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Hanuman Chalisa: लाउडस्पीकर विवाद के बीच बढ़ी उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा की मांग, लोगों में बढ़ रहा है इसका क्रेज

हिजाब, अजान और हनुमान चालीसा के बीच अब मध्य प्रदेश के इंदौर में उर्दू हनुमान चालीसा की एंट्री हो गई है। इंदौर में उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण की मांग अचानक बढ़ गई

05:18 PM May 08, 2022 IST | Desk Team

हिजाब, अजान और हनुमान चालीसा के बीच अब मध्य प्रदेश के इंदौर में उर्दू हनुमान चालीसा की एंट्री हो गई है। इंदौर में उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण की मांग अचानक बढ़ गई

हिजाब, अजान  और हनुमान चालीसा  के बीच अब मध्य प्रदेश  के इंदौर में उर्दू हनुमान चालीसा की एंट्री हो गई है। इंदौर में उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण की मांग अचानक बढ़ गई है और यही बात हमारे देश की अनेकता में एकता को दर्शाती है। साथ ही सभी को मिल-जुल कर रहना और सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाती है।कोई चाहे कितनी भी राजनैतिक रोटियां सेक ले, लेकिन हमारे देश कि संस्कृति में अनेकता में एकता का परिदृश्य हमेशा ही देखने को मिलता रहेगा।
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उर्दू में लिखी हनुमान चालीसा की जबरदस्त डिमांड
 इंदौर शहर में उर्दू भाषा में लिखी हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की अचानक से मांग बढ़ गई है। पहले जहां एक दिन में 200 के आसपास धार्मिक पुस्तक बिकती थी। वहीं पिछले कुछ दिनों से इन किताबों कि मांग दोगुनी हो गई है।मजे की बात ये है कि उर्दू में लिखी गई ये किताब हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामायण हैं। किताब को पहली मर्तबा देखने पर आपको लगेगा कि यह कोई मुस्लिम किताब है। लेकिन हकीकत में ये हिंदू धार्मिक पुस्तकें हैं जिन्में उर्दू में लिखा गया है।
ये लोग हैं  उर्दू भाषा में हनुमान चालीसा के खरीदार 
 किताबों को बेचने वाले दुकान संचालक सरदार लाल बहादुर कनेजा ने बताया कि पंजाब के सिंध प्रदेश से विस्थापित लोग जिन्होंने इंदौर में शरण ली थी उन्हें यहां की नागरिकता में मिल चुकी है। यह इस समुदाय के लोग वर्षों तक पाकिस्तान में रहे इसलिए इन्हें उर्दू भाषा में बोलना और पढ़ना हिंदी की अपेक्षा ज्यादा सरल लगता है। इसलिए इस समुदाय के लोग उर्दू भाषा में हनुमान चालीसा, रामायण और सुंदर कांड खरीदने आते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि गीता भी उर्दू में लिखी हुई है। पिछले कुछ दिनों से इन किताबों की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है। पिछले कई सालों कि अपेक्षा पिछले कुछ महीनों में युवाओं ने सबसे ज्यादा हनुमान चालीसा खरीदी है। युवा पीढ़ी हनुमान से जुड़ती ज्यादा दिखाई दे रही है।
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