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H-1B वीजा महंगा, लेकिन भारत के लिए सुनहरा मौका, ट्रंप के फैसले से पलटेगा गेम?

10:24 AM Sep 21, 2025 IST | Neha Singh
H1B Visa Fees

H1B Visa Fees: टैरिफ बम के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर एक नया बम फोड़ दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत एच-1बी वीज़ा शुल्क बढ़ाकर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर या लगभग ₹90 लाख कर दिया गया है। हालांकि यह नया शुल्क सिर्फ नए आवेदकों पर ही लागू होगा। ट्रंप के इस कदम से अमेरिका में भारतीय कामगारों पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। कुछ जानकारों की माने तो यह कदम भारत के लिए एक जैकपॉट साबित हो सकता है। चलिए जानते हैं कैसे।

H1B Visa Fees

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर अमेरिकी कंपनियों को स्थानीय स्तर पर कुशल कर्मचारियों की कमी और बढ़ती लागत का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें अपना कार्यभार भारत में शिफ्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इससे भारत को सीधा लाभ हो सकता है, जिससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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H1B Visa Fees

H1B Visa Policy Update: भारत में रोज़गार के वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कंपनियां भारत में रोज़गार दो तरीकों से बढ़ा सकती हैं। पहला, वे भारतीय आईटी कंपनियों को और अधिक परियोजनाएं आउटसोर्स कर सकती हैं। दूसरा, वे भारत में अपने वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) खोलकर सीधे नियुक्तियां कर सकती हैं। इससे न केवल भारत में रोज़गार बढ़ेगा, बल्कि देश का डिजिटल और तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र भी मज़बूत होगा।

H1B visa Fee Increase Impact: भारत की ओर रुख करेंगी कंपनियां

ईआईआईआर ट्रेंड कंसल्टेंसी के सीईओ पारेख जैन के अनुसार, एच-1बी वीज़ा शुल्क में वृद्धि से भारतीय आईटी कंपनियों को कुछ हद तक नुकसान हो सकता है, क्योंकि हर प्रोजेक्ट के लिए कुछ कर्मचारियों को अमेरिका भेजना पड़ता है। हालांकि, अब कंपनियां ज़्यादातर काम भारत को आउटसोर्स करने की रणनीति अपनाएँगी। माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रमुख अमेरिकी टेक कंपनियां भी भारत में अपने जीसीसी परिचालन का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

H1B Visa Latest News: टैलेंट की वापसी

इस फैसले से भारत में कामकाजी माहौल में सुधार होगा। क्वेस आईटी स्टाफिंग के सीईओ कपिल जोशी के अनुसार, जब अमेरिका में काम करना महंगा हो जाएगा, तो ज़्यादा कंपनियां भारत में अपने परिचालन का विस्तार करेंगी। इससे न केवल देश में नौकरियों में वृद्धि होगी, बल्कि विदेशों में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों को भी वापस लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इससे देश में नए विचारों, नवाचार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।

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