Hariyali Teej Kyu Manayi Jati hai? जानें इसका महत्व और इस दिन क्या-क्या करें
Hariyali Teej Kyu Manayi Jati hai: हरियाली तीज (Hariyali Teej) हिन्दू धर्म का एक पावन और विशेष त्योहार है, जो महिलाओं द्वारा बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की खुशी में मनाई जाती है। यह सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष (Hariyali Teej) हरियाली तीज 27 जुलाई को मनाई जाएगी। "हरियाली" शब्द वर्षा ऋतु की ताजगी और प्रकृति की हरियाली को दर्शाता है। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों-राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और हरियाणा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
हरियाली तीज का धार्मिक महत्व (Hariyali Teej ka mahatva kya hai)

हरियाली तीज (Hariyali Teej) का सबसे बड़ा धार्मिक महत्व भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा है। मान्यता है कि माता पार्वती ने कई जन्मों तक कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। हरियाली तीज का दिन उनके पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। (Hariyali Teej) इस दिन महिलाएं शिव-पार्वती की पूजा कर अपने पति के दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना करती हैं। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। (Hariyali Teej Kyu Manayi Jati hai) यह पर्व सुखी दांपत्य जीवन, नारी की आस्था, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है। साथ ही, यह सावन की हरियाली और वर्षा ऋतु की सुंदरता का भी उत्सव है।
हरियाली तीज पर क्या करते हैं ? (Hariyali Teej par kya karte hain)

1. व्रत रखना
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। वे पूरे दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं करती हैं।
2. श्रृंगार और हरे वस्त्र
इस दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े, चूड़ियां, बिंदी, मेहंदी और सोलह श्रृंगार करती हैं। हरा रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
3. मेहंदी लगाना
तीज पर हाथों में सुंदर मेहंदी रचाना भी शुभ माना जाता है। यह स्त्रियों की सुंदरता और सजावट का अहम हिस्सा है।
4. झूला झूलना
इस दिन पेड़ों पर झूले लगाए जाते हैं, और महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए झूला झूलती हैं।
5. शिव-पार्वती पूजा व कथा
तीज के पवन अवसर पर दिन में शिव-पार्वती की पूजा की जाती है और हरियाली तीज व्रत कथा सुनी जाती है।
6. भजन-कीर्तन और गीत
महिलाएं मंदिरों और घरों में भजन, लोकगीत व कीर्तन का आयोजन करती हैं।
7. पारंपरिक भोजन
व्रत के उपरांत घेवर, पूड़ी, हलवा, सेवईं जैसे पकवान बनाएं जाते हैं।
Disclaimer: इस लेख में बताई गई विधि, तरीके और सुझाव, सामान्य मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है, Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.
Also Read: Raksha Bandhan Muhurat 2025: रक्षाबंधन कब है 8 या 9 अगस्त? जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और महत्व
यह भी पढ़ें: अच्छा संकेत या बुरा, जानें Sapne Me Billi Dekhna कितना सही?