौधरी को पूर्व में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए गए मामलों में गिरफ्तार किया गया था। जोशी ने कहा कि चौधरी बिहार का मूल निवासी है और वडोदरा में रहता है ।
जोशी ने कहा, ‘‘ओडिशा के आरोपियों ने बिहार के गिरोह के माध्यम से चौधरी और बारोट से संपर्क किया। चौधरी और बरोट ने फिर गुजरात में आरोपियों से संपर्क किया और उन सभी ने वडोदरा में चौधरी के परीक्षा केंद्र पर इकट्ठा होने का फैसला किया।’’
उन्होंने कहा कि ज्यादातर आरोपी शिक्षा परामर्श कार्य से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406 और 409, 420 और 120 (बी) के तहत एक मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच एटीएस द्वारा की जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आगे की जांच से पैसे के लेन-देन और इस संबंध में छात्रों की संलिप्तता का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य से वांछित आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए एटीएस की एक टीम को ओडिशा भेजा गया था।
कार्यप्रणाली का खुलासा करते हुए, जोशी ने कहा कि नायक एक आरोपी मुरारी पासवान के नेतृत्व वाले बिहार के एक गिरोह के संपर्क में आया। उन्होंने कहा, ‘‘पासवान और उसके गिरोह के सदस्य मिंटू कुमार ने वडोदरा के आरोपी व्यक्तियों से संपर्क किया। पासवान गिरोह के माध्यम से आपूर्तिकर्ता समूह प्राप्तकर्ताओं के संपर्क में आया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनमें से ज्यादातर शिक्षा परामर्श में शामिल हैं, और एक नर्सिंग कॉलेज का सह-मालिक है। हमने 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है।’’
इससे पहले दिन में जीपीएसएसबी के संदीप कुमार ने पत्रकारों को बताया कि परीक्षा अगले 100 दिन में आयोजित की जाएगी।
बोर्ड ने अभ्यर्थियों को हुई असुविधा के लिए खेद व्यक्त किया और घोषणा की कि परीक्षा जल्द से जल्द नए सिरे से आयोजित की जाएगी, जिसके लिए बोर्ड एक नया विज्ञापन जारी करेगा।
इस बीच, रविवार को दूर-दराज के क्षेत्रों से परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे अभ्यर्थियों ने घटनाक्रम पर रोष जताया।
पुलिस के अनुसार, कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के सदस्यों ने सड़कों को जाम कर दिया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस के अनुसार उनमें से कई को राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिरासत में लिया गया। पुलिस के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
कुछ नाराज अभ्यर्थियों ने पेपर लीक के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
व्यवस्था बनाए रखने के लिए परीक्षा केंद्रों और बस स्टैंड पर पुलिस की तैनाती की गई।
इस संबंध में एक अभ्यर्थी ने कहा, ‘‘नियमित रूप से हो रही पेपर लीक की घटनाओं के कारण अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर असहाय और अनिश्चित महसूस करते हैं। सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो। हम दूर-दराज से यात्रा करके और दिक्कतों के बीच यहां तक ​​पहुंचे और पता चला कि परीक्षा रद्द कर दी गई है।’’
राज्य में विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
आप की गुजरात इकाई के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने मांग की कि सरकार राज्य में पेपर लीक मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करे।
गढ़वी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एसआईटी के अलावा, हम मांग करते हैं कि सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र में पेपर लीक के खिलाफ एक सख्त कानून लाए। सरकार को प्रत्येक अभ्यर्थी को 50,000 रुपये का मुआवजा देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनसे फिर से फीस नहीं ली जाए।’’
गुजरात विधानसभा का बजट सत्र 23 फरवरी से शुरू होगा।
गुजरात कांग्रेस ने भी इस प्रकरण को लेकर सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा, ‘‘भाजपा शासन में भर्ती एजेंसियां भ्रष्टाचार का केंद्र बन गई हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘'युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली भाजपा सरकार एक दिन भी सत्ता में रहने के लायक नहीं है... 2014 से अब तक ऐसे करीब 31 मामले सामने आ चुके हैं। यह समझना मुश्किल है कि भाजपा ऐसे मामलों को क्यों रोक नहीं पा रही है।’’
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