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गुरूरामदास लंगर हाल में परिवार के संग प्रसादा बनाकर निभाई सेवा

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01:29 PM Feb 22, 2018 IST | Desk Team

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लुधियाना-अमृतसर : सात समुद्र पार कनाडा के 46 वर्षीय प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आज अपने परिवार समेत 16 मैंबर पार्लीमेंट और 5 कैबिनेट मंत्रियों के संग गुरु की नगरी श्री अमृतसर साहिब पहुंचे। उन्होंने रूहानियत की सर्वोच्च शक्ति श्री दरबार साहिब जी के दर्शनों से पहले शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों और आसपास की खड़ी संगत ने बोले सो निहाल.. सतश्री अकाल के जयकारों के साथ बुलंद आवाज में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। शिरोमणि कमेटी के मुख्य सचिव डॉ रूप सिंह और एसजीपीसी अध्यक्ष जत्थेदार गोबिंद सिंह लौंगोवाल की मौजूदगी में शिरोमणि अकाली दल प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने फूलों का गुलदस्ता देकर उन्हें जी आया नूं.. कहा। इस अवसर पर दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान मंजीत सिंह जीके भी मौजूद थे।

इस दौरान सिविल पुलिस प्रशासन और शिरोमणि कमेटी टास्क फोर्स के सदस्यों समेत कई केंद्रीय और कनाडाई सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी सुरक्षा का जिम्मा संभाल रखा था। जबकि चप्पे-चप्पे पर दो हजार से अधिक पुलिस अधिकारी और तैनात कनाडाई कमांडो साथ चल रहे थे। स्मरण रहे कि श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने वाले जस्टिन ट्रूडो कनाडा के तीसरे प्रधानमंत्री है। इनसे पहले 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री जीनक्रिटीन और 2013 में स्टीफन हारर्प भी श्री दरबार साहिब में शीश झुका चुके है। दरबार साहिब में पहुंचने से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र जी की तरफ से कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, सांसद गुरजीत सिंह ओजला और मेयर कर्मजीत सिंह रिटु ने भी अंतरराष्ट्रीय गुरूरामदास हवाई अडडे पर जाकर पुष्पगुच्छा देकर उनका तहदिल स्वागत किया।

दरबार साहिब में दाखिल होने से पहले जस्टिन ट्रूडो और उनकी पत्नी सोफी ग्रे गोरी और बच्चों ने पंजाबी पहरावा पहन रखा था। सच्चखंड श्री हरमंदिर साहिब की ढयोड़ी में आम श्रद्धालु की भांति ना केवल उन्होंने झुककर वाहेगुरू का शुक्राना किया बल्कि चारों तरफ सुरक्षा घेरे के बाहर खड़ी संगत को भी हाथ जोडक़र नमस्कार कहते हुए अभिवादन किया। स्मरण रहे कि जस्टिन ट्रूडो ने इन दर्शनों से पहले स्पष्ट कहा था कि वह एक आम श्रद्धालु की भांति माथा टेककर उस रूहानियत के दर्शन करना चाहते है जिनके बारे उसने सुन रखा था। सच्चखंड श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने से पहले वह श्री गुरू रामदास लंगर हाल भी गए , जहां परिवार संग प्रसादा बनाकर सेवा निभाई। उन्होंने श्री गुरु राम दास लंगर हाल में जा कर बन रहे लंगर और संगत को बरताए जा रहे गुरु के लंगर की प्रथा को देखा और समझा। इस दौरान एसजीपीसी के दो चुनिंदा अधिकारियों ने सदियों से चली आ रही लंगर हाल की सेवा के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी ली। दरबार साहिब परिक्रमा में एक ममतामयी मां की तरह सोफी ग्रे गोरी, गुरू घर की मर्यादा मुताबिक अपनी 9 वर्षीय इलाग्रेस बेटी के सिर पर रखे दुपटटे कई बार ठीक करते देखी गई जबकि 10 वर्षीय बड़ा बेटा कसावीयर अपने पापा के संग कदम ताल मिलाता बड़ी उत्सकुकता के साथ हर नजारे को अपने जहन में कैद कर रहा था।

