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'भयमुक्त जीवन का मंत्र' गुरु तेग बहादुर की 5 शिक्षाएं, आज के दौर में भी आएगी काम

12:48 PM Nov 24, 2025 IST | Kajal Yadav
Guru Tegh Bahadur Teachings (Source: punjab kesari files)

Guru Tegh Bahadur Teachings: सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन बड़ी ही कठिनाइयों से गुजरा था। उन्हें त्याग, तप, मानवता और सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक माना जाता है। धर्म, मानवाधिकार और निष्पक्षता की रक्षा के लिए उनका योगदान न केवल सिख इतिहास है, बल्कि विश्व इतिहास में भी अद्वितीय है। गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाएं आज भी मानव जीवन को आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिकता सिखाती हैं और आधुनिक समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। जितनी तीन शताब्दी पहले थीं।

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गुरु तेगबहादुर सिख इतिहास ही नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए साहस, करुणा और त्याग का उदाहरण हैं। उनके जीवन से हमें ये सीख मिलती है कि सच्चाई और धर्म की रक्षा केवल शास्त्रों से नहीं होती, बल्कि उसके लिए खड़े होने का हौसला भी चाहिए। आज के समय में जब लोग छोटी-छोटी बातों पर समझौता कर लेते हैं, या पीछे हट जाते हैं, तब हमे गुरु तेगबहादुर के जीवन से कई प्रेरणा मिलती है। आइए जानते हैं कि सिखों के नौवें गुरु और धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटा देने वाले गुरु तेग बहादुर की शहादत हमें जीवन के कौन से गहरे सबक सिखाती है।

Guru Tegh Bahadur Teachings: गुरु तेगबहादुर से सीखें जीवन के मंत्र

Guru Tegh Bahadur Teachings (Source: AI)

अन्याय का निडरता से सामना करो

गुरु तेगबहादुर ने कश्मीरी ब्राह्मणों के धर्म की रक्षा के लिए अपने जान की कुर्बान दी थी। उन्होंने साबित किया कि धर्म का मतलब केवल पूजा-पाठ नहीं है, बल्कि किसी भी पीड़ित को उसका अधिकार दिलाना है। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि जब बात सच्चाई की हो, तो डरना नहीं चाहिए। उसका डट कर सामना करना चाहिए।

अपने फैसले पर टिके रहो

गुरु तेगबहादुर को त्याग का प्रतीक भी माना जाता है। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं छोड़ा। चाहे मुगल बादशाह औरंगज़ेब का दबाव रहा हो या कठोर यातनाएं, वो अपनी बात पर अड़े रहे। आज के समय में लोग छोटी-छोटी बातों में संयम खो देते हैं, लेकिन गुरु तेगबहादुर हमें सिखाते हैं कि संयम के साथ अपने फैसले पर टिके रहने से ही असली विजय होती है।

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day (Source: AI)

कमजोरों के लिए खड़े होना

गुरु तेगबहादुर ने अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के अधिकारों के लिए बलिदान दिया था। कश्मीरी पंडित मुगलों के सामने बहुत कमजोर थे। लेकिन गुरु तेगबहादुर उनके लिए खड़े रहे और उनकी हिम्मत बने। उन्होंने उनके लिए अपना सिर कटा लिया। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि इंसानियत के लिए आगे बढ़ना ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने साबित कर दिया कि समाज तभी महान बनता है, जब लोग केवल अपने बारे में नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी आवाज उठाते हैं।

डर के आगे जीत है

गुरु तेगबहादुर के जीवन से हमें ये सीख मिलती है कि कभी भी डरना नहीं चाहिए। भय हमारे मन का भ्रम है। जब मन ‘सही’ जानता है और रास्ता ‘धर्म’ का होता है, तो मौत भी कमजोर पड़ जाती है। किसी भी परिस्थिति में खुद को मजबूत बनाए रखना ही सच्ची आध्यात्मिक शक्ति है।

बलिदान सबसे बड़ा धर्म

गुरु तेग बहादुर से हम सीखते हैं कि महानता पद, धन या शक्ति में नहीं, बल्कि त्याग में होती है। आज के समय में यह सीख और भी जरूरी है। कभी-कभी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर निर्णय लेना ही सामाजिक लोगों की मदद करना है।

गुरु तेगबहादुर के जीवन के कई प्रसंग ऐसे हैं, जो हर किसी को प्रेरित कर सकते हैं। लेकिन जब बात गुरु के शहादत की आती है, तो मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा सामने आती है। वह हमें सिखाती है कि सच्चाई पर डटे रहो, दूसरों के लिए खड़े रहो और जीवन में किसी से मत डरो।

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