Hal Shashthi 2025 Kab Hai: कब रखा जाएगा हलषष्ठी व्रत, Puja Vidhi से लेकर इस जान के महत्व तक, जानें सब कुछ
Hal Shashthi 2025 Kab Hai: सनातन धर्म में हलषष्ठी व्रत का काफी बड़ा महत्व है। इस दिन को ललही छठ या बलराम जंयती के नाम से भी जाना जाता है। बलराम जी, जो शेषनाग के अवतार हैं, शक्ति और धर्म के प्रतीक हैं। हिंदू धर्म में इस दिन को काफी खास और पवित्र माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से साधक को काफी लाभ मिलता है। यह व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है।
यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को समर्पित है। इस दिन भगवान बलराम की पूजा की जाती है। बलराम को हलधर के नाम से भी भक्तों द्वारा पुकारा जाता है। उनका मुख्य शस्त्र हल है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए भगवान बलराम से प्रार्थना करती हैं और पूरे विधि-विधान से इस व्रत को करती हैं। इस दिन सच्चे मन से भगवान बलराम की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जुताई से उतपन्न किया गया अन्न का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इस दिन सुबह उठकर बलराम जी की पूजा करके पूरा दिन व्रत रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसी भी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से धन-धान्य की भी प्राप्ति होती है।
बता दें हल छठ को ललही छठ, हरछठ पूजा, बलराम जयन्ती, रांधण छठ, कमर छठ, चंदन छठ, पीन्नी छठ इत्यादि कई नामों से जाना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें भगवान बलराम की पूजा, इस दिन का महत्व और किस दिन रखा जाएगा यह खास व्रत।
Hal Shashthi Vrat: जानें हलषष्ठी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में इस दिन का काफी बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से काफी शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सभी माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए पूरे विधि-विधान से व्रत रखती हैं। इस दिन व्रत रखने से साधक को लंबी उम्र का आर्शीवाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले साधक को जुताई से उत्पन्न हुआ अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस दिन कुछ खास नियमों का सच्चे मन से पालन करना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले साधक को किसी से भी झगड़ा या किसी भी प्रकार का कलेह नहीं करना चाहिए। इस दिन अपने बड़ों का आर्शीवाद लेना चाहिए और उनका आदर सम्मान करना चाहिए। इस दिन भगवान बलराम के साथ-साथ शीतला माता और कुछ स्थानों पर अन्नपूर्णा देवी या गृह लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
इस दिन की पूजा में खेती-बाड़ी से जुड़े प्रतीकों का उपयोग होता है। इस दिन व्रत करने से साधक को बच्चों को बीमारी, डर और बुराइयों से सुरक्षा मिलती है। इस दिन व्रत करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इतना ही नहीं जिन लोगों को संतान नहीं हैं अगर वह इस व्रत का पालन करते हैं तो उन्हें जल्दी ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
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Hal Shashthi Vrat Date: किस दिन रखा जाएगा यह व्रत

पंचांग के अनुसार, हलषष्ठी व्रत की तिथि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि में पड़ती है। ऐसे में यह व्रत 14 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन ही सभी महिलाएं व्रत रखेंगी। पंचांग के अनुसार, यह तिथि 14 अगस्त को सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर शुरू हो रही है और 15 अगस्त सुबह 2 बजकर 7 मिनट पर खत्म हो रही है।
इसलिए बृहस्पतिवार के दिन इसका व्रत रखा जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त की 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
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Hal Shashthi Puja Vidhi: जाने कैसे करनी है इस व्रत की पूजा

हिंदू धर्म में इस दिन का काफी बड़ा महत्व है। इस दिन व्रत रखने से काफी शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए हलषष्ठी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। इसके बाद स्नान करते स्नान करके साफ कपड़े पहनें। इस दिन अगर हो सके तो महुआ की दातुन करें। इसके बाद पूजा स्थल को अच्छी तरह से गंगाजल से साफ करें। इसके बाद एक चौकी लगाएं।
इसके बाद उस चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी की प्रतिमा या तस्वीर रखें। इस दिन अपनी पूजा सामाग्री में पूजा सामग्री में चंदन, फूल, माला, रोली, अक्षत, दूर्वा, तुलसी, फल, मिठाई, महुआ और पसई का चावल (बिना हल से उगाया गया चावल) शामिल करें। इसके बाद इस पूजा में बच्चों के कुछ खिलौनों को भी शामिल करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी को चंदन, फूल अर्पित करें।
इसके बाद उन्हें भोग लगाएं। इस भोग में भैंस के दूध से बना दही और घी उपयोग करें। इस दिन भोग बनाते समय गाय का दूध न लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरा दिन व्रत रखें। हलषष्ठी की कथा पढ़ें या सुनें, फिर बलराम जी और श्रीकृष्ण की आरती करें।
इस दिन व्रत के सभी खास नियमों का पालन करें। इस दिन हल से जुते खेतों का अनाज न खाएं। इस दिन सात्विक व्यव्हार अपनाएं और किसी से भी लड़ाई-झगड़ा या किसी को भी कड़वे शब्द न कहें। इस दिन हल से जुती जमीन पर न चलें। इस दिन झूठ या अपशब्दों से बचें और बलराम जी का नाम जपें।
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