सच्चखंड श्री हरिमंदिर साहिब में सत्कार भेंट करते हुए जहां कड़ाहा प्रसाद की देग करवाई वही हाथ जोड़े जस्टिन ट्रूडो ने ना केवल अपने परिवार और देश के लिए मंगल कामनाएं की बल्कि विश्व और मानवता की खातिर सरबत के भले के लिए गुरू घर अरदास भी की। इस दौरान उन्होंने अपने परिवार के संग श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के लिए कनाडा से लाए गए विशेष रूमाला साहिब को बड़े अदब और सत्कार के साथ मुख्य ग्रंथी सिंह ज्ञानी जगतार ङ्क्षसह जी को सौंपा। जबकि दरबार साहिब के प्रमुख सिंह साहिब ज्ञानी जगतार सिंह जी ने उन्हें गुरू घर की बख्शीश रूपी गुलाबों के पुष्पगुच्छ के संग सिरौपा देकर सम्मानित किया। इस दौरान उनके परिवार के सदस्यों को भी सिरौपे और प्रसादे के रूप में मीठे पताशे देकर निहाल किया। सच्चखंड श्री हरिमंदिर साहिब में परिक्रमा के दौरान इस स्थान के इतिहास, धार्मिक और सामाजिक महत्वता के बारे में भी डॉ रूप सिंह जानकारी देते रहे, जिन्हें पीएम ने बड़ी गंभीरता से सुना।

हरिमंदिर साहिब में माथा टेकने के बाद प्रधानमंत्री ट्रूडो को एसजीपीसी की ओर से श्री हरिमंदिर साहिब के नए बने सूचना केंद्र में शिरोमणि क मेटी द्वारा श्री हरिमंदिर साहिब का 24 कैरेट गोल्ड से निर्मित विशेष माडल, गुरू घर की बख्शीश श्रीसाहिब (छोटी कृपाण) संकेतिक रूप में दी गई। जबकि श्रीमती ट्रूडो को लोई (दोशाला), सिख धर्म से संबंधित धार्मिक पुस्तकों का सैट और बच्चों को भी सिख धर्म से जुड़ी सहचित्र किताबों का सैट श्री हरिमंदिर साहिब के मॉडलों के साथ दिया गया। ताकि उनके जहन में तमाम उम्र रूहानियत के शक्तिपुंज सच्चखंड दरबार साहिब की यादें बनी रहें। उन्होंने विस्टर बुक में भी लिखा कि यहां आना उनके लिए गर्व की बात है।

उनको एक खूबसूरत और महान पावन स्थान के दर्शन करते समय बेहद सत्कार प्राप्त हुआ है। जहां नतमस्तक होकर हमें प्रभु कृपा और नम्रता का अनुभव महसूस हुआ। जस्टिन ट्रूडो परिक्रमा से बाहर निकलते समय दोनों तरफ खड़ी संगत को दोनों हाथ जोडक़र सतश्री काल और बोले सो निहाल का जयकारा भी लगवाया और संगत ने भी जयकारे का जवाब दिया। जस्टिन ट्रूडो के नतमस्तक हेाने के बाद एसजीपीसी प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने कहा कि सिखों के केंद्रीय स्थान पर कनाडियन प्रधानमंत्री के नतमस्तक होने से दुनियाभर में रहने वाले सिखों की पहचान को बल मिलेंगा। उन्होंने विदेशो में सिखों पर हो रहे नस्ली हमलों को रोकने में सहायता मिलेंगी। उन्होंने कनाडियन पीएम के सच्चखंड श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक होने पर भरपूर धन्यवाद दिया।

खालसाई ड्रेस में तैनात रही एसजीपीसी की टास्क फोर्स
एसजीपीसी की टास्क फोर्स को खालसाई ड्रेस में पहली बार विशेष तौर पर ड्रेस कोड देकर तैनात किया गया था। टास्क फोर्स के सदस्यों ने सफेद कुर्ता-पाजयामा और काली जैकेट के साथ पीली पगडिय़ा सजा रखी थी। जबकि कमेटी के अधिकारियों के सिर पर नीले रंग की दस्तारें सुशोभित थी। परिक्रमा की सारी सुरक्षा एसजीपीसी की टास्क फोर्स और पंजाब पुलिस की सिविल ड्रेस पुलिस के पास रही। जबकि कनाडियन सरकारी जहाज द्वारा आए हुए रॉयल कनाडियन माउंटिड पुलिस (आरसीएमपी) ने भी प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनके पारिवारिक सदस्यों को सुरक्षा घेरे में ले रखा था।

– सुनीलराय कामरेड

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