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Hartalika Teej Vrat Katha: हरतालिका तीज पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, इसके बिना अधूरी मानी जाती है पूजा

01:26 PM Aug 20, 2025 IST | Bhawana Rawat
hartalika teej vrat katha  हरतालिका तीज पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा  इसके बिना अधूरी मानी जाती है पूजा
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Hartalika Teej Vrat Katha: हरतालिका तीज माता पार्वती और शिव जी के मिलन का प्रतिक है, यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाई जाएगी। हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं, कुछ जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर पाने के लिए ये व्रत रखती हैं।

मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव जी को अपने वर के रूप में पाने के लिए ये व्रत रखा था। हरतालिका तीज की पूजा में कथा का विशेष महत्व है, इस कथा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। चलिए आपको बताते है हरतालिका तीज से जुड़ी पौराणिक कथा:-

हरतालिका तीज व्रत कथा  (Hartalika Teej Vrat Katha)

hartalika teej vrat katha

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात हैं जब कैलाश पर्वत पर भगवान शिव, माता पार्वती और कई गण मौजूद थे। माता पार्वती ने भोलेनाथ से प्रश्न किया कि 'हे! महेश्वर मैंने ऐसे कौन-से पुण्य किये थे, जिसके चलते आप मुझे पति के रूप में मिले?' माता पार्वती ने आगे कहा 'आप तो अंतर्यामी हैं, मेरे इस प्रश्न का उत्तर आप जरूर जानते होंगे।' इस पर भगवान शिव जवाब देते हैं कि 'आप के उत्तम पुण्यों की वजह से मैं तुम्हे प्राप्त हुआ हूं।' इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को उनकी कठिन तपस्या की कथा सुनाई।

भगवान शिव ने बताया कि माता पार्वती ने 12 वर्षों तक अधोमुखी होकर घोर तप किया था। जंगल में अन्न न खाकर, पेड़ों के पत्ते खाएं, सर्दी, गर्मी और बरसात भी झेली, जो उनके कठोर तप को नहीं रोक पाई। बेटी को ऐसे देखकर हिमालय राज बहुत चिंतित थे। एक दिन नारद ऋषि ने माता पार्वती को देखा और हिमालय राज के पास भगवान विष्णु का रिश्ता लेकर चले गए। नारद ने हिमालय राज से कहा कि 'अपनी पुत्री का विवाह भगवान विष्णु से करवा दीजिए।' हिमालय राज ने भी नारद का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और अपनी पुत्री यानि माता पार्वती को बताया- 'हे पुत्री मैंने तुम्हें भगवान विष्णु को अर्पण कर दिया है।'

यह बात सुनकर माता पार्वती बहुत दुखी हुई और अपनी सखियों के पास जाकर घोर विलाप करने लगी। सखियों के पूछने पर माता पार्वती ने बताया 'मैं अपने मन में भगवान शिव को ही अपना पति मान चुकी हूं, लेकिन पिता जी ने विष्णु जी से मेरा विवाह तय किया है। मैं यह विवाह नहीं करूंगी और निसंदेह इस देह का त्याग कर दूंगी।' पार्वती जी की ये बाते सुनकर सखियां भी चिंतित हो गई और पार्वती का अपहरण करके उन्हें जंगल में ले गई, ताकि उनकी इच्छा के विरुद्ध विष्णु जी से उनका विवाह न हो पाएं। सखियों की सलाह पर पार्वती जी ने एक गुफा में भगवान शिव की आराधना की।

भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर शिव जी की विधिवत पूजा की और रात भर जागरण किया। इससे प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इस घटना के बाद जब हिमालय राज जंगल पहुंचे, तो पार्वती जी ने ये सारी बातें अपने पिता को बताई। हिमालय राज भी पार्वती और शिव जी के विवाह के लिए सहमत हो गए। फिर उन्होंने विधि-विधान से माता पार्वती और शिव जी का विवाह करवाया। जिसके बाद से कुंवारी महिलाएं अच्छा वर पाने के लिए और सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ये व्रत रखने लगी।

हरतालिका तीज महत्व

hartalika teej vrat katha

हरतालिका तीज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने का भी प्रतिक है। इस दिन माता-पार्वती, शिव जी और गणेश जी की विशेष पूजा और अर्चना करते हैं। इससे पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करने से देवी खुश होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। हरतालिका तीज पर महिलाएं 16 श्रृंगार करके शिव, पार्वती और गणेश जी की पूजा करें और व्रत कथा जरूर सुनें।

 

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Bhawana Rawat

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