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दलितों के हक की आवाज उठाएंगे सुदेश कटारिया, अपने जन्मदिन पर कपालमोचन में साधु संतों के सामने लिया संकल्प

09:16 PM Sep 10, 2025 IST | Pankhil Verma
Haryana News

Haryana News: केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल के मुख्य मीडिया सलाहकार सुदेश कटारिया ने अपना जन्मदिवस कपालमोचन में साधु-संतों के सानिध्य में सादगी से मनाया। इस अवसर पर उन्होंने दलित, शोषित और वंचित समाज के अधिकारों के लिए मजबूती से आवाज उठाने का संकल्प लिया। संतों ने मंत्रोच्चारण और शंखनाद के बीच उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे गरीबों के हितों की रक्षा के लिए आगे बढ़ें।

Haryana News: क्या बोले सुदेश कटारिया?

सुदेश कटारिया ने घोषणा की कि अब "हमारा संविधान–हमारा स्वाभिमान" समारोह एक नए रूप में नजर आएगा। इस अभियान की बागडोर युवा शक्ति के हाथों में होगी और हर गांव में एक टीम गठित की जाएगी, जो दलित समाज के हकों की रक्षा और जागरूकता का काम करेगी।

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समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का पहुंचेगा लाभ

उन्होंने कहा कि वह अंत्योदय उत्थान मिशन के तहत समाज के आखिरी व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए कार्य करेंगे। कटारिया ने यह भी बताया कि यह पहला अवसर है जब कोई राजनीतिक व्यक्ति संत समाज के सम्मान में इतने बड़े स्तर पर सामने आया है। कपालमोचन को दलित समाज का एक पवित्र स्थल माना जाता है, और वहीं से उन्होंने अपने सेवा अभियान की नई शुरुआत की है।

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महिलाओं और युवाओं ने किया स्वागत

समारोह के दौरान महिलाओं ने मंगलगीत गाए और युवाओं ने पुष्पवर्षा कर सुदेश कटारिया को जन्मदिन की बधाई दी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दलित समाज के प्रमुख लोग उपस्थित रहे। कटारिया ने कहा कि उन्हें जो प्यार और सम्मान मिला है, उसके लिए वे आभारी हैं और आगे भी वंचित, शोषित और दलित वर्ग के हक की आवाज बनकर खड़े रहेंगे। उन्होंने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल का आभार जताया, जिन्होंने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है।

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खत्म हुए जातिवाद और भ्रष्टाचार के नासूर

कटारिया ने बताया कि जब 2014 में मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद संभाला था, तब उन्होंने सबसे पहले भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार, जातिवाद और क्षेत्रवाद को समाप्त करने का काम किया। उन्होंने प्रदेश में सुशासन और पारदर्शिता की मिसाल पेश की। अंत्योदय उत्थान मॉडल के तहत सरकार ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया, जिससे खासतौर पर दलित समाज को सीधा फायदा हुआ। पढ़े-लिखे दलित युवाओं को बिना सिफारिश और बिना पैसे के नौकरियां मिलीं, और लंबे समय से लंबित मुद्दे जैसे पदोन्नति में आरक्षण, एससी कमीशन और सफाई आयोग की मांगें पूरी की गईं।

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