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हरियाणा: कोविड के बढ़ते मामलों के चलते सरकारी कार्यालयों में कर्मियों की उपस्थिति 50 फीसदी तक सीमित की गई

कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बीच, हरियाणा सरकार ने मंगलवार को और पाबंदियों की घोषणा की जिसमें केवल 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश जारी किया गया है।

08:53 PM Jan 04, 2022 IST | Desk Team

कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बीच, हरियाणा सरकार ने मंगलवार को और पाबंदियों की घोषणा की जिसमें केवल 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश जारी किया गया है।

कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि के बीच, हरियाणा सरकार ने मंगलवार को और पाबंदियों की घोषणा की जिसमें केवल 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश जारी किया गया है। इसके साथ ही अवर सचिव, उसके समकक्ष तथा उसके ऊपर के पदों वाले सभी अधिकारियों को नियमित रूप से कार्यालय में उपस्थित रहने को कहा गया है।  
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सिर्फ इनको मिलेगी छूट 
अपर सचिव से निचले स्तर के अधिकारियों की वास्तविक क्षमता के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है और शेष 50 प्रतिशत को घर से काम करने को कहा गया है। सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि सभी संबंधित विभागों द्वारा रोस्टर बनाया जा सकता है। दिव्यांगजनों और गर्भवती महिला कर्मचारियों को कार्यालय आने से छूट दी गई है, लेकिन उन्हें घर से काम करना होगा।  
12 जनवरी तक लागू रहेगी बंदिशें 
मुख्य सचिव द्वारा चार जनवरी को दिया गया आदेश हरियाणा सरकार के सभी प्रशासनिक सचिवों, सभी विभागाध्यक्षों और सभी डिवीजन के आयुक्तों और उपायुक्तों को जारी किया गया है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि को देखते हुए एक जनवरी को जारी आदेश में अंबाला, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला और सोनीपत में दो से 12 जनवरी तक मॉल और बाजार को शाम 5 बजे तक ही खोलने की अनुमति दी गई है।  
शराब विक्रेताओं ने किया विरोध-प्रदर्शन 
इस बीच, गुरुग्राम में शराब विक्रेताओं और मद्य कर्मियों ने इस आदेश के विरोध में प्रदर्शन किया और मांग उठाई की उन्हें रात 11 बजे तक दुकान खोलने की अनुमति दी जाए। प्रदर्शनकारियों ने आबकारी विभाग के सामने एकत्र होकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और दावा किया कि उनकी 80 फीसदी बिक्री शाम पांच बजे के बाद होती है और अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो शराब विक्रेताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
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