बेशक आप कॉफी के कितने भी तगड़े शौकीन क्यों ना हों,मगर आप अनजान होंगे इन बातों से...
आप जब रोज सुबह जब सोकर उठते हैं तब आपको सबसे पहले अपने पसंदीदा पेय पदार्थ यानी चाय या कॉफी पीना सबसे ज्यादा पसंद होता है।
12:47 PM Nov 14, 2019 IST | Desk Team
आप जब रोज सुबह जब सोकर उठते हैं तब आपको सबसे पहले अपने पसंदीदा पेय पदार्थ यानी चाय या कॉफी पीना सबसे ज्यादा पसंद होता है। इसके बाद फिर आप कहीं जाकर अपने रोजमर्रा के कामों के लिए कुछ मन बनाते हैं। खैर यह आपकी पसंद पर होता है कि आप चाय पीना पसंद करते हैं या कॉफी। वैसे तो ज्यादातर लोगों को कॉफी पीना पसंद होता है।
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इसकी एक वजह ये भी है कि कॉफी बनाना बहुत आसान होता है। क्योंकि चाय की तरह इसे उबालने और छानने का चक्कर नहीं है। कॉफी बनाने के लिए आप गर्म दूध में कॉफी डालकर इसे चम्मच से मिलाकर बना सकते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि कितनी तरह की कॉफी को दुनियाभर में पसंद किया जाता है।
1.फिल्टर कॉफी
फिल्टर कॉफी के बारे में तो लगभग सभी जानते हैं। इसे चाय की तरह छान कर ही पकाया जाता है। इसमें ढेर सारा पानी और थोड़ा सा दूध मिला होता है। ठीक इसी तरह से चाय भी तैयार की जाती है। हालांकि वेस्टर्न देशों में दूध को कॉफी के साथ पकाया नहीं जाता है। लेकिन हमारे देश में दूध वाली ही कॉफी पीना लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।
2.कैपुचिनों कॉफी
यदि आप भी किसी के साथ डेट पर गए हो या फिर दोस्तों के साथ कुछ टाइम स्पेंड करने के लिए गए हो तो आपने वहां कैपुचिनों कॉफी का नाम तो जरूर सुना होगा। एस्प्रेसो में गर्म दूध और ऊपर से बहुत सारे झाग के मिक्सर के साथ कैपुचिनो को बनाया जाता है। इसके ऊपर कोको पाउडर छिड़का जाता है।
3.एस्प्रेसो कॉफी
एस्प्रेसो कॉफी बनाने के लिए केवल कॉफी और पानी का ही इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसके लिए सिर्फ खास किस्म की एस्प्रेसो मशीन की जरूरत होती है। दरअसल एस्पे्रसो छोटे से कप में महज दो घंूट कॉफी होती है जो बहुत गाढ़ी होती है।
4.लाटे कॉफी
कैपुचिनो में थोड़ा और दूध मिला दिया जाए तो यह लाटे कॉफी बनकर तैयार हो जाती है। लाटे एक इटैलियन वर्ड है जिसका मतलब होता है दूध। ऐसे में इसे दूध वाली कॉफी भी कहा जाता है। इसमें एक हिस्सा एस्प्रेसो का होता है तो दो हिस्से दूध मिलाया जाता है।
5.माकियाटो कॉफी
माकियाटो और लाटे कॉफी में कुछ ज्यादा अंतर नहीं होता है। क्योंकि माकियाटो में दूध के ग्लास में एस्प्रेसो धीरे-धीरे डाली जाती है। ताकि वह परतों में ही रहे। इसमें एस्प्रेसो की मात्रा आधी होती है।
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