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क्या तीसरे विश्व युद्ध की घंटी बज चुकी है ?

हो सकता है कि इस स्तंभ के प्रेस जाने तक अमेरिका ईरान का तिया-पांचा कर दे…

04:00 AM Jun 18, 2025 IST | Firoj Bakht Ahmed

हो सकता है कि इस स्तंभ के प्रेस जाने तक अमेरिका ईरान का तिया-पांचा कर दे…

क्या तीसरे विश्व युद्ध की घंटी बज चुकी है

हो सकता है कि इस स्तंभ के प्रेस जाने तक अमेरिका ईरान का तिया-पांचा कर दे, क्योंकि अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रंप जिस प्रकार से जी-7 कॉन्फ्रेंस बीच में छोड़ कर अमेरिका लौटे हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि वह ईरान के विरुद्ध बहुत बड़ा क़दम उठाने वाले हैं।

आज की तारीख़ तक जिस प्रकार से इजराइल और ईरान भीषण युद्ध में विलीन हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्ण विश्व युद्ध में लिप्त हो जाए और कोई अजब नहीं कि एटम बम तक चला दिए जाएं। वैसे भी भविष्यवाणी करने वाले नौस्त्रेदामस और बाबा वेंगा ने भी लगभग यही समय बताया था कि दुनिया समाप्त हो जाएगी और कुछ अच्छे लोगों द्वारा नई दुनिया की शुरुआत होगी। इसके अतिरिक्त कई धर्मों और विशेष रूप से इस्लाम के अनुसार क़ुरआन में भी दुनिया के खात्मे का ज़िक्र है, जिसमें यही ज़माना है कि जिसमें दुनिया को भस्म होना है, जो कि किसा भी जुम्मे (शुक्रवार) को सूर (बिगुल) फूंकने के तुरंत बाद हो सकता है जब सूरज बिल्कुल ज़मीन पर आ जाएगा। यह किसी को पता नहीं कि वह कौन सा जुम्मा होगा। वह अगला जुम्म भी हो सकता है, इस माह भी हो सकता है और 100-500 वर्ष में भी हो सकता है। दुनिया के हालात अच्छे नहीं हैं।

जो लोग सोच रहे हैं कि यह युद्ध मात्र इजराइल और ईरान व अमेरिका के बीच है, उनकी गलतफहमी है, क्यों​िक हम अगर भविष्यवाणियों को छोड़ कर मौजूदा हालात की जांच करें तो मामलात ऐसे ही बन रहे हैं, जैसे प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के समय बन रहे थे। कुछ लोग यह भी सोच रहे हैं कि बड़े देश, जैसे अमेरिका तो सीधे इस युद्ध में जुड़ गया है, शायद चीन, रूस, नाटो, फ्रांस, उत्तरी कोरिया, भारत, ब्रिटेन, जर्मनी आदि शायद इससे अलग रहें। ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि बड़े देशों की अपनी सोच और फूंक अलग ही होती है। जिस प्रकार अमेरिका सोचता है कि वह सबसे अमीर और बड़े इकबाल वाला देश है, ऐसे ही कुछ और देश भी अपने बारे में यही विचार रखते हैं। यदि अमेरिका ने ईरान को समाप्त कर दिया या उसके सबसे बड़े नेता अयातुल्लाह खामिनाई को मार दिया तो चीन, रूस आदि जैसे देशों की युद्ध में जुड़ने की तटस्थ संभावना है। आज विश्व आण्विक युद्ध के ज्वालामुखी पर बैठा है और किसी भी समय दुनिया समाप्त हो सकती है।

आम तौर से लोग धार्मिक ग्रंथों की इतनी नहीं मानते, मगर एक इस्लामी हदीस कहती है कि क़यामत (प्रलय) से पूर्व, कुछ लड़ाके यमन से उठेंगे और भयंकर युद्ध होगा। वैसे यमन के हूती तो आए दिन अपनी मिसाइल लाल सागर पर दागते रहते हैं। कहीं यह वही समय तो नहीं? वास्तव में यदि तीसरा विश्व युद्ध जोर पकड़ता है तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी इजराइल और अमेरिका पर होगी, क्योंकि एक लंबे समय से ये दोनों और कुछ अन्य पश्चिमी देश ईरान के पीछे पड़े हुए हैं कि वह अपना एटम बम बनाने का कार्यक्रम स्थगित करे, क्योंकि उससे इजराइल और अन्य देशों को ख़तरा है जबकि ईरान का दावा है कि वह अपना एटमी कार्यक्रम शांतिपूर्वक कार्यों में लगाएगा, मगर दादागीरी पर उतारू अमेरिका और इजराइल इस बात को मानने पर तैयार नहीं और पिछले दासियों साल से उस पर दबाव बना रहे हैं कि वह या तो इससे निरस्त हो या खामियाजा भुगतने को तैयार रहे।

हालांकि ईरान ने कई बार यह भी कहा कि इजराइल ने जो 90 एटम बम बना रखे हैं, वह उनको समाप्त करे तो वह भी एटम बम नहीं बनाएगा, क्योंकि उसको भी उससे ख़तरा है, मगर इजराइल और अमेरिका ने ईरान की एक न सुनी और उस समय इस के एटमी कारखानों व अन्य स्थानों पर हमला करके भारी क्षति उस समय पहुंचाई जब अमेरिका और ईरान के मध्य बातचीत का छठा दौर ओमान में बीते रविवार को होने वाला था। उधर ईरान सोच रहा था कि वार्ता के लिए ओमान जेएस जाए, तभी धोखे से एक दिन पूर्व, अर्थात शनिवार को इजराइल ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमला कर उसके लगभग 30 वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सैन्य बल के अधिकारियों को पिन प्वाइंट कर टारगेट किलिंग द्वारा मार दिया और तेहरान, तबरेज आदि जैसे शहरों और सैन्य ठिकानों पर बमबारी करके सैंकड़ों निवासियों को भी मार दिया।

यह वास्तव में इजराइल और अमेरिका की ओर से ईरान के साथ बड़ा धोखा किया गया है जिससे वह इतना क्रुद्ध है कि कहता है कि भले ही वह धरती के नक्शे से मिट जाए, इजराइल को नहीं बख्शेगा। तब से ईरान और इजराइल के मध्य ज़बरदस्त युद्ध छिड़ा हुआ है। कुछ युद्ध पंडितों का मानना है कि इस युद्ध में एटम बम का प्रयोग भी किया जा सकता है।

थोड़ा सा इतिहास में जाएं तो पता चलता है कि इजराइल में यहूदी 1948 में नाज़ी ज़ुल्म से जान बचा कर फिलिस्तीन आए थे, मगर उसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि ने इजराइल को शक्तिशाली बना दिया। ईरान ने इजराइल और अमेरिका को मिटाने की बात की, जिसके चलते ईरान की अमेरिका और इजराइल से ठनी हुई है। यहां न तो ईरान को अमेरिका और इजराइल को ठिकाने लगाने की बात करनी चाहिए थी और दूसरी ओर अमेरिका को ईरान पर विश्वास करके उसके कार्यक्रम को चलते देना चाहिए था। यदि यह युद्ध नहीं रुका तो सब लोग एक इतिहास बन जाएंगे।

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Firoj Bakht Ahmed

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