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जम्मू-कश्मीर में 'एचएडीपी' की पहल, पुंछ में किसानों की आय में वृद्धि

पुंछ में किसानों को ‘एचएडीपी’ से मिला आर्थिक संबल…

02:49 AM Jun 04, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat

पुंछ में किसानों को ‘एचएडीपी’ से मिला आर्थिक संबल…

जम्मू कश्मीर में  एचएडीपी  की पहल  पुंछ में किसानों की आय में वृद्धि

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में एचएडीपी के तहत हाई-टेक पॉली ग्रीन हाउस नर्सरी की स्थापना की गई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। इस पहल से फलों के पौधों की ग्राफ्टिंग तकनीक से उत्पादन समय घटकर तीन साल हो गया है, जो प्रधानमंत्री मोदी के कृषि उत्थान के दृष्टिकोण को दर्शाता है।

बागवानी को बढ़ावा देने और किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, जम्मू-कश्मीर के बागवानी विभाग ने समग्र कृषि विकास कार्यक्रम (एचएडीपी) के तहत पुंछ में अपने जिला मुख्यालय में एक हाई-टेक पॉली ग्रीन हाउस नर्सरी की स्थापना की है। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि क्षेत्र के उत्थान के दृष्टिकोण को दिखाती है। नई सुविधा मौसमी बदलावों की परवाह किए बिना साल भर फलों के पौधों की खेती करने की अनुमति देती है। जिला बागवानी अधिकारी संजीव कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, विभाग पहले पौधों को उगाने के लिए बीजों पर निर्भर था, जिसमें आमतौर पर फल लगने में सात साल लगते थे। हालांकि, पॉली ग्रीनहाउस में ग्राफ्टिंग तकनीक की शुरुआत के साथ, फलों के पौधे सिर्फ तीन साल में ही उत्पादन करना शुरू कर देंगे।

लक्ष्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, एचएडीपी के तहत 29 परियोजनाएं हैं, जिनका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। हमारा ध्यान बागवानी पर है। हम चाहते हैं कि लोग अपने पौधे खुद उगाएं, बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम करें और आत्मनिर्भर बनें। संजीव कुमार ने कहा, हम किसानों को सब्सिडी के आधार पर इसी तरह की हाई-टेक पॉली ग्रीन हाउस नर्सरी प्रदान करने की भी योजना बना रहे हैं, जिससे उन्हें उत्पादकता और आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। पुंछ पेकन नट की खेती के लिए विशेष रूप से अनुकूल है, जो केंद्र शासित प्रदेश के इस क्षेत्र में विशेष रूप से उगाई जाने वाली फसल है।

उन्होंने बताया, हम सेब की खेती भी करते हैं। यह पॉली हाउस हमारी बागवानी प्रथाओं का काफी समर्थन और विस्तार करेगा। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के कृषि उत्पादन विभाग द्वारा संचालित एचएडीपी में बागवानी, फसल उत्पादन और पशुधन सहित कृषि से जुड़ी 29 बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। 75 एकीकृत योजनाओं के माध्यम से, कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था में स्थिरता, आत्मनिर्भरता और व्यावसायिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करना है।

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Rahul Kumar Rawat

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