हर्षवर्धन ने फ्रांस के रणनीति महानिदेशक से की मुलाकात, सुरक्षा सहित विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय संबंध और रणनीति महानिदेशक के साथ महत्त्वपूर्ण बैठक की
10:43 PM Oct 30, 2020 IST | Desk Team
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को फ्रांस के अंतरराष्ट्रीय संबंध और रणनीति महानिदेशक (डीजीआरआईएस) के साथ महत्त्वपूर्ण बैठक की, जिसके दौरान उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र एवं समुद्री सुरक्षा, रक्षा साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की। श्रृंगला अपने सप्ताह भर के तीन देशों के यूरोप दौरे के पहले चरण में फ्रांस में हैं। फ्रांस से वह जर्मनी और ब्रिटेन की यात्रा करेंगे। फ्रांस में स्थित भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, ‘‘विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने डीजीआरआईएस की महानिदेशक एलिस गुइटन के साथ एक सार्थक बैठक की, जिसमें उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र और समुद्री सुरक्षा, रक्षा साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग पर चर्चा की।’’
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बृहस्पतिवार को, श्रृंगला ने फ्रांसी संबंध अंतरराष्ट्रीय संस्थान में एक संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि तात्कालिक चुनौतियां भारत को व्यापक रणनीतिक लक्ष्यों से विचलित नहीं कर पाई हैं, विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र में जहां एक खुला, समावेशी व्यवस्था बनाने के लिए यह कई स्तरों पर उद्देश्यपूर्ण तरीके से आगे बढ़ रहा है। श्रृंगला की फ्रांस यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब देश में एक और आतंकी हमला हुआ है।
बृहस्पतिवार को नाइस के एक चर्च में चाकू से किए गए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई। इस हमले कोफ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामवादी आतंकवादी हमला बताया है। आतंकवाद और कट्टरपंथ के खतरों के बारे में, श्रृंगला ने अपने संबोधन में कहा कि कट्टरपंथी विचारधारा हिंसा और अलगाववाद को बढ़ावा देती है, जो अक्सर विदेशी प्रभाव द्वारा संचालित और समर्थित होती है।
उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतें बहुलतावादी समाजों को अस्थिर करती हैं। उन्होंने कहा, फ्रांस में हाल ही में हुई दो आतंकवादी घटनाएं भयानक है, जैसा कि कई बार हुए ऐसे हमले की साजिश का मूल हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में थ। उन्होंने कहा, पिछले तीन दशकों से, हमने अनुभव किया है कि बेलगाम कट्टरपंथी किस तरह से कहर बरपा सकते हैं और यह कैसे हिंसक ताकतों को भड़का सकता है। सभ्य दुनिया को इस पर एक साथ काम करने और दृढ़ता के साथ इससे निपटने की जरूरत है। यह हमारे समृद्ध लोकतांत्रिक मूल्य प्रणालियों के लिए खतरा है।
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