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पैदल चल कर गांव पहुंचे थे परिजनों से मिलने, पंचायत ने अवैध आइसोलेशन सेंटर में कर दिया बंद

देशभर में लॅाकडाऊन होने के बाद दिल्ली व अन्य स्टेशनों से पैदल चल कर अपने गांव पहुंचे 22 मजदूरों को पक्खोकलां गांव की पंचायत ने अवैध तौर पर तैयार किए गए आइसोलेशन सेंटर में बंद कर दिया।

10:34 PM Apr 15, 2020 IST | Shera Rajput

देशभर में लॅाकडाऊन होने के बाद दिल्ली व अन्य स्टेशनों से पैदल चल कर अपने गांव पहुंचे 22 मजदूरों को पक्खोकलां गांव की पंचायत ने अवैध तौर पर तैयार किए गए आइसोलेशन सेंटर में बंद कर दिया।

पैदल चल कर गांव पहुंचे थे परिजनों से मिलने  पंचायत ने अवैध आइसोलेशन सेंटर में कर दिया बंद
लुधियाना- बरनाला : देशभर में लॅाकडाऊन होने के बाद दिल्ली व अन्य स्टेशनों से पैदल चल कर अपने गांव पहुंचे 22 मजदूरों को पक्खोकलां गांव की पंचायत ने अवैध तौर पर तैयार किए गए आइसोलेशन सेंटर में बंद कर दिया। जिसका खुलासा 9 दिन बीत जाने पर हुआ, जब मजदूरों ने अंदर से नारेबाजी व चीखपुकार की। उसके बाद मजदूरों को बाहर निकाला गया। गौरतलब हो कि इस प्रकरण के बारे में जिला का सेहत, पुलिस व सिवल प्रशासन पूरी तरह से बेखबर रहा। 
कोरोना वारयरस पर नियंत्रण पाने को लेकर जहां राज्य सरकार द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं पंचायतों द्वारा सरकार के मकसद को संवेदनशील बनाने की गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। भारत में कोरोना वायरस की दस्तक होने के बाद केंद्र सरकार ने देशभर की रेलें, हवाई मार्ग एवं सडक़ का यातायात पूरी तरह से ठप करने के आदेश दिए थे। हजारों लोग जहां थे वहीं रुक कर रह गए। उनमें काफी मजदूर ऐसे भी थे, जिन्होंने पैदल ही चलकर अपने-अपने टिकानों पर पहुंचने का निर्णय लिया। जिसके चलते जिला बरनाला के गांव पक्खोकलां के भी 22 लोग शामिल थे जो दिल्ली व लुधियाना सहित अलग अलग जगह से पैदल चलकर अपने गांव पहुंचे थे। इन लोगों की सभी खुशियां उस वक्त धराशायी हो गईं जब उन्हें गांव की पंचायत के आदेश पर गांव के बाहर ही रोक लिया और गांव के सरकारी स्कूल को आइसोलेशन सेंटर बता सभी को वहां भेज दिया गया। हालांकि पंचायत ने अपनी ओर से ड्रामा कर गांव की डिस्पेंसरी के डाक्टर को भी अपने साथ शामिल कर लिया था, लेकिन पंचायत ने न तो प्रशासन से किसी किस्म की मंजूरी ली और ना ही फर्जी आइसोलेशन सेंटर में बंद किए गए लोगों को सही खाना और दवा-दारू मुहैया करने का प्रबंध किया।
स्कूल के अंदर बंद लोगों का आखिर सोमवार को धैर्य टूट गया। उन्होंने नारेबाजी करना शुरु किया। मामला मीडीया के पास पहुंच गया। पत्रकारों द्वारा पंचायत से लेकर सेहत विभाग और जिला प्रशासन से भी संपर्क किया। मीडीया को हैरानी उस वक्त हुई जब हर किसी अधिकारी ने गांव पक्खोकलां में बनाए गए आइसोलेशन सेंटर के बारे में जानकारी होने से मनाह कर दिया ौर सफभी ने इसे अवैध करार दिया।
6 दिन पैदल चलकर गांव पहुंचा था पाला सिंह-
स्कूल के अंदर फर्जी आइसोलेशन सेंटर में बंद अधेड़ उम्र के पाला सिंह नामक व्यक्ति ने बताया कि वह दिल्ली में मजदूरी करता है। देशभर में लौकडाऊन होने के बाद 6 दिन पैदल चलकर गांव पहुंचा था। गांव पहुंचते ही पंचायत ने आइसोलेशन सेंटर में बंद कर दिया। दो युवक गुरमेल सिंह व गुरप्रीत सिंह लुधियाना से साईकिल द्वारा गांव पहुंचे थे। उन्हें 9 दिनों से स्कूल में बंद रखा हुआ है। उन्हें खटिया भी घरों से मंगवाने के लिए कहा गया। स्कूल में बनाए गए आइसोलेशन सेंटर में ना तो उन्हें भोजन दिया गया और ना ही सेनेटाईजेशन की गई और ना ही किसी को कोई दवा वगैरह दी गई। उन्होंने जिला प्रशासन व  जिला पुलिस मुखी संदीप गोयल से पक्खोकलां पंचायत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
यह कहते हैं अधिकारी-
* सिविल सर्जन गुरिंदरबीर सिंह ने कहा कि गांव पक्खोकलां में सेहत विभाग की ओर से कोई आइसोलेशन सेंटर नहीं बनाया गया। उनके पास पंचायत या डिस्पेंसरी टीम के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के अधिकार नहीं।
* डीडीपीओ संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि जिला में तैयार किए गए आइसोलेशन सेंटर सेहत विभाग की गाईडलाइन के अनुसार बने हैं। किसी पंचायत को ऐसा अधिकार प्राप्त नहीं जो अपनी मर्जी से आइसोलेशन सेंटर तैयार करें। यदि है तो वह अवैध है। इसके बारे में वे पंचायत सदस्यों से पता करेंगे।
– सुनीलराय कामरेड 
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