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क्या Hypersensitive होना एक गुण या मानसिक चुनौती? जानें इसके कारण और समाधान

10:58 AM Sep 29, 2024 IST
क्या hypersensitive होना एक गुण या मानसिक चुनौती  जानें इसके कारण और समाधान

Hypersensitive : हर व्यक्ति का अपने अनुभवों और परवरिश के आधार पर अलग-अलग स्वभाव होता है। इनमें से एक विशेषता है 'अति संवेदनशीलता' (Hypersensitivity), जो कुछ लोगों में अधिक प्रकट होती है। यह एक स्वाभाविक गुण हो सकता है, लेकिन जब यह व्यक्ति के दैनिक जीवन में समस्याएँ पैदा करने लगे, तब इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता होती है।

जानें, Hypersensitive होने का मतलब!

अति संवेदनशीलता का मतलब है कि व्यक्ति हर परिस्थिति को गहराई से समझने और उस पर प्रतिक्रिया देने की क्षमता रखता है। ऐसे लोग छोटी-छोटी बातों पर भी गहराई से सोचते हैं, भले ही वह सामान्य सी बात क्यों न हो। डॉक्टर बताते हैं कि अति संवेदनशीलता स्वभाव की एक विशेषता है, लेकिन जब यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने लगे, तो यह मानसिक स्वास्थ्य की समस्या बन जाती है। जब अति संवेदनशीलता रिश्तों, काम, या अन्य सामाजिक गतिविधियों में बाधा डालने लगे, तो यह एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। तनाव, चिंता, और ओवर थिंकिंग जैसे कारक इस स्थिति को और बढ़ा सकते हैं।

डॉक्टर्स के अनुसार, यदि व्यक्ति ऐसे पारिवारिक माहौल में बड़ा हुआ हो जहाँ संवाद की कमी हो या उसे निरंतर आलोचना का सामना करना पड़ा हो, तो उसकी संवेदनशीलता बढ़ सकती है। शोध से पता चला है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी अति संवेदनशील हो सकते हैं, क्योंकि वे किसी विषय को विभिन्न दृष्टिकोणों से समझने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, यह शिक्षा का नकारात्मक प्रभाव नहीं है, बल्कि यह एक स्वाभाविक परिणाम हो सकता है। व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन भी व्यक्ति की संवेदनशीलता पर प्रभाव डालते हैं। उच्च पद की जिम्मेदारी और अच्छे परिणाम देने का मानसिक दबाव अति संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, बच्चों का अत्यधिक स्नेह पाना भी उन्हें संवेदनशील बना सकता है।

11 'छोटी' बातें जो अत्यधिक संवेदनशील लोगों को परेशान कर देती हैं

अति संवेदनशील व्यक्ति अक्सर अपने पारिवारिक और पेशेवर जीवन में संघर्ष का सामना करते हैं। उनकी ओवर थिंकिंग मानसिक तनाव का कारण बन सकती है, जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो सकते हैं। यदि अति संवेदनशीलता जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, तो मनोवैज्ञानिक मदद लेना जरूरी हो सकता है। मनोचिकित्सक के मार्गदर्शन से व्यक्ति अपनी संवेदनशीलता को नियंत्रित कर सकता है और एक स्वस्थ जीवन जीने के उपाय अपना सकता है। अति संवेदनशीलता एक स्वाभाविक गुण हो सकती है, लेकिन जब यह जीवन को बाधित करने लगे, तो इसे संभालने और समझने की आवश्यकता है। इस स्थिति को समझकर व्यक्ति संतुलित जीवन जीने में सक्षम हो सकता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई गई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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Saumya Singh

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