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एचडीएफसी की याचिका खारिज

एनसीएलटी ने बृहस्पतिवार को आरएचसी होल्डिंग के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की एचडीएफसी लि. की याचिका को खारिज कर दिया।

12:26 PM Dec 07, 2018 IST | Desk Team

एनसीएलटी ने बृहस्पतिवार को आरएचसी होल्डिंग के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की एचडीएफसी लि. की याचिका को खारिज कर दिया।

नई दिल्ली : राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने बृहस्पतिवार को आरएचसी होल्डिंग के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की एचडीएफसी लि. की याचिका को खारिज कर दिया। आरएचसी होल्डिंग, सिंह बंधुओं मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह की प्रवर्तित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है।

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एनसीएलटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एम एम कुमार की अगुवाई वाली दो सदस्यीय प्रधान पीठ ने एचडीएफसी लि. की याचिका को खारिज कर दिया। एचडीएफसी लि. ने 41 करोड़ रुपये की वसूली के लिये न्यायाधिकरण में याचिका दायर की थी। आरएचसी होल्डिंग ने इस मामले में अपनी दलील में कहा कि वह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है इसलिये उसे दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत नहीं लाया जा सकता।

इससे पहले इस मामले में जापान की दवा कंपनी दाइची सान्क्यो ने आरएचसी होल्डिंग के खिलाफ दिवाला कार्रवाई को रोकने के लिए एनसीएलटी में अपील की थी। दाइची सान्क्यो ने कहा था कि उसके पास आरएचसी होल्डिंग से पैसे की वसूली के लिए अदालती आदेश है। दिल्ली उच्च न्यायालय पहले ही आरएचसी होल्डिंग की संपत्तियों की बिक्री को लेकर यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दे चुका है।

सिंगापुर में एक न्यायाधिकरण ने दाइची सान्क्यो के पक्ष में फैसला देते हुए कहा था कि सिंह बंधुओं ने अपने शेयरों की बिक्री करते समय यह जानकारी छिपाई थी कि भारतीय कंपनी रैनबैक्सी अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन तथा न्यायिक विभाग की जांच के घेरे में है। उच्च न्यायालय ने 31 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को उचित ठहराते हुए दाइची के पक्ष में आदेश पारित किया। इससे सिंह बंधुओं के खिलाफ 2016 के न्यायाधिकरण के आदेश को लागू करने का रास्ता खुला गया।

सिंह बंधुओं ने 2008 में रैनबैक्सी में अपने शेयर दाइची को 9,576.1 करोड़ रुपये में बेचे थे। बाद में सन फार्मास्युटिकल्स लि. ने रैनबैक्सी का दाइची से अधिग्रहण किया। न्यायालय ने हालांकि, कहा कि फैसला पांच अवयस्क लोग, जो कि रेनबैक्सी में शेयरधारक हैं, पर लागू नहीं होगा। उन्हें खुद से अथवा किसी एजेंट के जरिये धोखाधड़ी के लिये दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

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