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बकाया वसूली के लिये जेट के दफ्तर को बेचेगी एचडीएफसी

एचडीएफसी ने संकट में फंसी जेट एयरवेज के दफ्तर को बिक्री के लिये रखा है। इसके लिये आरक्षित मूल्य 245 करोड़ रुपये रखा गया है।

01:07 PM May 10, 2019 IST | Desk Team

एचडीएफसी ने संकट में फंसी जेट एयरवेज के दफ्तर को बिक्री के लिये रखा है। इसके लिये आरक्षित मूल्य 245 करोड़ रुपये रखा गया है।

नई दिल्ली : मकान, दुकान और जमीन के लिये कर्ज देने वाली एचडीएफसी ने संकट में फंसी जेट एयरवेज के दफ्तर को बिक्री के लिये रखा है। इसके लिये आरक्षित मूल्य 245 करोड़ रुपये रखा गया है। कंपनी ने बकाया कर्ज की वसूली के लिये यह कदम उठाया है। जेट एयरवेज का परिचालन 17 अप्रैल से अस्थायी रूप से बंद है। एयरलाइन के ऊपर एचडीएफसी का 414 करोड़ रुपये बकाया है। एचडीएफसी ने सार्वजनिक नोटिस में कहा कि कर्जदार (जेट एयरवेज) 414.80 करोड़ रुपये का बकाया लौटाने में विफल रही।

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अत: एचडीएफसी लि. गिरवी रखी अचल संपत्ति को भुनाने की हकदार है। दफ्तर मुंबई के उपनगरी वित्तीय केंद्र बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 52,775 वर्ग फुट में बना (कारपेट एरिया) हुआ है। यह जेट एयरवेज गोदरेज बीकेसी इमारत की चौथी मंजिल पर है। सार्वजनिक नोटिस के अनुसार कार्यालय के लिये आरक्षित मूल्य 245 करोड़ रुपये है और इसकी ई-नीलामी 15 मई को होगी।

जेट एयरवेज वित्तीय समस्याओं से जूझ रही है। कंपनी ने कर्मचारियों के वेतन समेत कई भुगतान में चूक की है। समाधान योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के समूह ने एयरलाइन में हिस्सेदारी बिक्री के लिये बोली आमंत्रित की है।

150 पायलटों की मदद करेगी जेट
वित्तीय संकट के कारण फिलहाल ठप पड़ी विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज के प्रबंधन ने गुरुवार को कहा कि वह दूसरी एयरलाइन में नौकरी पाने में अपने पायलटों की मदद करेगा और इसके लिए उनसे सीधे संवाद करेगा। कंपनी प्रबंधन और पायलटों की आज यहां हुई एक बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि बैठक में कंपनी के दुबारा परिचालन शुरू करने की स्थिति में विमानों की अनुमानित संख्या और उसके जरूरी पायलटों की संख्या पर विचार किया गया।

अनुमान के अनुसार, मार्च 2020 तक कंपनी के पास छह से सात बोइंग-777 विमान, करीब 55 बोइंग-737 विमान और तीन या उससे भी कम एयरबस 330 विमान होंगे। उसके लिए कंपनी को 850 पायलटों की जरूरत होगी। उल्लेखनीय है कि इस साल के आरंभ में कंपनी के पास लगभग 1,500 पायलट थे, लेकिन जनवरी से वेतन नहीं मिलने के कारण 500 पायलट पहले ही नौकरी छोड़ चुके हैं। बैठक में प्रबंधन ने कहा कि उसे पायलटों की संख्या डेढ़ सौ और घटानी होगी।

इसके लिए प्रबंधन सीधे दूसरी विमान सेवा कंपनियों के प्रबंधनों से बात करेगा। इस बैठक में जेट एयरवेज के मुख्य लोक अधिकारी राहुल तनेजा, उपमहाप्रबंधक (मानव संसाधन) श्रीकांत भागवत तथा पायलटों के संगठन नेशनल एविएटर्स गिल्ड के सदस्य भी मौजूद थे। प्रबंधन ने पायलटों को अल्पावकाश पर दूसरी विमान सेवा कंपनियों में नौकरी के लिए छोड़ने के विकल्प पर विचार किया और तनेजा ने भरोसा दिलाया कि इसमें कंपनी पायलटों की मदद करेगी। इसके लिए छह सदस्यों के एक नियुक्ति दल का भी गठन किया गया है।

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