Hanagal Gang Rape Case: जमानत मिलने के बाद आरोपियों ने निकाला था रोड शो, पुलिस ने फिर किया गिरफ्तार
जमानत के बाद रोड शो करने वाले आरोपी फिर गिरफ्तार
कर्नाटक के हावेरी जिले में हनागल गैंगरेप के सात आरोपियों को जमानत के बाद रोड शो करने पर फिर से गिरफ्तार किया गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में आरोपी विजय चिन्ह दिखाते नजर आए, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ी। जमानत का कारण पीड़िता का आरोपियों की पहचान न कर पाना था। इस घटना ने न्याय की मांग को फिर से सुर्खियों में ला दिया।
Hanagal Gang Rape Case: कर्नाटक के हावेरी जिले के बहुचर्चित हनागल गैंगरेप मामले में 7 मुख्य आरोपियों को जमानत मिलने के बाद रोड शो और जश्न मनाने पर दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया. यह एक्शन सोशल मीडिया पर जश्न के वीडियो के वायरल होने के बाद लिया गया. दरअसल इन आरोपियों का रोड शो जुलूस हावेरी उप-जेल से शुरू होकर शहर की मुख्य सड़कों से गुजरा था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पांच गाड़ियों और बीस से ज्यादा समर्थकों के साथ निकाले गए इसरोड शो में आरोपी विजय चिन्ह दिखाते और मुस्कुराते नजर आए थे. इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद आम जनता में भारी नाराजगी देखी गई थी. यह वीडियो एक्स पर @SonOfBharat7 नाम के अकाउंट से शेयर किया गया था.
आरोपियों की इस वजह से हुई थी जमानत
हावेरी की सत्र अदालत ने आफताब चंदनकट्टी, मदार साब मंडक्की, समीवुल्ला लालनवर, मोहम्मद सादिक अगासिमानी, शोएब मुल्ला, तौसीप छोटी और रियाज साविकेरी को जमानत दे दी थी. इसका कारण यह था कि पीड़िता अदालत में आरोपियों की सही पहचान नहीं कर पाई, जिससे अभियोजन पक्ष कमजोर पड़ गया था.
क्या है मामला?
26 वर्षीय महिला पीड़िता एक अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित है और वह कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) में कार्यरत 40 वर्षीय ड्राइवर के साथ लंबे समय से रिश्ते में थी. दोनों अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखते हैं. 8 जनवरी 2024 को पीड़िता हनागल के एक होटल में ठहरी थी. पुलिस की जांच में यह सामने आया कि वहां से महिला को जबरदस्ती उठाकर जंगल में ले जाया गया, जहां सात आरोपियों ने उसके साथ गैंगरेप किया.
पुलिस जांच और गिरफ्तारियां
11 जनवरी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता का बयान दर्ज हुआ, जिसके बाद गैंगरेप की धाराएं जोड़ी गईं. इस मामले में कुल 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 12 को पहले ही 10 महीने पहले जमानत मिल चुकी थी. सात मुख्य आरोपियों को लंबे समय तक हिरासत में रखा गया था.
पुलिस ने इस मामले में डीएनए रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज और 80 गवाहों के बयान जैसे ठोस सबूत इकट्ठा किए थे. लेकिन, पीड़िता की अदालत में पहचान न कर पाने की वजह से आरोपियों को राहत मिल गई. इसके बाद आरोपियों द्वारा निकाले गए जुलूस ने इस संवेदनशील मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है और आमजन न्याय की मांग कर रहे हैं.