Hansal Mehta का इमोशनल पोस्ट: 'थप्पड़' ने कैसे किया उन्हें बदलने के लिए प्रेरित?
‘थप्पड़’ ने हंसल मेहता को सोचने पर मजबूर किया
हंसल मेहता ने फिल्म ‘थप्पड़’ देखने के बाद अपनी पूर्व पत्नी और जीवन की सभी महिलाओं से माफी मांगी। उन्होंने सोशल मीडिया पर इमोशनल पोस्ट साझा करते हुए कहा कि इस फिल्म ने उन्हें बदलने के लिए प्रेरित किया और खुद को थप्पड़ मारने का सुझाव भी दिया।
बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक हंसल मेहता अपनी फिल्मों के अलावा अपनी बेबाक राय के लिए भी जाने जाते हैं। वह अक्सर सोशल मीडिया पर अपनी सोच और विचारों को बिना किसी हिचकिचाहट के व्यक्त करते हैं। अपनी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को बेझिजक तरीके से उठाने वाले हंसल मेहता ने हाल ही में अपनी एक ऐसी बात शेयर की, जिसने सभी को चौंका दिया। दरअसल, हंसल मेहता ने बॉलीवुड फिल्म ‘थप्पड़’ देखने के बाद अपनी पूर्व पत्नी और जीवन की सभी महिलाओं से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी और उन्हें खुद को थप्पड़ मारने का भी सुझाव दिया।
‘थप्पड़’ फिल्म ने क्या किया हंसल मेहता को प्रभावित?
यह सब तब हुआ जब हंसल मेहता ने अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘थप्पड़’ देखी। यह फिल्म एक महिला के संघर्ष की कहानी है, जो अपने पति से एक थप्पड़ खाने के बाद आत्ममूल्य और अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू करती है। इस फिल्म में तापसी पन्नू ने मुख्य भूमिका निभाई थी और उनके अभिनय को दर्शकों और आलोचकों ने खूब सराहा था। हंसल मेहता के अनुसार, ‘थप्पड़’ ने उन्हें न केवल सोचने पर मजबूर किया बल्कि आत्मचिंतन भी कराया। फिल्म की ताकत ने उन्हें अपनी जिंदगी की महिलाओं से सॉरी बोलने के लिए प्रेरित किया। हंसल मेहता ने खुद कहा, “यह एक अच्छे सिनेमा की शक्ति है। फिल्म ने मुझे सोचने, आत्मचिंतन करने और यह सब कहने के लिए मजबूर किया था। जो शायद मैं वैसे कभी नहीं कह पाता।”
हंसल मेहता का ब्लॉग और माफी का अहम पल
हंसल मेहता ने अपनी इस सोच को साझा करने के लिए सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखा था, जिसमें उन्होंने अपनी पूर्व पत्नी और अन्य महिलाओं से माफी मांगी। उन्होंने लिखा, “मेरे जीवन की सभी महिलाओं के लिए। मेरी पत्नी, मेरी मां, मेरी बहन, मेरी बेटियां, मेरी पूर्व पत्नी, मेरी गर्लफ्रेंड और उन सभी के लिए जो मेरे सोशल कंडिशनिंग के अंतर्गत आती हैं। मुझे पता है कि देर हो चुकी है, लेकिन कभी नहीं कहने से तो देर से कहना ही बेहतर है।”इसके बाद उन्होंने लिखा, “मुझे माफ करें। सॉरी, अगर मैंने आपके अधिकारों या आपके विकास में कोई बाधा पहुंचाई या उन्हें बाधित किया। सॉरी, अगर मेरी पुरुष प्रधान सोच या पैट्रिकॉल सोच ने आपकी जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता नहीं दिखाई। सॉरी, अगर मैं बेवकूफ रहा हूं। मैं बदलने की कोशिश करूंगा। अगर मैं ऐसा न करूं, तो मुझे थप्पड़ मारना।”
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सिनेमा की शक्ति और सामाजिक जागरूकता
हंसल मेहता के इस बयान से यह साफ जाहिर होता है कि वह एक अच्छे सिनेमा के प्रभाव को पूरी तरह से मानते हैं। वह मानते हैं कि एक फिल्म केवल मनोरंजन का साधन नहीं होती, बल्कि वह समाज को जागरूक करने, सोचने और अपनी आदतों और विचारों में बदलाव लाने का एक जरिया बन सकती है। ‘थप्पड़’ जैसी फिल्मों के माध्यम से उन्होंने महसूस किया कि हमें अपनी मानसिकता और सोच में बदलाव लाने की जरूरत है, खासकर उस सोच में जो महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करती है। हंसल मेहता ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने ब्लॉग में जो लिखा, वह उस समय के उनके भावनात्मक स्थिति पर आधारित था। उन्होंने इसे एडिट करने की बजाय वैसा ही रहने दिया, क्योंकि यह उनके विचारों का सच्चा और कच्चा रूप था। हंसल ने कहा, “मेरा ब्लॉग या कुछ भी लिखना उस समय के मेरे भावों और विचारों पर निर्भर करता है। इसीलिए मैं इसे कभी एडिट नहीं करना चाहता।”