वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के प्रेरक अश्विनी जी को जन्मदिन मुबारक
आज वरिष्ठ नागरिक के प्रेरक अश्विनी जी का जन्मदिन है। जिन्होंने अपने दादा जी की…
”जाने वाले कभी जाते नहीं,
वो हमेशा दिलों में बस जाते हैं।”
आज वरिष्ठ नागरिक के प्रेरक अश्विनी जी का जन्मदिन है। जिन्होंने अपने दादा जी की प्रेरणा और अपने पिता जी की स्मृति में मुझे बुजुर्गों के लिए कुछ करने को प्रेरित किया था। जब हम बहुत साल पहले अमेरिका गए और वहां एक ओल्ड होम का दौरा किया, जहां लोगों के चेहरे बहुत मुरझाए हुए थे, अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे थे तो अश्विनी जी ने मुझे प्रेरणा दी कि बच्चों के लिए और लड़कियों, बेटियों के लिए सभी कुछ न कुछ काम करते हैं। लोग मदद भी करते हैं परन्तु इस अवस्था के लोगों के लिए कोई काम नहीं करता क्योंकि यह लोग आज हैं कल नहीं।
इस समय इनको बहुत जरूरत होती है। इस समय इनके अपने भी साथ छोड़ जाते हैं इमोशनली शारीरिक तौर पर कमजोर हो जाते हैं। बीमारियां भी लग जाती हैं और मेरे दादा जी भी यही चाहते थे और उन्होंने अपने आखिरी समय जीवन की संध्या आर्टिकल की सीरिज लिखी थी, तो मैंने उस समय उनसे वायदा किया कि मैं जरूर इनके लिए काम करूंगी। उस समय हम दोनों की उम्र छोटी थी। फिर उन्होंने कहा कि जो लोग बच्चों का, बेटियों का काम करते हैं उनके गुणगान गाने के लिए वो होते हैं परन्तु यह लोग नहीं होंगे, तो मैंने उन्हें कहा कि मुझे इस बात की परवाह नहीं। मैं इस उम्र के लोगों में खुशियां देने का काम करूंगी। तब मैंने आकर वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की 2004 में शुरूआत की।
आज अश्विनी जी का जन्मदिन है। वैसे तो हमारे घर हर खुशी और दु:ख के अवसर पर हवन जरूर होता है परन्तु उन्हें हमेशा अपने जन्मदिन मनाने का बहुत ही शौक था। वह विशेषकर कुर्ता-पायजामा पहनते थे और कभी किसी से उपहार लेना पसंद नहीं करते थे। अगर इस दिन उनके लिए कोई फूल या कुर्ता-पायजामा या पेन ले आता तो वह बच्चों की तरह खुश होते थे। वह लोगों के गिफ्ट स्वीकार नहीं करते थे। यहां तक कि मेरे साथ शादी भी 1 रुपए के साथ आर्य समाज मंदिर में और अपने बेटों की शादी भी 1 रुपए में आर्य समाज मंदिर मेें की थी। मेरे कहने का भाव है कि वे बहुत ही साधारण प्रवृत्ति के थे। कभी कोई लालच नहीं था। यहां तक कि अपने कम्पनी के शेयर जो दादा जी उनको देकर गए थे अपने चाचा और भाइयों को दे दिये थे। वो सच बोलते थे, निर्भीक, निडर पत्रकार थे। मुझेे उन्होंने बहुत स्नेह और इज्जत दी।
आज मेरे लिए बहुत ही भावना से भरा दिन है। आंखों में आंसू भी हैं और यादें भी हैं तथा हमारा सारा परिवार, पंजाब केसरी परिवार, वरिष्ठ नागरिक केसरी परिवार याद कर रहा है। वो इंसान जिनकी यादें, उनके विचार और उनके अच्छे काम हमेशा हमारे साथ रहेंगे। उनका जीवन एक प्रेरणा था-दूसरों की मदद करना, सच्चाई के रास्ते पर चलना और हर किसी को सम्मान देना उनकी पहचान थी, परन्तु अगर कोई गलत इंसान गलतियां करता था तो उसको छोड़ते भी नहीं थे।
”कुछ लोग सितारों जैसे होते हैं,
चले जाते हैं, पर रोशनी छोड़ जाते हैं।”
उन्होंने हर मोड़ पर मेरा साथ दिया। हर दर्द में ढाल बने, वो एक इंसान नहीं फरिश्ता थे, जिनकी बुद्धिमता और ज्ञान का कोई सार नहीं। यही नहीं ज्ञानी होने के साथ-साथ उनका मन चंचल, शरारतों से भरा था। बच्चों जैसी शरारतें भी करते थे। वो एक क्रिकेटर, पत्रकार और नेता भी थे।
उनकी जिन्दगी का एक ही उद्देश्य था कि चढ़ते सूरत को सब सलाम करते हैं, वो कहते थे आप हमेशा उनको पूछो जो गद्दी या पावर में नहीं हैं या किसी कारण जिन्दगी में पीछे रह रहे हैं या कमजोर पड़ गए हैं। जब वो चढ़ जाए तो उसका काम है वह तुम्हें पूछे न कि तुम छोड़ दो।
आज सब मेरे साथ मिलकर प्रार्थना करें कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और हम सभी को उनके आदर्शों पर चलने की शक्ति दे। उनकी यादें हमारे जीवन की पूंजी हैं। वो आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी बातें, उनका प्यार, उनकी शरारतें, सूझबूझ, उनकी निडर पत्रकारिता हमेशा हमारे साथ रहेगी। मेरी आत्मा, दिल उनके साथ जा चुका है परन्तु मेरा शरीर समाजसेवा, पत्रकारिता सेवा, वरिष्ठ नागरिकों की सेवा और चौपाल के माध्यम से जरूरतमंद लड़कियों की सेवा के लिए आप सबके बीच है। आओ सेवा, समर्पण भाव से उनका जन्मदिन मनाएं।