Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

एच-1बी वीजाः भारतीयों पर कुठाराघात

NULL

11:31 PM Jan 06, 2018 IST | Desk Team

NULL

अमेरिका एच-1बी वीजा संबंधी नियमों को सख्त बनाने पर विचार कर रहा है। इसके तहत एच-1बी वीजा को और विस्तार देने पर रोक लग जाएगी। भारत के लाखों सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवर इस वीजा का इस्तेमाल करते हैं। नियमों में बदलाव से उनके लिए संकट खड़ा हो जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘बाय अमेरिकन हायर अमेरिकन’ पहल का यह हिस्सा है। अब तक अमेरिका में शिक्षित, प्रतिभाशाली प्रवासियों का खुले दिल से स्वागत करने की परंपरा रही है लेकिन ट्रंप सरकार लगातार पाबंदियां लगा रही है। इस कदम से ऐसे लाखों विदेशी कर्मचारी जिनका ग्रीन कार्ड आवंटन लंबित है, उनके द्वारा एच-1बी वीजा कायम रखने पर सीधे रोक लग जाएगी। अमेरिका का इतिहास देखें तो अप्रवासी लोगों का अमेरिका के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अब तक अमेरिका की तकनीकी उत्कृष्टता में अप्रवासी भारतीयों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है लेकिन ट्रंप की संरक्षणवादी प्रवृतियों और दक्षिणपंथी सियासत के ज्वार में व्हाइट हाऊस तक पहुंचे ट्रंप ने एक के बाद कई कदम उठाते हुए ऐसा वातावरण बना दिया है जो अ​प्रवासियों के लिए कटुता आैर दुराग्रह के बीज बो रहा है। अप्रवासियों के लिए एच-1बी वीजा की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में रहने की दरकार इसलिए भी थी कि एच-1बी वीजा पर अमेरिका में स्थापित मानदंडों पर खरे उतरने के बाद स्थायी निवास के लिए ग्रीन कार्ड की उम्मीद लगी रहती थी।

अब अमेरिकी डिपार्टमैंट आफ होमलैंड सिक्योरिटी ने एेसे नियमों काे पुनः परिभाषित करने का प्रयास किया है, जिनके आधार पर एच-1बी वीजा अव​​धि समाप्त होने के बाद अप्रवासियों को अमेरिका में बने रहने की अनुमति मिलती रही है। ट्रंप प्रशासन का यह बदलाव अमेरिका में काम करने वाले लगभग 5 लाख भारतीयों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिका में काम करने वाले लाखों भारतीय आई.टी. कर्मचारियों को खुद स्वदेश जाने का रास्ता साफ करने के लिए है। इससे उनकी जगह अमेरिकियों को नौकरी मिल सकेगी। प्रौद्योगिकी कंपनियां एच-1बी वीजा के जरिए हर साल भारत और चीन जैसे देशों से हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं। पीयू रिसर्च सैंटर के मुता​िबक आधे से अधिक एच-1बी वीजा भारतीय नागरिकों को दिये जाते हैं।

ओबामा प्रशासन के दौरान न्याय विभाग के अधिकारी रहे लियोन फेंस्को का कहना है कि इससे कई लोगों पर संकट आ जाएगा जो एक दशक से ग्रीनकार्ड का इंतजार कर रहे हैं। उनके बच्चे अमेरिकी नागरिक हैं और अमेरिका में उनका मकान है। उनका अनुमान है कि करीब दस लाख एच-1बी वीजाधारक ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं। निःसंदेह अमेरिकी कदम वैश्विक नियमों और परंपराओं के अंतर्गत किसी भी देश में कार्य करने के नैसर्गिक अधिकारों को सीमित करने वाला कदम ही होगा। कई वैश्विक दिग्गजों, विशेष रूप से आई.टी. क्षेत्र में बड़ी कंपनियों, ने इन्हीं कामगारों के बलबूते अपना परचम लहराया है। अब यही कुशल कामगार अमेरिकी रोजगार नीतियों के तहत अप्रासंगिक और अयोग्य करार दिए जा रहे हैं। ट्रंप सरकार उनके महत्वपूर्ण योगदान को नजरंदाज कर अमेरिका से बाहर करने को बेताब है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप अपना हर कदम अपने वोटरों पर फोकस करके बढ़ा रहे हैं। ट्रंप सीधे-सीधे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। ट्रंप चाहते हैं कि कंपनियां एक लाख डालर वेतन पैकेज से कम किसी अप्रवासी को नियुक्त न करें और यह गारंटी भी दें कि आने वाले पांच-छह साल तक किसी अमेरिकी कर्मचारी को निकाला नहीं जाएगा। ट्रंप प्रशासन के इस कदम से अमेरिका को नुक्सान भी हो सकता है। इससे अमेरिका की आर्थिक स्थिति को बड़ा झटका लगेगा। ऐसा होने पर कंपनियां विदेशों में नौकरियां देंगी और अमेरिका में निवेश की बजाय दूसरे मुल्कों का रुख करेंगी। कठोर नियम परिवारों को अलग कर देंगे, साथ ही प्रति​भाओं को नुक्सान पहुंचाने के साथ देशों के रिश्तों को भी प्रभावित करेंगे। कुछ अमेरिकी सांसद भी मानते हैं कि इससे भारत-अमेरिका संबंध प्रभावित भी हो सकते हैं। वैसे तो डोनाल्ड ट्रंप भारत के दोस्त के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन वह भारतीय हितों पर कुठाराघात करने से भी नहीं चूक रहे।

Advertisement
Advertisement
Next Article