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गिलगित-बाल्तिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने के पाकिस्तान के कदम को देखा है: चीन

चीन ने बुधवार को कहा कि उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में गिलगित-बाल्तिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने के इस्लामाबाद के कदम को ‘‘देखा’’ है।

10:35 PM Nov 04, 2020 IST | Desk Team

चीन ने बुधवार को कहा कि उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में गिलगित-बाल्तिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने के इस्लामाबाद के कदम को ‘‘देखा’’ है।

चीन ने बुधवार को कहा कि उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में गिलगित-बाल्तिस्तान को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने के इस्लामाबाद के कदम को ‘‘देखा’’ है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा था कि उनकी सरकार ने ‘‘पीओके के गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र को अस्थायी प्रांत का दर्जा देने’’ का निर्णय किया है। खान की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत भारतीय क्षेत्र में किसी तरह के बदलाव की पाकिस्तान की कोशिश को ‘‘मजबूती से खारिज’’ करता है जो इस्लामाबाद के ‘‘अवैध और जबरन कब्जे’’ में है। 
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उन्होंने पाकिस्तान से ऐसे क्षेत्रों को तत्काल खाली करने को कहा। गिलगित-बाल्तिस्तान पर पाकिस्तान के फैसले और इसपर भारत की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘‘हमने संबंधित खबरें देखी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थिति दृढ़ और स्पष्ट है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच इतिहास से जुड़ा मुद्दा है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों तथा द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप इसका शांतिपूर्ण और उचित तरीके से समाधान होना चाहिए।’’ 
यह पूछे जाने पर कि भारत द्वारा पिछले साल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने पर चीन के विरोध और गिलगित-बाल्तिस्तान पर पाकिस्तान के कदम पर चीन का चुप्पी साधना क्या कश्मीर मुद्दे पर तटस्थ रहने के उसके दावे के विपरीत नहीं है, वेनबिन ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि वह कोई वैध बयान है। जो मैंने अभी कहा, कश्मीर मुद्दे पर चीन की स्थिति दृढ़ एवं स्थिर है।’’ उन्होंने यह भी दोहराया कि जिन देशों की रुचि है, वे 60 अरब डॉलर की लागत वाले चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से जुड़ सकते हैं। भारत सीपीईसी परियोजना का विरोध करता रहा है क्योंकि यह पीओके से होकर गुजरती है। 
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