Haryana: पंचायतों के फरमान से बढ़ सकती है मुश्किलें, मुस्लिमों के बहिष्कार का ऐलान, एंट्री पर लगाया बैन
नूंह में हुई सांप्रादियक हिंसा के बाद अब माहौल कुछ शांत होने लगा है।इस दौरान पंचायतों ने ऐसा फरमान जारी किया है जिससे टेंशन बढ़ सकती है। दरअसल, तीन जिलों- रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और झज्जर की 50 से अधिक पंचायतों ने मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए पत्र जारी किए हैं।
11:07 AM Aug 09, 2023 IST | Desk Team
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Haryana: नूंह में हुई सांप्रादियक हिंसा के बाद अब माहौल कुछ शांत होने लगा है। इस दौरान पंचायतों ने ऐसा फरमान जारी किया है जिससे टेंशन बढ़ सकती है। दरअसल, तीन जिलों- रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और झज्जर की 50 से अधिक पंचायतों ने मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए पत्र जारी किए हैं। सरपंचों द्वारा साइन किए गए इन पत्रों में यह भी कहा गया है कि गांवों में रहने वाले मुसलमानों को पुलिस के पास अपने पहचान से संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे।
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सभी पंचायतों को कारण बताओ नोटिस भेजने को कहा……
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आपको बता दें अधिकांश गांवों में अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी निवासी नहीं है। बस कुछ परिवार हैं जो तीन से चार पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। पत्र में कहा गया है, ‘हमारा इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं है।’ नारनौल (महेंद्रगढ़) के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उन्हें पत्रों की भौतिक प्रतियां (फिजिकल कॉपी) नहीं मिली हैं, लेकिन उन्होंने उन्हें सोशल मीडिया पर देखा है और ब्लॉक कार्यालय से सभी पंचायतों को कारण बताओ नोटिस भेजने को कहा है।
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धर्म के आधार पर किसी समुदाय को अलग करना कानून के खिलाफ
सरपंच विकास ने कहा, ‘सारी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं तभी घटित होने लगीं जब बाहरी लोग हमारे गांवों में प्रवेश करने लगे। नूंह झड़प के ठीक बाद, हमने एक अगस्त को पंचायत की और शांति बनाए रखने के लिए उन्हें अपने गांवों के अंदर नहीं आने देने का फैसला किया।’ उन्होंने कहा कि जब उनके कानूनी सलाहकार ने उन्हें बताया कि धर्म के आधार पर किसी समुदाय को अलग करना कानून के खिलाफ है, तो उन्होंने पत्र वापस ले लिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह पत्र सोशल मीडिया पर कैसे प्रसारित होने लगा। हमने इसे वापस ले लिया है।’
 कोई सांप्रदायिक तनाव या सुरक्षा संबंधी चिंता नहीं 
दरअसल, कुल 750 घरों वाले इस गांव में अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी परिवार नहीं है। स्थानीय लोगों ने भी कहा कि उन्हें ऐसी कोई चिंता नहीं है। रोहतास सिंह ने गांव के मंदिर के सामने एक पीपल के पेड़ के नीचे ताश के पत्तों को फेंटते हुए कहा, ‘हमें उन मामलों में कोई दिलचस्पी नहीं है जो हमसे संबंधित नहीं हैं। हम एक सरल और शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं। हम जानते हैं कि नूंह में क्या हो रहा है, लेकिन हमें यहां कोई सांप्रदायिक तनाव या सुरक्षा संबंधी चिंता नहीं है।’
अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग 100 लोग रहते हैं
एक अन्य पड़ोसी गांव कुंजपुरा में अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग 100 लोग रहते हैं। यहां निवासियों को शहर के ‘अड्डे’ में ताश खेलते देखा गया। एक व्यापारी माजिद ने कहा, ‘हम एक साथ रहते हैं। हमने नूंह के बारे में सुना है, लेकिन हम इससे अछूते हैं। मेरा परिवार चार पीढ़ियों से यहां रह रहा है। यह मेरा घर है।’ स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी शाजेब ने कहा कि गांव में उनके समुदाय के लगभग 80 मतदाता हैं।

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