हैप्पी बर्थडे पापा
आप की कमी जब भी खलती है, यादों में आप से मुलाकात कर लेते हैं। जानता हूं आपसे…
मुझे मोहब्बत है अपने हाथों की सब लकीरों से,
न जाने पापा ने कौन सी उंगली को पकड़कर चलना सिखाया था।
आप की कमी जब भी खलती है, यादों में आप से मुलाकात कर लेते हैं। जानता हूं आपसे अब मिलना संभव नहीं, इसलिए आप की तस्वीर से बात कर लेता हूं। जिस तरह एक कलाकार पत्थर को तराश-तराश कर मूर्ति बनाता है अब मुझे आपके डांटने का मतलब समझ आता है। यह ठीक है कि समय दौड़ता चला जा रहा है। समय कोई भी हो भारतीय संस्कृति में पिता का स्थान आकाश से भी ऊंचा माना जाता है। पिता ही धर्म है और पिता ही सब से श्रेष्ठ तपस्या है। माता सभी तीर्थों और पिता सभी देवताओं के समान हैं।
आज मेरे पिता और पंजाब केसरी दिल्ली के मुख्य संपादक श्री अश्विनी कुमार का जन्मदिन है। इस दिन परिवार का भावुक होना स्वभाविक है लेकिन हमने उनके जीवन की मस्ती को देखते हुए उनके जन्म दिवस को वैसे ही मनाने का फैसला किया है जितनी ऊर्जा और खुशी से वह अपना जन्म दिन मनाते थे। उनकी जिन्दगी के अनेक पहलू थे। तमाम चुनौतियों को झेलते हुए भी उनके चेहरे पर मुस्कान रहती थी। अपने दोस्तों के बीच बैठकर घंटों बातें करना उनके व्यवहार में शामिल था। उन्हें गाने का भी शौक था। जब वो गुनगुनाते तो पूरी महफिल उनका साथ देती थी। जगजीत सिंह की एक बहुत अच्छी गजल जिन्हें वह गुनगुनाते थे तो पूरी महफिल को दीवाना बना देते थे।
यह दौलत भी ले लो यह शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझ से मेरी जवानी
मगर मुझ को लौटा दो बचपन का सावन
वह कागज की कश्ती वह बारिश का पानी।
बचपन को लेकर कही गई पंक्तियां उम्र की दहलीज पर पहुंचने पर किसी को भी भावुकता के समुद्र में डुबोने के लिए काफी है। मेरे पिता अश्विनी कुुमार ने जिंदगी में कई सफल पारियां खेलीं। उनके साथी पत्रकार उन्हें भारतीयता, पत्रकारिता एवं भारतीय राजनीति का अक्षयकोष कहते हैं। गहन मानवीय चेतना के जुझारू, निडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे। वे एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व थे जिन्हें पत्रकार जगत का एक यशस्वी योद्धा माना जाता है। उन्होंने आमजन के बीच, हर जगह अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई अश्विनी जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति जीवन-विकास की प्रयोगशाला में विभिन्न प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजर कर महानता का वरण करता है, विकास के उच्च शिखरों पर आरूढ़ होता है और अपनी मौलिक सोच, कर्मठता, कलम, जिजीविषा, पुरुषार्थ एवं राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र को अभिप्रेरित करता है। वे भारतीय पत्रकारिता, खेल-जगत एवं राजनीति का एक आदर्श चेहरा थे। उन्होंने आदर्श एवं संतुलित समाज निर्माण के लिये कई नए अभिनव दृष्टिकोण, सामाजिक सोच और कई योजनाओं की शुरुआत की। वे मूल्यों की पत्रकारिता एवं समाज सेवा करने वाले जनसेवक थे। देश और देशवासियों के लिये कुछ खास करने का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा था। वे एक स्थापित क्रिकेट खिलाड़ी थे। राष्ट्रीय स्तर पर ईरानी ट्राफी और रणजी ट्राफी में नाम कमाने के बाद ‘मिन्ना’ ने लालाजी की शहादत के चलते बैट-बाल छोड़कर कलम थाम ली।
जब कलम संभाली तो लाखों पाठकों को अपना दीवाना बना दिया। राजनीति मंे कदम रखा तो हरियाणा की करनाल सीट से जबरदस्त जीत हासिल की। जीवन और मृत्यु संसार का सत्य है। संसार हमेशा गतिमान रहता है। पिता के अवसान के बाद मेरे अनुज आकाश और अर्जुन की शादी हुई। पारिवारिक रिश्तेदार, मित्र सब इकट्ठे हुए। खुशी-खुशी बहुएं घर आईं। कुछ माह पहले ही हमारे घर में नन्हा मेहमान आया। मेरे अनुज अर्जुन को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। परिवार में खुशियों का माहौल रहा लेकिन मेरी मां श्रीमती किरण चोपड़ा की आंखें मेरे पिता की तलाश करती रही। मैं और मेरे अनुज भी एक कमी महसूस कर रहे थे कि काश हमारे पापा इस समय मौजूद होते तो हर्षोल्लास का वातावरण कुछ और ही होता। इसे महसूस करते हैं कि हमारे पिता हमारे अंगसंग है। उनका आशीर्वाद और स्नेह हमारे साथ है। पिताश्री को याद करना और उनके दिखाए मार्ग पर चलना हमारा कर्त्तव्य भी है। जिस तरह की चुनौतियों ने मेरे पिता को निर्भीक और साहसी बना दिया था उन्होंने मुझे भी निर्भीक बनने की प्रेरणा दी। सामाचार पत्र चलाना और पत्रकारिता धर्म निभाना आसान नहीं है। इसके लिए मुझे लगातार मार्गदर्शन की जरूरत है। मेरी मां श्रीमती किरण चोपड़ा मेरा मार्गदर्शन कर रही हैं। आकाश और अर्जुन अपना-अपना दायित्व संभाल रहे हैं। मैं पापा की कलम को संभालकर कर्त्तव्य का निर्वाह कर रहा हूं। मेरे पिता ही मेरे आदर्श हैं। मेरे पिता संघर्ष की आंधियों में हौंसलों की दीवार रहे। उनके जन्मदिवस पर उन्हें नम आंखों से याद करते हुए उनके अटूट प्रेम, त्याग को भावनाओं में व्यक्त करने की क्षमता हम में नहीं है, फिर भी बच्चों की तरह यही कहेंगे कि आप कहीं भी हो हैप्पी बर्थडे टू यू पापा।